RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--8
गतान्क से आगे…………………..
"नहीं भैया ..उन्होने तो बड़े प्यार से और बड़ा ख़याल रखते हुए चोदा ..पर पहली चुदाई और उनका मोटा लंड ..थोड़ा असर तो होना ही था ना ..और मुझे भी कितना अच्छा लग रहा है..ऐसा दर्द किस्मेत वालों को ही नसीब होता है ...अब आप के लिए रास्ता साफ है ..आप का लंड तो पापा से भी मोटा और लंबा है भैया ...मुझे अब कोई तक़लीफ़ नहीं होगी आपका लंड लेने में...ऊऊओ भैया ..भैया ...बस आप भी मुझे आज रात चोद ही दो..."
"अरे पागल हो गयी है क्या.....आज नहीं बहना ..आज तेरी चूत को आराम चाहिए ..कल करेंगे ..आज मेरे रूम में आ जाना ..मैं तेरी चूत की सींकाई कर दूँगा ...फिर तुम्हें चोदून्गा ..अच्छे से ...तुम्हें भी अच्छा लगेगा ..."
भैया का प्यार देख मैं निहाल हो गयी और उन्हें चूमते हुए कहा "भैया ..आप भी मुझे बहुत प्यार करते हो ना ..?? आप देखना मैं कितना प्यार दूँगी आप को ...."
और मैं अपनी लड़खड़ाती चाल से अपने बेड रूम में जा कर लेट गयी..
थोड़ी देर बाद मम्मी भी आ गयीं ...और उनकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी .... पर चुदाई की नहीं ..नशे की...उनकी किटी पार्टी का आफ्टर एफेक्ट...
"ऊवू... भाड़ ..में जाए.. ये पार्टी .....शब ने... मुझे इतना पीला दिया ... उफ़फ्फ़... " उनकी ज़ुबान भी लड़खड़ा रही थी ..."दामिनी ..दामिनी ..कहाँ है बेटी ....शब कहाँ मर गये..??"
मैं बाहर आती उसके पहले ही भैया उन्हें अपने कंधों का सहारा देते हुए उनके बेड रूम की ओर उन्हें ले जाने लगे..उनका पूरा वेट भैया के कंधों पर था ..उनकी चुचियाँ उनके सीने से चिपकी थी ..उनकी साँसें आल्कोहॉल की खुश्बू से भरी ...भैया के गालों को छू रही थी ...और उनकी शेप्ली कमर भैया ने हाथों से जाकड़ रखा था ...भैया पर मम्मी के नशे की मदहोशी छाई थी...उनकी चाल में भी लड़खड़ाहट थी ..मदहोशी की.....
"हाँ मेरा राजा बेटा ... तू मेरा कितना ख़याल रखता है ना....तू सही में राजा बेटा है ..." मम्मी भैया से लिपट गयीं ..उनकी चूत को उनकी सारी के उपर से भैया का लंड दस्तक दे रहा था ...
भैया धीरे धीरे उन्हें उनके पलंग पर पापा के बगल लीटा दिया ..पापा अभी भी नींद में ही थे ..
उफफफ्फ़..पलंग पर लेटे मम्मी क्या गजब ढा रहीं थी...भैया अगर उन पर मरते थे तो कोई ग़लत नही था....उनकी सारी अस्त व्यस्त थी...गोरा , चीकना पेट , ज़रा भी बाहर नहीं सही उभार ..और नाभि का गोल सूराख....आँचल नीचे गिरा ..उनकी चुचियाँ लगभग बाहर ...दूधिया ...आँखें बंद किए लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..उनकी चुचियाँ उपर नीचे , उपर नीचे हो रही थी .....भैया एक टक उन्हें देखे जा रहे थे ....मैं अगर भैया की जागेह होती .उसी समय मम्मी को चोद डालती ....
तभी उनकी आँखें खूलीं , भैया उन्हें देखे जा रहे थे ....
"अरे क्या देख रहा है मुझे अभी ..?? "
और उन्होने अपने हाथ उपर कर अपनी चुचियाँ ढँकने की कोशिश की ,पर हुआ ठीक उल्टा ...सिल्क की सारी ..हाथ की हरकत से बजाय सीने पर जाने के..उनका आँचल सरकते हुए पलंग से नीचे जा गिरा ..,,भैया और भी मुश्किल में आ गये ..मम्मी की भारी और भारी भारी चूचियों के उभार से.... ब्लाउस इतनी तंग थी मम्मी की ..सिर्फ़ निपल्स ढँके थे ...और बाकी सब आँखों के सामने ...मम्मी आँखें बंद किए भैया की हालत पर धीरे धीरे मुस्कुरा रहीं थी ...
फिर पता नहीं उनके दिमाग़ में क्या आया . फ़ौरन सीरीयस हो गयीं और मुझे कहा
"दामिनी बेटी ......तुम दोनों भाई बहेन फ्रिज से कुछ ले कर गरम कर लेना ..और खा लेना...ऊवू मैं भी ना .... " और वो आँखें बंद कर बिस्तर पर टाँगें फैलाए पड गयीं..
किटी पार्टी से जब भी आतीं मम्मी का येई हाल रहता था .
खाते वक़्त मैने भैया से कहा .." भैया ..आप मेरे रूम में आ जाना ना,..प्ल्ज़्ज़ ..वही जो करना है कर लेना .."
"हाँ दामिनी ..ठीक है ..मैं वही आता हूँ थोड़ी देर में ..कुछ पढ़ाई कर लूँ ..तू जा और चूप चाप लेट जा.."
उस रात भैया ने मेरी चूत की खूब अच्छे से सिकाई की .. ..खूब चूसा , खूब चाटा ,,अच्छे से सहलाया ...मुझे इतना रिलॅक्स्ड फील हुआ , मेरी आँख कब लग गयी मुझे पता ही नहीं चला ......
सुबह जब मैं उठी , मेरी दुनिया ही अलग थी ..मैं जैसे हवा में उड़ रही थी ..मुझे एक अजीब खुशी थी ...जैसे मैने सब कुछ हासिल कर लिया .....हाँ पापा से चुद्ना कोई कम बड़ी कामयाबी नहीं थी..उनको राज़ी करना ,फिर इतने ख़ूले ढंग से चुदवाना ....ऊवू कल की चुदाई याद आते ही मेरा रोम रोम सिहर उठता था ....आज भी मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड रहे थे ..पर सिर्फ़ खुशी थी ..सिर्फ़ एक रोमांच था ...एक अजीब हलकापन था इसके पीछे ...और फिर जब रात को भैया ने मेरी चूत की सिकाई की ,इतने प्यार और स्नेह से ..मैं बस मदहोशी की ल़हेर में उछल रही थी ..उपर नीचे ...नीचे उपर ....
भैया ...अयाया आपका लंड भी क्या मस्त है..पापा का लंड अगर रब्बर की तरह कड़ा था ..तो आपका लंड एक स्टील का रोड.....आआआः एक दम जवान , कड़क और कुँवारा ....मेरी चूत में जब ये जाएगा ....ऊवू ..मैं तो पागल हो रही थे अभी से .....मेरी चूत सिर्फ़ भैया के लंड की कल्पना से ही पानी छोड़ रही थी.....ऊ भैया ..भैया ...
बाथरूम में मैने अपनी चूत में एक दो बार उंगली डाली ..रास्ता बिल्कुल सॉफ था ... चूत कुछ फूली फूली सी थी ..और चूत के होंठों के बीच थोड़ी से फाँक थी ..जिसके अंदर से मेरी गुलाबी पंखुड़ीयाँ झाँक रहीं थी ....ओह क्या चूत थी मेरी ..थॅंक यू पापा ..आज मेरी चूत इतनी मस्त सिर्फ़ आप की चुदाई की वाज़ेह से थी....आप ने इसे इतना संभाल संभाल कर कितने प्यार से चोदा है .....तभी तो मैने अपनी पहली चुदाई आप से करवाई....ऊऊओ पापा आइ लोवे यू सो मच ...
मैं नाश्ते के लिए तैयार हो कर आज भैया के बगल बैठ गयी ..सोचा उन से चुद्ने के पहले ज़रा उनका लंड हाथ से तो सहला लूं और उन्हें भी ज़रा मस्त कर दूं ...
पापा भी बड़े खुश थे और मुझे बड़े प्यार से देख रहे थे और अंदर ही अंदर मुस्कुराए जा रहे थे
मम्मी इन सब बातों से अंजान सब को नाश्ता सर्व कर रही थी ..बीच बीच में भैया कभी उनकी चूतड़ , तो कभी उनकी कमर पर हाथ फिराते रहते और हर बार मम्मी के चेहरे पर एक अजीब मुस्कान आ जाती ,..जैसे उन्हें भैया के मंसूबों का अंदाज़ा हो गया हो....
मैने भी टेबल के अंदर से उनके पॅंट के उपर से उनका लंड सहला रही थी .... उनके तो मज़े थे मम्मी और मेरा दोनों के मज़े ले रहे थे ..उनका लंड तो बस जैसे पॅंट चीर कर बाहर ही आनेवाला हो...
कॉलेज जाते जाते मैने भैया को एक बार गले से लगाया :
"भैया ....आज रात को ...उफफफ्फ़ ..मैं अब और रुक नहीं सकती ..मेरी चूत फाड़ देना ..हाँ ..?? " और ये कहते बाहर निकल गयी..
भैया ने भी थंब्स अप कर दिया ....और हँसने लगे ....
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