Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
11-17-2018, 12:42 AM,
#28
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
सोच सोच उसका मन घबराये , एक सहस्त्र बरस का इंतजार वो ही जानती थी उसने कैसे किया अब एक एक पल एक हजार साल जैसा लगे उसे पर मोहन क्यों ना आये, ये कौन बताये उसे कौन बताये 
जी तो बहुत करता की आवाज दे अपने मोहन को की क्या वो भूल गया अपनी मोहिनी जो अब तक ना आया पर विवश थी आवाज भी ना दे सकती थी वक्त बदल गया था और क्या मोहन भी 



“मैं आऊंगा, मैं आऊंगा जल्दी ही आऊंगा मेरी........... मोहि...... ” ये बोलते ही उसकी आँख खुल गयी सांसो की रफ्तार कुछ कम हुई तो उसने देखा की पूरा बदन पसीने से जैसे नहाया हुआ है पास रखे जग से पानी लिया और कुछ घूंट पिया उसने 



बार बार उसे ये ही सपना क्यों आता था क्या था उस ख्वाब में जो उसे इतना परेशां कर देता था , उसने घडी पर नजर डाली सुबह के तीन बज रहे थे वो चलते हुए अपनी खिड़की पर आया बाहर काफी तेज बारिश हो रही थी 



तभी उसके सामने वाली सड़क पर जैसे बिजली सी गिरी और ऐसा लगा की उसने किसी को देखा हो पर वहा पर कोई नहीं था या सिर्फ उसका वहम था वो कुर्सी पर बैठ गया और अपने सपने के बारे में सोचने लगा की आखिर बार बार एक ही सपना उसको क्यों आता है और वो जो धुंधली सी परछाई सी दिखती है उसको


वो क्या है क्यों दिखती है उसको उसका क्या सम्बन्ध है उन सब से , क्यों उसे वो सपना अपना सा लगता था और जो शब्द आज उसने सुना था मोहन , कौन था ये मोहन और क्या सम्बन्ध था उसका मुझसे


शिवाय सिंह ओबरॉय , उम्र पच्चीस बरस, होटल इंडस्ट्री के चमकते सितारे, २५०००० करोड़ की सम्पति के मालिक, माँ- बाप बचपन में ही एक हादसे में गुजर गए थे,इतनी शोहरत के बावजूद खुद के लिए एक घर नहीं इनके पास बस अपने बिजनेस के लिए आज इस देश में कल इस देश में 
अपने ऑफिस में बैठा शिवाय, अपने उसी सपने के बारे में सोच रहा था की तभी उसकी सेक्रेट्री शगुन आई


“सर, अपने नए होटल के लिए हमने कुछ जगह देखि है, ये सब लोकेशन की तस्वीरे है आप देख लीजिये ”


शिवाय ने उन तस्वीरों पर एक नजर डाली और फिर बोला- इनको रद्दी में फेक दो , ये हमारा 1000 वा होटल होगा तो इसे सबसे अलग होना चाहिय


शगुन- पर सर आप कितनी लोकेशन रिजेक्ट कर चुके है , आपकी पसंद क्या है इस होटल के लिय


शिवाय- मुझे खुद नहीं पता सच कहू तो तुम जाओ और इर स देखो 



शगुन ने अपना माथा पीट लिया पिछले चार महीनो से शिवाय हर लोकेशन को बस रिजेक्ट ही किये जा रहा था आखिर उसने क्या चाहिए था शगुन ने बहुत तलाश किया और आखिर में उसे कुछ मिला तो उसने शिवाय से बात करने का सोचा 



शगुन- सर, मुझे एक ऐसी लोकेशन मिली है की आप सुनकर हैरान रह जाओगे 



शिवाय- पिछले बार भी तुमने इसा ही कुछ कहा था 



शगुन- पर सर इस बार आप बस देखिये उसने अपना लैपटॉप शिवाय की तरफ किया 



और जैसे ही शिवाय ने स्क्रीन की तरफ देखा , उसे झटका सा लगा वो एक एक कर के सारी तस्वीरों को देखने लगा , उस इसा अलग की इ जगह स उसका एक गहरा नाता है अपनी सी लगी उसे 
वो- ये येतो एक खंडहर सा है 



शगुन- सर मैंने पता किया है एक ज़माने में राजा का महल होता था पर समय के साथ सब ख़तम हो गया सर्कार ने ध्यान दिया नहीं तो हालत ऐसी है पर अपनी टीम इसे एक शानदार हेरिटेज होटल में बदल देगी अगर आप हां कहे तो 



शिवाय- पर ये जगह है कहा, 



शगुन- सर राजस्थान में चित्तोड़ में है कही अगर आप हां, कहे तो मैं शाम तक पूरी डिटेल्स मंगवा लू 
शिवाय- हां, कल के लिए टिकेट बुक करवाओ, मैं खुद इस साईट को देखना चाहूँगा वैसे भी एक अरसा हो गया इंडिया नहीं गया तो इसी बहाने एक छोटा हॉलिडे भी हो जायेगा 



शगुन को यकीन नहीं हुआ उसका बॉस इस लोकेशन के लिए मान जायेगा पर वो खुश थी चलो बॉस को एक साईट तो पसंद आई उसने अपनी तैयारिया शुरू कर दी 



जगतपुरा गाँव के लोग आज बहुत हैरत में थे , ऐसा लग रहा था की जैसे गाव म कोई मंत्री आ रहा हो एक के बाद एक गाडियों का काफिला आ रहा था शिवाय रस्ते में था पर तभी उसे शगुन का कॉल आया और फिर गाड़ी गाँव की बजाय सर्किट हाउस की तरफ मुद गयी 



वहा शगुन पहले से ही मोजूद थी थोड़ी चिंतित थी शिवाय ने पुछा तो बोली- सर हमारे दो आदमी महल का जायजा लेने गए थे ऐसे ही और दोनों की लाशे महल के बाहर मिली है 



शिवाय- कॉल पोलिस, हमारे आदमियों की जाना कैसे गयी, पता करो 



शगुन- सर , गाँव के लोगो से पता चला है की महल में कोई भुत-प्रेत है मेरी मति मरी गयी थी मुझे इसके बारे में आपको बताना ही नहीं चाहिए था 



शिवाय- क्या बकवास कर रही हो तुम भुत कुछ नहीं होता कल हम खुद चलेंगे वहा पर हो सकता है की कुछ लोगो की दिक्कत हो वो ना चाहते हो की महल बीके 



शगुन- पर सर अभी तो किसी को नहीं पता की हम महल ख़रीदन आये है 
बात में दम था पर शिवाय के अपने तर्क थे, 



शिवाय- और हा, वो महल के मालिको को भी कल बुलवा लेना उनसे हबी बात करेंगे 



शगुन- हो जायेगा सर, इस गाँव के सरपंच के परिवार के पास है इसकी मिलकियत बरसो से 



शिवाय- वैसे मैने देखा गाँव खूबसूरत है मैं गाँव को देखना चाहूँगा , घूमना चाहूँगा 



शगुन- मैं अर्रेंग्मेंट करवाती हु 



शिवाय- नहीं, मैं अकेला जाना चाहता हु कम से कम कुछ घंटे तो इस vip लाइफ से छुटकारा मिले 
शाम को शिवाय निकल पड़ा अपनी कार लेके जैसे जैसे वो गाँव की तरफ बढ़ रहा था उसकी धड़कने तेज हो रही थी उसे लग रहा था की जैसे शायद वो पहले भी यहाँ आ चूका है 



और फिर अचानक से ही गाडी को ब्रेक लगे, उसे अपनी आँखों पर यकीन ही ना हुआ

शिवाय के सामने एक विशाल कीकर का पेड़ खड़ा था , उसे जैसे यकीन नहीं हो रहा था ये पेड़ , ये पेड़, इसी को तो वो अपने सपनो में देखता आ रहा था उसका कलेजा जैसे जगह ही छोड़ गया था नहीं ये नहीं हो सकता ऐसा नहीं हो सकता 


वो गाड़ी से बाहर आया, और उस पेड़ की तरफ बढ़ने लगा और उसके सामने जाके खड़ा हो गया शाम का समय था हवा चल रही थी फिर भी उसको पसीना आ रहा था गला जैसे सुख रहा था पानी की प्यास सी लग आई उसे पर गाड़ी में पानी नहीं था 



पल पल प्यास सी बढे उसकी पर यहाँ पानी कहा आये, पर जैसे उसे पता था उसके पैर अपने आप ही एक और बढ़ने लगे और कुछ मिनट बाद वो उसी पानी के धौरे पे पहुच गया जिसे कभी मोहिनी ने अपने मोहन के लिए बनाया था 



आज भी पानी लबालब था उसमे, उसने अपनी अंजुल में पानी लिया और पीने लगा पर ऐसा स्वाद पानी का उसे हैरान कर गया इतना मीठा स्वाद जी भर के उसने पानी पिया फिर वो हुआ वापिस उसकी जुबान पर पानी का स्वाद ही था उस पल 



आया वापिस, वो उसी पेड़ के पास एक बार फिर से उसके कदम रुक गए क्यों उसे वो पेड़ अपना सा लग रहा था क्यों लग रहा था की इस जगह पर पहले भी आ चूका है कुछ तो रिश्ता है उसका इधर मोहिनी ने देखा उसे आँखों में आंसू आये लगा की अब इंतजार ख़तम होगा 



पर ये क्या वो तो वापिस हो लिया, शिवाय बढ़ गया गाँव की तरफ, और फिर आया महादेव मंदिर जो साक्षी था किसी के प्रेम का , जहा हुआ था जावा किसी प्यार, शिवाय ने गाड़ी रोकी उसके कदम जैसे खुद उसे मंदिर की और ले जा रहे थे 



और जैसे ही मंदिर की सीढ़ी पर उसने पैर रखा जैसे की एक बोझ सा आ पड़ा उसके सर पर और फिर उसे कुछ याद ना रहा , मंदिर की घंटिया अपने आप बज उठी, गाँव वाले हुए हैरान वो पड़ा रहा बेहोश वही पर 



“मोहन, मोहन मैं इंतजार कर रही हु, मेरे पास आओ मोहन, मुझसे बात करो मोहन इंतजार की घडिया ख़तम हुई, आओ मोहन आओ मोहन अपनी मोहिनी को देखो मोहन ”


“मोहिनीईईईईई ” एक तेज चीख के साथ शिवाय की आँख खुल गयी कमरे में अँधेरा सा परन्तु जल्दी ही रौशनी हो गयी, उसने अपनी भीगी आँखों से देखा शगुन उसके पास ही बैठी थी शिवाय की साँस फूली हुइ थी 



शगुन ने उसे पानी दिया और बोली- क्या हुआ कोई डरावना सपना देखा क्या 



शिवाय- मैं- यहाँ कैसे 



शगुन- आप मंदिर में बेहोश हो गए थे हमे खबर होते ही ले आये डॉक्टर ने बताया शायद स्ट्रेस की वजह से ....


शिवाय- नहीं ऐसा कुछ नहीं 



शगुन- तो फिर कैसा है शिवाय मैं तुम्हारी सेक्रेटरी ही नहीं तुम्हारी दोस्त भी हु कुछ प्रॉब्लम है तो शेयर कर सकते हो 



शिवाय- पता नहीं , तुम तो जानती ही हो मुझे अजीब अजीब सपने आते है और आज जब मैं गाँव की तरफ घुमने गया तो मैंने उस पेड़ को देखा जिसे मैं अपने सपनो में देखता आया हु और वो ही मंदिर हां वो मंदिर वो ही है 



शगुन- ये तुम्हरा वहम है भला ऐसा कैसे हो सकता है 



शिवाय- मैं नहीं जानता पर ऐसा ही है शगुन ऐसा ही है 



शगुन- पर तुम बेहोश कैसे हुए कुछ याद है 



शिवाय- नहीं, कुछ याद नहीं , 



शगुन- वैसे ये मोहिनी कौन है 



शिवाय- कौन मोहिनी 



शगुन- अभी तुम चीखते हुए उसका ही नाम लेके उठे हो 



शिवाय- पर मैं तो किसी मोहिनी को नहीं जानता 



पर तभी उसे कुछ याद आया सपने में ये ही तो सुना था उसने मोहन अपनी मोहिनी के पास आओ कौन है ये मोहन और कौन है ये मोहिनी 



शिवाय- एक काफी ले आओ सरदर्द हो रहा है 



शिवाय बाहर गैलरी में आ गया और सोचने लगा मोहिनी कौन हो सकती है ये मोहिनी और उसके मुह से कैसे निकला मोहिनी 



“मोहिनी, आ जाओ , आ जाओ मोहिनी ” जैसे ही ये शब्द शिवाय के मुह से निकले मोहिनी तड़प गयी मोहन ने पुकारा जो था उसको , उसके मोहन ने पुकारा था उसे पर जब तक वो सामने आके न बुलाये वो कैसे आये बाहर सोचे वो 
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