RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--9
गतान्क से आगे…………………..
मैं पापा के इस प्लान से झूम उठी ..किस खूबी से उन्होने हमारी चुदाई का रास्ता साफ कर दिया था ....
और ऐसे ही हँसी मज़ाक के माहौल में हम ने चाइ पी .
मैं बाथ रूम जा कर फ्रेश हुई और भैया के आने का इंतेज़ार करने लगी.
भैया आते ही सीधे मेरे रूम में आए और मुझे गले लगाते हुए कहा
"दामिनी ..कैसी है तेरी चूत ....मेरा लौडा तो फडक रहा है बहना ....ऊ आज तेरी चूत में घिसाई नहीं करनी पडेगि सीधा अंदर डालूँगा ...." और वो मुझे बेतहाशा चूम रहे थे ...
" अरे बाबा इतने उतावले क्यूँ हो रहे हो भैया ...मैं भी यही हूँ ..मेरी चूत भी मेरे साथ ही है ....रात तो होने दो ना ...फिर जितनी चाहे चोद लेना ..मेरी चूत भी तो कितना तारसी आपके लौडे के लिए ..देखो ना अभी से कितनी गीली है ..." और मैने अपनी टाँगें फैला दी ...पैंटी पूरी गीली थी ...भैया ने झुकते हुए पैंटी के उपर से मेरी चूत का गीला पन चाट लिया ..मैं सिहर उठी ..
फिर वो उठ गये और "ओके दामिनी ..डिन्नर के बाद मिलते हैं ... तुम्हारे रूम में .."कहते हुए बाहर निकल गये.
मैने अपना सर हिला दिया हाँ में..
हम सब जल्दी डिन्नर ले कर अपने अपने कमरे में घुस गये ....मम्मी भी रोज की तरह जल्दी काम निबटा कर घुस गयीं अपने रूम में पापा के पास ..
थोड़ी देर बाद मेरे रूम का दरवाज़ा खुला ..भैया सिर्फ़ शॉर्ट्स में थे ...दरवाज़ा बंद किया और मेरी ओर देख रहे थे ..क्या लग रहे थे ...पूरे 6 ' की हाइट ..चौड़ा सीना मस्क्युलर बॉडी ,,,मैं तो देखते ही सिहर उठी ..मेरी चूत में हलचल मची थी..
भैया भी मुझे एक टक देख रहे थे ...मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी .... उनके होठों से सीटी निकल गयी ......
धीरे धीरे कदम बढ़ाते हुए मेरे बगल में आ गये ... और मेरी नंगी जांघों में अपनी जाँघ रख दी और मुझे अपनी ओर खींच मेरे होंठों को चूसने लगे ...और हथेली से पेट सहलाने लगे ..मैं आँखें बंद किए मदहोशी के आलम में थी ... आज उनके होंठ चूसने में एक अजीब पागलपन था ..एक जुनून था ..जो पहले कभी नहीं था ... लग रहा था मुझे खा जाएँगे ..मुझे अपने में समान लेंगे ..मैं भी बस इसी पागलपन से उनका साथ दे रहे थी .....एक दूसरे से बुरी तरह चिपके थे ....जैसे पहली बार मिले हों ...और कभी अलग ना होंगे
दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे ..चिहूंक रहे थे ..सिसकारियाँ ले रहे थे .... कराह रहे थे ... रो रहे थे ....सिसक रहे थे ..पागलों की तरह कुछ भी बोले जा रहे थे... उन्होने मेरी ब्रा और पैंटी भी खोल दी थी ..और मैने उनके शॉर्ट्स उतार दिए थे ....दो जवान और एक दूसरे के भूखे , नंगे बदन एक दूसरे का जायज़ा ले रहे थे ....एक दूसरे को घिस रहे थे ..चिपक रहे थे , चूम रहे थे ..चाट रहे थे ....चूस रहे थे ...दोनों के बदन एक दूसरे की थूक और लार से गीले थे ...उन्हें फिर से चाट चाट कर साफ कर देते , फिर गीली कर देते .....अया ..ऊ ये क्या था ..मेरी समझ से परे ....बस एक दूसरे में शायद घुस जाना चाहते थे ...
मेरी चूत से लगातार पानी रीस रहा था ....उनके लौडे से लगातार प्री-कम ...दोनों बद हाल थे ..मुझ से रहा नहीं जा रहा था ..मैं उनका लौडा अपने हाथ से थामे सहला रही थी ....कितना कड़ा था ..आज जैसा कड़ा कभी नहीं था ...मेरे एक हथेली में समा भी नहीं रहा था ... मेरी हथेली गीली हो गयी थी उनके लंड के पानी से , मेरी जाँघ मेरे चूत के पानी से ...
तभी उन्होने मुझे अपने सामने करते हुए अपनी गोद में बिठा लिया ....मेरी चूतड़ उनके लौडे पर थी , और भैया मेरी चुचियाँ मसल रहे थे ..चूस रहे थे ..मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकी ..मैने अपने चूतड़ उपर उठाए ..उनका लंड अपने हाथों से थामा . अपनी चूत फैलाए दूसरे हाथ से और अपनी गीली चूत लौडे पर रखते हुए उनके गोद में बैठ गयी .....".आआआआआः " मेरे मुँह से निकली और मेरी चूत उनके लंड से फिट होते हुए धँस गयी ..भैया भी सिहर उठे ...मैने अपने हाथ उनकी गर्दन के गिर्द रखते हुए चूत उपर उठाई और फिर बैठ गयी ..हल्के हल्के धक्के लगा रही थी मैं ..उन्हें चोद रही थी ...भैया कांप रहे थे .....मैं चोद रही थी ..चूम रही थी ...चाट रही थी और उनका लौडा मेरे चूत के अंदर तक ठोकर मार रहा था ...
फिर भैया मुझे गोद में लिए ही खड़े हो गये , मेरे चूतड़ जोरों से थाम लिए ..चूतड़ पकड़ मुझे उठा लिया , मैं उनकी गर्दन थामे उन से चिपकी थी , उनकी गोद में थी . और वो नीचे से अपने लौडे का धक्का लगा रहे थे ..भैया मुझे खड़े खड़े गोद में लिए चोद रहे थे ..हर धक्के में मेरा पूरा बदन ऐंठ जाता ....उनका लौडा मेरी चूत का हलवा बना रहा था ..ठप ठप आवाज़ आ रही थी ..उनकी जाँघ मेरी चूतड़ से टकरा रही थी ...हम दोनों हवा में उड़ रहे थे ...मस्ती की उँचाइयाँ नाप रहे थे ..
."अयाया ऊवू ....भैया ..भैया .."मैं चीख रही थी , सिसक रही थी "हाँ मेरे राजा भैया ..हाआँ ..हाँ ..ऊवू ..ओह मेरे राजा भैया ..अयाया ..."
भैया भी धक्के पे धक्का लगा रहे थे और मैं पूरी तरह उनसे चिपकी थी ...दोनों के बदन के बीच हवा भी नहीं जा सकती .....दोनों की साँसें टकरा रही थी
"दामिनी ..दामिनी मेरी बहाना ..मेरी रानी बहना ..आआअह आआआह "
"अब और नहीं भैया ,,,मैं छूटने वाली हूँ ..ऊवू ऊ "
भैया ने मुझे फ़ौरन बेड पर लिटा दिया और मेरी चूत फैला कर अपना मुँह वहाँ डाल दिया और होठों से जाकड़ लिया मेरी चूत को ......
"आआआआआआआआआह भाययययययाआआआआआअ ..." मैं जोरों से चिल्ला उठी और अपनी चूतड़ उछालते हुए उनके मुँह में पानी का फवारा छोड़ने लगी ..जैसे कोई जोरों से पेशाब करता है ......मैं बहाल थी इतने जोरों से मेरा ऑर्गॅज़म हुआ उस दिन ....मैं सुस्त पड गयी ..तीन चार झटकों के बाद
भैया भी झडने की कगार पर थे ..मैने झट उनका लौडा अपने मुँह में डाला और जीभ फिराने लगी उनके सुपाडे पर ..मेरे पानी से कितना गीला था ...मैं चूस रही थी और भैया भी झड़ते जा रहे थे मेरे मुँह में ..झट्के पे झटका ..मेरे मुँह में पिचकारी छोड़ रहे थे भैया , वीर्य की पिचकारी ..मैं पूरे का पूरा गटक गयी .... मेरे होंठों पर ...ठोडी पर लगे थे ..मैने जीभ फिराते हुए उन्हे भी साफ कर लिया ...
हम दोनों एक दूसरे को देखे जा रहे थे ...निहारे जा रहे थे .... मैने उन्हें आपनी बाहों में ले लिया और अपने सीने से लगाते हुए अपने उपर लीटा लिया ...दोनों एक दूसरे की बाहों में पड़े थे .. हानफते हुए ..लंबी लंबी साँसें लेते हुए ....
पहले पापा और अब भैया से चुद्वाने के बाद मैं बता नहीं सकती मैं कितना खुश थी ..पता नहीं मेरे दिल में ये बात कब से बैठी थी... सच पूछिए तो इसके पीछे सिर्फ़ सेक्स की भावना नहीं थी ..इसमें मेरे लिए इन दोनों का प्यार भी छुपा था....मेरे ख़याल से किसी के प्यार को सेक्स के बंधन में बंधना उस प्यार की सब से मजबूत कड़ी होती है.. आप इसे पागलपन समझें ..मेरी कामुकता समझें या कुछ और ..पर अब मैं हूँ ही ऐसी तो फिर हूँ ..
मैने अपने घर में तो अपनी चूत के डंके बजा दिए थे ....दोनों लंड मेरी चूत के दीवाने थे ...और मेरी चूत भी इन दोनों लंड की भूखी ..अब तो यहे हाल था के बिना इनके मुझे चैन ही नहीं आता ...
मैने तो दोनों लंड की फ़तेह कर ली..पर बीचारे भैया .....मम्मी की चूत अभी भी उनसे कोसों दूर थी..और वो उनके नाम की मूठ मुझे अपनी गोद में ले कर रोज ही मारा करते ... हैं ना अजीब बात....मम्मी के सामने उन्हें मेरी चूत भी फीकी लगती .....पर मुझे बुरा नहीं लगता ..क्यूंकी हम एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे ..और एक दूसरे की जज़बातों का पूरा ख़याल भी करते ...
एक दिन मैं उनकी गोद में उन का हसीन लौडा हाथ मे लिए सहला रही थी और वो मेरी चूचियों से खेल रहे थे के मैने उन से कहा :
"भैया ..देखो मैने तो अपने घर के दोनों हसीन लंड अपनी चूत में डाल दिए ..पर आप अभी भी मम्मी की चूत जीत नहीं सके ..क्या भैया कुछ करो ना ..."
"हाँ दामिनी " उन्होने मेरी चूची सहलाते हुए कहा ...मैं आआआः कर उठी ...""ऊ भैया ज़रा धीरे ""
"मैं क्या करूँ ..? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ....और मौका भी तो नहीं मिलता ना... अभी पापा भी हैं ...उनको तो पापा के सामने और कोई दीखता नहीं ..जब देखो उन्ही से चुद्वाती रहती हैं .."
" अच्छा भैया एक काम करते हैं .."
"अरे बोलो बोलो जल्दी बोलो दामिनी ...तुम्हारा नुस्ख़ा हमेशा काम आता है .." और उन्होने मेरी चूत अपनी उंगलियों से दबा डी....
"उफफफफफ्फ़ ..आप भी ना भैया ...अरे मेरी चूत नहीं मम्मी की चूत दबाओ...ही ही ही.... अच्छा एक काम करो ..इस बार जब पापा टूर पर जाएँगे और मम्मी जब नशे में होंगी ना अपने क्लब यह किटी पार्टी से आने के बाद ..आप अपना चक्कर चलाओ... " और मैने उनका लौडा जोरों से दबा दिया .....
"ओओओओह क्या करती ही दामिनी... हाँ यार तुम ने बात तो पते की की है.... पिछली बार देखा नहीं कैसे मुझ से चिपकी जा रहीं थी मम्मी ..?? मान गये दामिनी तुम्हारी चूत ही नहीं तुम्हारा दिमाग़ भी कितना मस्त है ...." और उन्होने मुझे चूम लिया ...
तभी बाहर से मम्मी की आवाज़ आई "दोनों जाने क्या खुसुर पुशुर करते हैं आज कल ...अर्रे कॉलेज जाना है या नहीं ,? नाश्ता कब से ठंडा हो रहा है..मैं दुबारा गरम नहीं करनेवाली ....आ जाओ जल्दी.."
और फिर हम दोनों नाश्ते के टेबल पर बैठ गये ...
"मम्मी आप ने नाश्ता कर लिया..?? " भैया ने पूछा ..मैं मुस्कुराए जा रही थी...
"ह्म्म्म....आज अपनी मम्मी का बड़ा ख़याल आ रहा है मेरे पुत्तर को ..??क्या बात है ..??"
"ओओह मम्मी आप भी क्या बात करती हो..आप तो हमेशा मेर ख़यालों में रहती हो .. "
" अरी घोन्चू ..अपने ख़यालों में इस बूढ़ी मम्मी को तू हमेशा रखता है..? तू तो बस पागल है ..कोई गर्ल फ्रेंड नहीं बनाई अब तक ? ..उसे ख़याल में रख.. तेरे काम आएगी..." उन्होने भैया के गालों पर हल्की चपत लगाते हुए कहा..
"मम्मी सच बोलूं..?? आप और बूढ़ी ??.... अरे आपके सामने तो जवान लड़कियाँ भी पानी भरें ....आप ने अपने आप को कितने अच्छे से मेनटेन किया है ..अभी भी क्या फिगर है आपकी ... क्यूँ दामिनी मैं झूट बोल रहा हूँ..??"
"अरे नहीं भैया ..सच्ची मम्मी यू लुक ग्रेट ....एक दम मस्त ...!" और मैने भैया की ओर आँख मार दी.
"लगता है दोनों भाई बहेन कुछ खिचड़ी पका रहे हैं ..." मम्मी ने हंसते हुए कहा
क्रमशः……………………..
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