RE: Kamukta Kahani दामिनी
दामिनी--2
गतान्क से आगे…………………..
उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब हम इकट्ठे हुए ..लगता है मेरी और भैया , दोनों की सोच में काफ़ी समानता थी , वो मम्मी को पटाने की कोशिश में थे तो मैं पापा को , और पापा और मम्मी दोनों अपने बच्चो की हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...शायद उन्हें हमारी मंशाओं की भनक लग गयी थी..दोनो एक दूसरे की तरफ देख मुस्कुराए जा रहे थे ..
मैं पापा के बगल में बैठी और भैया मम्मी के बगल ..दोनों ज़रा भी मौका हाथ से नहीं गँवाते ..."पापा ये लो टोस्ट ...मैं मक्खन लगा दूं ??".... और फ़ौरन उनकी ओर झुकती हुई बटर का बोव्ल अपने हाथों से लेती ..अपनी गदराई चूचियों को उनके चेहरे से सटाति हुई ..अपने पर्फ्यूम से सने आर्म्पाइट उनके नाक से रगड्ते हुए ... पापा बस मेरी हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...
वोई हाल उधर भैया का था ...मेरी हरकतों को देखते मम्मी का हंसते हंसते बुरा हाल था ....हंसते हंसते उनके मुँह का खाना गले में अटक गया और वो बुरी तरह खांसने लगीं ..भैया फ़ौरन उठे और अपने हाथों से पानी का ग्लास उनके मुँह से लगाया और उन्हें धीरे धीरे पिलाते हुए उनकी पीठ सहलाने लगे ...फिर उन्होने ग्लास रख दिया और एक हाथ मम्मी के पेट पर रख उनकी पीठ सहलाए जा रहे थे ..उनके शॉर्ट्स (हाफ पैंट ) के अंदर का तंबू की उँचाई साफ नज़र आ रही थी ..
मैं भला कहाँ पीछे रहती ..इसी आपा धापी में मेरे हाथ से पानी से भरा ग्लास टेबल पर गिरा और पानी टेबल से होता हुआ पापा के पॅंट पर उन के क्रॉच पर गिर गया ..मैने बिना मौका गँवाए " अरे ये क्या आपका पॅंट गीला हो गया पापा ..लाइए मैं पोंछ देती हूँ " और वो बेचारे कुछ करते इस के पहले ही मैने टेबल से नॅपकिन उठाया और वहाँ बड़े हल्के हल्के पोंछने लगी ...वहाँ भी एक तंबू खड़ा था ... वहाँ का पानी तो मैने पोंछ दिया ..पर मेरी चूत का पानी कौन पोंछता ..जो बराबर मेरे हाथों से पापा के लंड को उनके पॅंट के उपर से सहलाने से निकलता जा रहा था ..और मेरी पैंटी गीली हो रही थी..
उस दिन ब्रेकफास्ट के टेबल पर दो चूत गीली हुई और दो तंबू तने थे ...
नाश्ता के बाद दो जोड़ी आँखें मिलीं ..मेरी और भैया की और पापा और मम्मी की..
भैया की आँखें मुझे कह रही थी "हाँ दामिनी ठीक जा रही है तू .." मेरी आँखों ने भी उन्हें शाबासी दी ...
मम्मी और पापा हैरत से एक दूसरे को देख रहे थे और शायद उनकी आँखें कह रही थीं
"बच्चे अब बच्चे नहीं रहे ..."
हम सब अपने अपने कमरे की ओर चल दिए ......
ओओओह ..पापा के लंड सहलाने से मेरी बुरी हालत थी ...चूत गीली हो कर पैंटी से टपक रही थी..मैं रूम में पहुँचते ही अपने पीसी की कुर्सी पर बैठ गयी ..पैंटी को घुटनो से नीचे कर लिया ..टाँगें फैला दी और अपनी चूत के होंठों को उंगलियों से अलग किया....आ मेरी गीली और गुलाबी चूत पर मेरी चूत का रस ऐसे लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ियो में ओस की बूँदें ...मैं खुद बा खुद अपनी चूत पर मर मिटि ...चमकीली चूत ..उन्हें चाट लेने का मन कर रहा था ...अगर पापा होते तो..??? ये सोचते ही मेरी चूत की पंखुड़ियाँ फड़कने लगीं ..मैं सिहर उठी ..पापा ..पापा ...ऊ पापा ...आइ लव यू ..पापा आइ लव यू ..मैं बोलती जाती और आँखें बंद किए चूत को अपनी उंगलियों से घिसती जाती ...उनके लौडे का कडपन जो अभी अभी मैने अपनी उंगलियों से नाश्ते के टेबल पर महसूस किया था , मुझे अभी भी फील हो रहा था ...ऐसा लग रहा था मैं अपनी चूत नहीं उनका लौडा घिस रही हूँ ..मैं मज़े में थी ..के अचानक किसी के हाथ का स्पर्श मेरे कंधों पर महसूस हुआ ..मैं आसमान से धरती पर गिर पड़ी ..चौंकते हुए पीछे देखा तो भैया मुस्कुराते हुए खड़े थे ... मैने राहत की सांस ली.....हाँ मेरे राहत की सांस से आप हैरान ना हों...हम दोनों के बीच सिर्फ़ चुदाई के अलावा सब कुछ चलता था .....हम दोनों की अंडरस्टॅंडिंग थी के जब तक मुझे पापा का लंड और उन्हें मम्मी की चूत नहीं मिल जाती हम दोनों चुदाई नहीं करेंगे ... और बाकी सब कुछ वाजिब था इस जंग में ...
हम दोनों का ये प्यारा रिश्ता बस एक झट्के में ही शुरू हो गया था ...आख़िर हम दोनों में अपने मम्मी - पापा के ही जींस थे ना ..सेक्स और प्यार से लबा लब .. जिसे भड़काने के लिए एक ही झटका काफ़ी होता है ...... एक दिन मैने उन्हें उनके रूम में उन्हें मम्मी का ध्यान लगाए आँखें बंद किए मूठ मारते देख लिया था ..और मैं उनके मोटे लंबे और पापा से भी तगडे लंड को देख अपने आप को रोक ना सकी ..उनके सामने चूपचाप घुटनो के बल बैठ कर उनके लौडे की टिप पर अपनी जीभ फिराने लगी बड़ी मस्ती से ....उन्होने शायद सोचा होगा मम्मी हैं ..मैं अपनी जीभ की टिप से उनके लौडे की टिप चाट ती रही ...उनके मूठ मारने की रफ़्तार और तेज़ हो गयी थी ..उन्हें ये होश नहीं था के मैं ही उनके साथ हूँ ..वो अपनी कल्पना में खोए लगातार आहें भरते अपने काम में मस्त थे और मम्मी उनकी कल्पना में उनका लंड चाट रहीं थीं ..नतीज़ा ये हुआ के जब वो झाडे तो उनके लंड से पिचकारी जो छूटी ...सामने दीवार तक पहुँच गयी और वो चिल्ला उठे ."ऊवू मोम ..ओह ..अयाया मोम ..आइ लव यू ..आइ लव यू ..." पर जब उनकी आँखें खुली तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी जब उन्होने मुझे मुस्कुराते हुए सामने खड़ा देखा ... और उनका सारा मज़ा किरकिरा हो गया ...
"भैया कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता ...खैर चलो कोई बात नहीं ...दोनों तरफ आग बराबर लगी है ..आप मम्मी के दीवाने और मैं पापा की दीवानी ..चलो आज से हम एक दूसरे को इस दीवानगी को हक़ीक़त बनाने में मदद करते हैं .." मैने अपना हाथ उन की ओर बढ़ाया ..
पहले तो उन्होने अपने पॅंट के बटन्स बंद किए....और मुझे खा जानेवाली नज़रों से देखने लगे ..फिर मुस्कुराते हुए कहा "तू बड़ी बदमाश है दामिनी ... " और उन्होने मेरे हाथ थाम लिए और कहा "एक से दो हमेशा भले होते हैं .."
फिर मैने जा कर दरवाज़ा बंद कर दिया और उन से कहा " मैने आपका मज़ा किरकिरा कर दिया ना भैया ..आइए मैं फिर से आपको मज़े देती हूँ ...पर एक शर्त है .."
"क्या ..??" भैया ने पूछा..
"हम दोनों कुछ भी कर सकते हैं पर चुदाई नहीं ... मेरी चूत पापा के लिए है ... आपका नंबर उनके बाद ..." मैने जवाब दिया.
उन्होने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बुरी तरह मुझे चूमने लगे ...होंठ चूसने लगे ...."मुझे मंज़ूर है मेरी प्यारी प्यारी बहना ..मैं समझ सकता हूँ तू पापा को किस हद तक प्यार करती है ..शायद मैं भी मम्मी को उतना ही चाहता हूँ दामिनी .."
और उस दिन के बाद से हम दोनों इस खेल में बराबर के हिस्सेदार थे ....
हाँ तो मैं नाश्ते का बाद पापा को याद कर चूत घिस रही थी और भैया मेरे पीछे खड़े थे ...उन्होने भी उसी अंदाज़ से कहा
"अरे कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर ले दामिनी ...ऐसी हालत में कोई भी आ सकता है .."
"तो आप ही बंद कर दो ना जल्दी ..." मैने अपनी भर्रायि आवाज़ में कहा ....मैं बिल्कुल झडने के करीब ही थी .....के भैया आ गये थे ...उन्होने समय की नज़ाकत भाँप ली ..और फ़ौरन दरवाज़े से बाहर झाँका कोई है तो नही ..और दरवाज़ा बंद कर मेरे पास आ गये ...मेरी आँखें अभी भी मदहोशी में बंद थीं....और मैं पापा ...ऊवू पापा की रात लगाए जा रही थी ...
भैया भी मम्मी को नाश्ते के टेबल पर हाथ लगाने के बाद मम्मी के लिए पागल हो रहे थे ..तभी तो वो आए थे मेरे पास ...
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