RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--5
गतान्क से आगे…………………..
जैसा के होता है हमेशा ..मम्मी सुबह सुबह जब मेरे कमरे में चाइ ले के आईं , बड़ी ज़ोर ज़ोर से गुनगुना रही थी ... और उनके कपड़े कुछ अस्त व्यस्त थे ... चुचियाँ थोड़ी बाहर थी ..और नाइटी का एक बटन खुला था ... ऐसा कभी होता तो नहीं था ..आज कैसे हो गया ..?? मैं सोच में पड गयी ...फिर मुझे याद आया मम्मी तो अभी भैया के कमरे से आ रहीं हैं..लगता है भैया ने अपना आक्षन प्लान चालू कर दिया ..."वाह भैया जीते रहो..." और मैं मुस्कुराने लगी ..
मम्मी को पापा के कमरे में जाने की जल्दी थी , उन्होने चाइ मेरे बेड से लगी साइड टेबल पर रख दी " दामिनी बेटा ..चाइ रखी है....मैं ज़रा जल्दी में हूँ..तुम चाइ पी लेना.."
और वो झट बाहर निकल गयीं ..
मम्मी को पापा के पास जाने की जल्दी थी तो मुझे भैया के पास , उनके आक्षन प्लान का किस्सा सुन ने ..चाइ कौन पीता है..मैने चाइ बाथरूम के सींक में फेंक दिया ..और खाली कप वहीं टेबल पर रख झट बाहर निकली और सीधा भैया के कमरे में पहुँच गयी ..अंदर देखा तो भैया मुस्कुराए जा रहे थे...और मुझे देखते ही उछल पड़े और मुझे जोरों से गले लगाया ....
" दामिनी ...दामिनी ...ऊओह कुछ ना पूछ बहना ..आज तो बस मेरी लॉटरी लग गयी ..." और मुझे चूमने लगे ..
"अरे बाबा मम्मी की हालत देख मैं समझ गयी ...पर बताओ भी तो क्या हुआ ..यह मुझे ही चूमते रहोगे आप ..??"
"क्या बताऊं दामिनी ..आज जैसे ही मम्मी कमरे में आईं , और मेरे बेड के बगल हुई चाइ देने को ..मैने उठते हुए उन्हें कमर से जाकड़ लिया ..और अपना मुँह उनके सीने से लगा दिया ..ये कहता हुआ 'मम्मी मम्मी ..आप कितनी स्वीट लग रही हो अभी .. मम्मी यू आर आ रियल सेक्सी वुमन ..पापा ईज़ सो लकी' ...अया दामिनी उनकी चुचियाँ कितनी सॉफ्ट और भारी भारी हैं ..मुझे लगा मैं मक्खन के अंदर हूँ...और हाथों से उनके चूतड़ भी सहलाया.."
" अरे वाह ..मम्मी ने क्या कहा ..बोलो बोलो ना भैया..जल्दी बोलो .."
"वो हँसने लगीं ..और बड़े प्यार से मेरे हाथों को हटाया ..और मेरे सर के पीछे हाथ रखते हुए मुझे अपने सीने के और करीब खींच लिया और कहा..'ह्म्म्म्म मेरा बच्चा अब जवान हो रहा है ..अब इसका भी कुछ इंतज़ाम जल्दी ही करना होगा 'और फिर हंसते हुए कमरे से बाहर चली गयीं.. तभी से मेरा तो बुरा हाल है दामिनी ...देखो ना " और उन्होने मेरा हाथ अपने लौडे पे रख दिया .."
उनका लौड सही में फूँफ़कार रहा था पॅंट के अंदर ..मानों पॅंट चीर कर बाहर आ जाए...
मैने उसे सहलाते हुए कहा "लगता है मम्मी अब तो कुछ ना कुछ ज़रूर करेंगी ..भैया आप कोई भी मौका अब हाथ से जाने मत देना ..लगता है मम्मी की चूत अब आपके लंड से चुद ही गयी समझो ......भैया पर मेरा क्या होगा ..पापा तो कुछ समझते ही नहीं ..मुझे अभी भी बच्ची ही समझते हैं ....ओह्ह्ह पापा ..आइ हटे यू ... आप कब मुझे एक औरत समझोगे ..कब..??"
भैया ने मुझे अपने सीने से लगाया , मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा " बस तुम लगी रहो दामिनी ..डॉन'ट लूज़ युवर पेशियेन्स ...बस पापा भी जल्दी लाइन में आ ही जाएँगे ..आख़िर तुम्हारे भी असेट्स कितने मस्त हैं " और वो मेरी चुचियाँ दबाने लगे .."बस एक बार तुम उन्हें इनके दर्शन करा दो ....आह कितनी मस्त है तुम्हारी चुचियाँ दामिनी ..कितनी टाइट , कितनी भारी भारी ..आ इन्हें दबाने में बस ....ऊओह .."
"झूठ बिल्कुल झूठ ..अभी अभी आप मम्मी की चूचियों की तारीफ कर कर रहे थे ..."
"हाँ दामिनी ...मम्मी की चुचियाँ रस से भरी हैं और तुम्हारी चुचियाँ गुदाज हैं ..भारी हैं मसल्स से ..दोनों का अलग अपना अपना मज़ा है मेरी बहना ... किसी को कंपेर थोड़ी ना कर सकते हैं ...दोनों नायाब हैं ..."और वो अब मेरी चुचियाँ चूस रहे थे ...
"वाह भैया वाह ..क्या बात है ..अब सही में आप बच्चे नहीं रहे ...कितनी सफाई से आप ने मेरी और मम्मी दोनों की तारीफ कर दी ...ग्रेट गोयिंग ... " और मैने चुचियाँ अपने हाथ से उनके मुँह में और अंदर डाल दी "लो मेरी ओर से मेरे बूब्स की तारीफ का तोहफा ..चूसो ..चूसो .."
थोड़ी देर तक उनका लंड मेरी हाथ में था और मेरी चूची उनके मुँह में ..के तभी मम्मी की आवाज़ आई ...
" अरे दोनों के दोनों कहाँ हैं ...नाश्ता करना हैं या नहीं ....अभी तक दोनों तैय्यार भी नहीं हुए ..पता नहीं कब कॉलेज जाएँगे .."
बड़बड़ाती हुई मम्मी किचन से अंदर बाहर हो रही थी..
इस से पहले की वो इधर भी आ जायें मैं अपने कमरे में पहुँच गयी .
आआज नाश्ते की टेबल पर कुछ नहीं हुआ ...क्यूंकी पापा आज अकेले ही नाश्ता कर जल्दी ऑफीस चले गये थे ..कोई ज़रूरी मिटिन्ग थी उनकी .
|