RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--4
गतान्क से आगे…………………..
थोड़ी देर जीभ चुसवाने का मज़ा लेने का बाद मैं उन से अलग हो गयी , मैं हाँफ रही थी , साँसें ठीक होने के बाद मैने कहा ...
"भैया ..प्ल्ज़्ज़ अभी रहने दो ना..रात को जितनी चाहे ले लेना ना... मज़ा आएगा ...इधर हम दोनों छत पर ..और रूम के अंदर वो दोनों ...ऊवू भैया ...बस आप तैय्यार रहना ...मैं वहाँ पहले ही पहुँच जाऊंगी आप बाद में आ जाना .."
"जो हुकुम सरकार .." और भैया ने मेरी चूची दबाई जोरों से और अपनी गोद से नीचे उतार दिया...मैं अपने सुडौल चूतड़ मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गयी ...
डिन्नर ले कर हम सब अपने अपने कमरे में घुस गये ..आज डाइनिंग टेबल पर कोई खास बात नहीं हुई ...पापा -मम्मी जल्दी खाना निबटाने के फेर में थे ..पापा को मम्मी की चूत खाने की हड़बड़ी थी शायद और मम्मी को पापा का लंड .
थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत था ...पापा अपने कमरे में घुस गये थे ..मम्मी भी अपने सभी काम ख़तम कर पानी का जग लिए अपने कमरे में घुस गयीं और दरवाज़ा बंद कर लिया ...
मैं दबे पावं एक चादर और तकिया लिए उपर चाट पर पहुँच गयी ..वेंटिलेटर के सामने चादर बिछा कर बैठ गयी और सांस रोके अंदर झाँकना शुरू कर दिया...
मम्मी और पापा अगल बगल लेटे थे और कुछ बातें कर रहे थे.. मम्मी हंस रही थीं ..उनकी आवाज़ नहीं आती थी , लग रहा था कुछ मज़ेदार बातें हो रहीं हैं...गर्मी का मौसम था इसलिए मैने सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप पहनी थी ..नो ब्रा नो पैंटी...ही ही ही..!
पापा को देख तो मेरा बुरा हाल था ..उन्होने भी सिर्फ़ शॉर्ट्स पहन रखा था ..उपर कुछ नहीं ...मम्मी सिर्फ़ एक महीन पारदर्शी नाइटी में थीं ..उनकी पीठ हमारी ओर थी .क्या सेक्सी पीठ थी मम्मी की , रीढ़ की हड्डियों ने पीठ की लंबाई को दो स्पष्ट भागों में किया हुआ था और नीचे चूतडो का उभार .गोलाई लिए हुए , केले के तने जैसी जंघें ... भैया उन पर यूँ ही नहीं मरते .
मम्मी पापा के चौड़े सीने पर अपना सर रखे अपने हाथ उनके सीने पर फिरा रहीं थीं और पापा उनके गले से नीचे अपना एक हाथ ले जा कर उनके मुलायम और भरे भरे गाल सहला रहे थे .. ...के अचानक पापा मम्मी को अपनी ओर खींचते हुए उनके होंठों से अपने होंठ लगाए और चूसने लगे ...उनके चूसने में कोई ज़बरदस्ती नहीं थी ..बड़े आराम से चूस रहे थे ..और मम्मी ने भी अपने होंठ खोल दिए थे , उनकी पीठ सिहर रही थी .मैं साफ साफ देख रही थी ... ये भैया भी कहाँ रह गये ..अभी तक आए क्यूँ नहीं ..मुझे अब उनकी ज़रूरत महसूस हो रही थी ...अंदर का सीन देख मेरी चूत गीली हो रही थी...
मैने अपनी शॉर्ट्स उतार दी थी ..मैं नीचे से नंगी थी ...और पेट के बल लेटी थी ..तभी मुझे भैया के आने की आहट हुई ...वो आ कर चूप चाप मेरे बगल लेट गये ..उन्होने भी आज शॉर्ट्स पहेन रखे थे और सीना उनका भी नंगा था ...मैने उन्हें चूप रहने का इशारा किया ..हम दोनों अगल बगल लेटे अंदर टक टॅकी लगाए थे ..
फिर मैने देखा पापा मम्मी के होंठ चूस्ते हुए मम्मी के उपर लेट गये ..मम्मी नीचे थीं पापा उनके उपर ..पापा ने अब मम्मी की नाइटी सामने से खोल दिया ..मम्मी की गोल गोल भारी चुचियाँ उछलते हुए बाहर आ गयीं ...पापा उन्हें सहलाने लगे और होंठ चूसे जा रहे थे ..मम्मी सिसकारियाँ ले रही थीं ..मेरा बुरा हाल था ..
.भैया ने झट अपनी पॅंट उतार दी और पूरे नंगे हो कर मेरी पीठ पर लेट गये ..उनका लौडा मेरी चूतड़ घिस रहा था... उनका लौड धीरे धीरे कड़ा होता जा रहा था ..मुझे चूतड़ पर उसका कडपन फील हो रहा था.भैया ने मेरी टॉप भी उतार दी ..हम दोनों नंगे थे ..
उधर पापा मम्मी भी नंगे हो गये थे और एक दूसरे से चिपके हुए ..उनका होंठों का चूसना चालू था ..उनके मुँह से लार टपक रही थे और दोनों एक दूसरे की लार चूसे जा रहे थे ..पापा का लौडा तन तनतनाया था और मम्मी की जांघों के बीच चूत घिस रहा था ..मम्मी की आँखें बंद थीं पर उनके चेहरे से साफ ज़हीर था के वो मस्ती में थीं ..शायद कराह रही थीं ... तभी पापा ने होंठों से उनकी चूची थाम ली और निपल चूसने लगे ...मम्मी की मुलायम चुचियाँ ...
भैया ने अपना कड़ा लंड मेरी जांघों के बीच घुसेड दिया और चूत के उपर ही उपर मेरी टाइट चूत के बीच घिसने लगे ..मेरी चूत से लगातार पानी छूट रहा था ..मेरी चूतड़ धीरे धीरे उपर नीचे हो रहे थे..भैया के लंड की घिसाई से ताल मिलाते हुए ..हम अपनी ही मस्ती में थे ...
उधर लगता था के मम्मी की चूची पापा खा जाएँगे ..इतने जोरों से वो चूस रहे थे ...मम्मी ने भी अपने हाथों से चुचियाँ उनके मुँह में डाल रखीं थीं ..और नीचे पापा अपना लंड उनकी चूत की गुलाबी फांकों के बीच रगडे जा रहे थे ...मम्मी अपनी चूतड़ हिला रहीं थीं ...सिहर रहीं थीं ...चूत घिसते घिसते पापा का लंड एक दम कड़ा और स्टील की तरह सख़्त लग रहा था ....काश ये लंड आज मेरी कुँवारी चूत फाड़ डालता ..ऊवू पापा ...
अंदर दोनों मम्मी और पापा पागलों की तरह एक दूसरे को चाट रहे थे . चूस रहे थे ..लगता है इतने दिनों के अलगाव ने दोनों को एक दूसरे के लिए पागल कर दिया था ...फिर मैने देखा मम्मी ने अपनी टाँगें फैला दी और पापा के लंड को हाथ से थाम अपनी चूत की ओर खींचने लगीं ..उनकी चूत की पंखुड़ीयाँ पापा के तननाए लंड से घिसाई की वाज़ेह से फडक रहीं थीं ...और मम्मी लंड अंदर लेने को बेताब थीं ...
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