RE: Kamukta Kahani दामिनी
शाम को मैं जब कॉलेज से वापस आई तो देखा पापा अकेले ड्रॉयिंग रूम में बैठे टीवी देख रहे थे ..
भैया शायद आज कॉलेज से देर से आने वाले थे ,,उनके एक्सट्रा क्लासस चल रहे थे ...
मैं पापा से बिल्कुल सॅट कर बैठ गयी ..अपनी जंघें उनकी मस्क्युलर जांघों से चिपकाते हुए ...पापा बेख़बर थे और टीवी में कोई बॅडमिंटन मॅच देख रहे थे..
मैने अपनी जंघें उनकी जांघों से रगड्ते हुए उनके हाथ से टीवी का रिमोट छीन लिया और बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में उनका चेहरा अपने हाथ से अपनी तरफ खींचा और कहा
"पापा ..आप कब से इतने रूड हो गये ..?? एक हसीन और जवान लड़की आपके बगल बैठी है और आप हो के टीवी देख रहे हो....वेरी रूड ऑफ यू ... ही ही ही ही..."
पापा ने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और फिर देखते ही रहे ..मेरी चुचियाँ .जो मेरे लो नेक टॉप से आधी बाहर दीख रही थी..फिर उनकी नज़र मेरे पेट पर गयी ...जीन्स और टॉप के बीच की नंगी जगह ...एक दम फ्लॅट और नाभि का गोल सूराख ..पापा बस देखते ही रहे ..
" ह्म्म्म दामिनी ..अब सही में जवान हो गयी है...मैं जब भी टूर से वापस आता हूँ मेरी प्यारी और हसीन बेटी और थोड़ी जवान हो जाती है ..."आऊर ये कहते हुए उन्होने मुझे गले लगाया और प्यार से सर पे हाथ फेरने लगे ...और मेरा माथा चूम लिया ...पर उनकी पॅंट के अंदर की हरकत वो छुपा नहीं सके ..वहाँ एक तंबू बना था ...
मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी ...पापा भी मुझे सिर्फ़ बेटी की तरह से नहीं बल्कि एक सेक्सी लड़की की तरह देख रहे थे..मैं उनमें सेक्स की भावना जगा सकती थी ...
और ये पहली बार नहीं , दूसरी बार हुआ था ..मैं खुशी से झूम उठी ..अब सफलता बस कुछ ही दूर है ...
"ऊओह पापा ....माइ स्वीट स्वीट पापा ..यू आर दा ग्रेटेस्ट पापा..आइ लव यू सो मच.." और ये कहते हुए मैं उन से चिपक गयी और उनके होंठ चूमने लगी ...
पापा सिहर उठे थे ..मैं महसूस कर रही थी ...उन्होने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक रखा था ...
तभी मम्मी चाइ लिए किचन से बाहर आईं "वाह वाह बाप बेटी का ज़रा प्यार तो देखो ... "
और उन्होने चाइ टेबल पर रखते हुए हमारे सामने वाली सोफे पर बैठ गयीं ..हम दोनों भी अलग हो गये और फिर सब हंसते हुए चाइ की चूस्कियाँ ले रहे थे...
चाइ पी कर मैं उठ गयी और अपने रूम की ओर कमर लचकते चल पड़ी ...........पापा की नज़रें मेरे लचकते चूतड़ो पर अटकी थी ..
उस रोज मैने बाथरूम में पापा को याद करते हुए तीन बार चूत मसली ... और हर बार मेरी चूत से रस की फूहार झाड़ रही थी ... जोरों से ..जैसे पेशाब जोरों से निकलती है..
मैं अब अपनी मंज़िल के बहोत करीब थी...
पापा से चुद्वाना मेरे लिए बहोत अहमियट रखता था..मैने कसम जो खा रखी थी ..बिना उनसे चुद्वाये और कोई भी दूसरा लौडा मेरी चूत के अंदर जा नहीं सकता ....बहोत सारे लंड लाइन में थे ... पर उनमें सिर्फ़ दो ही ऐसे थे जिनके लिए मैं पागल थी ...एक तो भैया का ..जिनका नंबर मेरी चुदाई करनेवालों की लिस्ट में दूसरा था ..और दूसरा था सलिल ...मेरा बॉयफ्रेंड .मेरे साथ ही था कॉलेज में ...
औरों से अलग .. थोड़ा सीरीयस टाइप था ...पढ्ने में होशियार , स्पोर्ट्स में अव्वल और दिखने में धर्मेन्द्र ... मैं और लड़कियों की तरह किसी भी लड़के के आगे पीछे घूमने वाली तो थी नहीं ....हाँ एक बात बताना तो मैं भूल ही गयी..मैं जूडो और कराटे की भी एक्सपर्ट थी ...वाइट बेल्ट ..यानी हाथ पावं चला सकती थी... साले छेड़खानी करनेवाले लड़कों के लिए काफ़ी था ...और एक दो बार तो मैने अपने हाथ पैर का इस्तेमाल भी किया था ..बड़ा असरदार होता है ...उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं हुई मेरे इर्द गिर्द चक्कर काटने की ..बिना मेरी मर्ज़ी के...
पर इसका मतलब ये नहीं के मुझे लड़के पसंद नहीं थे ..बिल्कुल थे .पर मेरी पसंद हमेशा ही अलग होती है न..सब से अलग ..वो भी सब से अलग था ..
मेरी तरह उसे भी ज़्यादा उछल कूद करना अच्छा नहीं लगता शायद .....इसलिए हमेशा और लड़कों से अलग रहता , शायद हमारा औरों से अलग होना ही हमे पास ले आया , और धीरे धीरे हम एक दूसरे के काफ़ी करीब हो गये .
क्रमशः.................................
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