RE: Kamukta Kahani दामिनी
अभी भी मेरे जहेन में पापा के होंठों का ज़ायक़ा था ..और उनके क्लीन शेव्ड चेहरे पर लगी आफ्टर शेव लोशन की खोषबू ....मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..बिल्कुल नंगी हो कर शवर ऑन कर दिया ..और टाँगें फैलाए शवर के नीचे बैठ गयी..इस तरह के शवर के ठंडे ठंडे पानी की फुहार मेरी चूत पर पडी .... एक हाथ से चूची मसल रही थी मैं ..और दूसरे हाथ से चूत फैलाए रखी थी..जिस से शवर की पतली फुहार मेरी चूत की फाँक के अंदर टकराती ....मेरा रोम रोम सिहर उठा ... मैं कांप रही थी ...और फिर पापा के लंड का स्पर्श हाथ में महसूस करते हुए चूत सहलाने लगी ... ऊवू पापा ...पापा ....और मैं झड़ती गयी ..झड़ती गयी ....मेरी चूत का पानी और शवर का पानी एक हो कर मेरी चूत से बहते जा रहे थे ..बहते जा रहे थे ...
शवर लेने के बाद मैं बहोत हल्का फील कर रही थी .....वेरी रिलॅक्स्ड ..
बाथरूम से निकल कर मैने कपड़े पहने , एक गर्ली मॅगज़ीन ले कर बेड पे लेट गयी , और पढ्ते हुए रात जवान होने का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी ...
आज शाम को चाइ के वक़्त मम्मी और पापा के नोंक-झोंक से मुझे लग रहा था के आज मम्मी तो चुद गयीं बुरी तरह... पापा कल ही शाम को आए और सुबह मम्मी गुनगुना रहीं थीं ....आज देखें क्या होता है...पर जो भी होगा ..होगा लाजवाब ..पापा की स्टाइल एक दम लाजवाब होती है ....उन्हें मम्मी को चोद्ते देख ..मैं तो बार बार झड़ती हूँ ....मैं अक्सर उन्हें चोद्ते देखती हूँ..कभी कभी हम और भैया साथ साथ देखते हैं ....ऊवू उस दिन तो बस अंदर बाहर दोनों ओर शो चालू रहता ...आज भी शायद कुछ ऐसा ही होनेवाला था..मैं मन ही मन सोच सोच कर सिहर उठती थी ...
उनके बेडरूम में एक वेंटिलेटर हमारे छत से लगी थी , जिसका काँच बड़े आराम से खूल जाता था ..और मैं वहीं अपनी पोज़िशन लिए सारा शो देखती ....
आज भी उसी सीन का इंतेज़ार था मुझे ...मेरा पूरा बदन उनकी चुदाई याद कर सिहर
उठता था ..और आज तो साथ में भैया को भी लाने का मेरा प्लान था ....ऊवू भैया के साथ मम्मी पापा की चुदाई के दर्शन ......ओह गॉड !!.... याद करते ही मैं झडने लगी ...
अपनी चूत पोंछ कर मैं उठी और भैया के कमरे की ओर चल दी.
दरवाज़ा अंदर से बंद था ..लगता है बेचारे मम्मी की याद में मूठ मार रहे थे ..मैने थोड़ी देर इंतेज़ार किया और फिर खटखटाया....भून भूनाते हुए भैया ने दरवाज़ा खोला "अरे कौन है ..इतमीनान से यहाँ कोई पढ्ने भी नहीं देता .." मुझे देखते ही उनका चेहरा खिल उठा ..उन्होने फ़ौरन मुझे अपनी तरफ खींचते हुए दरवाज़ा फिर से बंद कर दिया .
मैं भी मूड में थी और उछलते हुए उनके कमर के गिर्द अपने पैर लपेट ते हुए और उनके गले में अपनी बाहें डाल दी और उनकी गोद में समा गयी ....भैया ने भी मेरी पीठ को दोनों हाथों से थामते हुए मुझे अपने से बिल्कुल चिपका लिया और मेरे होंठ बुरी तरह चूसने लगे ..."बाप रे बाप ..मम्मी की याद इतने जोरों से आ रही है मेरे भैया को... " मैने अपने होंठ उनके होंठों से और भी करीब चिपका लिया..
."उफफफफ्फ़ मेरे होंठ कितने जोरों से आप ने चूसा भैया ..लगता है पूरा ही खा जाओगे ...अभी तो सिर्फ़ मम्मी की याद ही आ रही है..जब उनको अपने सामने नंगी चूद्ते देखेंगे तो क्या हाल होगा ..??"
" ऊ तुम्हारा मतलब मम्मी-पापा की चुदाई से है...बट आर यू शुवर दामिनी आज शो होगा ..?" उन्होने मुझे और करीब चिपकाते हुए कहा ...मेरी चुचियाँ उनके सीने से चिपकी थीं और मेरा हाथ नीचे पॅंट के उपर से उनका लंड सहला रहा था...
"हाँ भैया उतना ही स्योर जितना कि अभी मैं तुम्हारी गोद में हूँ ..और मेरे भैया को प्यार कर रही हूँ "ये कहते हुए मैने भैया के लंड को जोरों से भींच लिया ..कड़क था लंड ...कड़क लंड हाथ में लेना कितना अच्छा लगता है ... भैया ने मेरी चूचियों से खेलते हुए कहा.
" वैसे मेरी बहना की बात हमेशा ठीक ही रहती है "और अब उनकी जीभ मेरी जीभ चूस रही थी ...
क्रमशः.…………….
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