Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
11-17-2018, 12:37 AM,
#9
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
मोहन ने भी अपने डेरे की राह पकड़ी राह में वो उसी कीकर के पेड़ के निचे रुका तो उसे मोहिनी की याद आई उसने आवाज लगाई “मोहिनी ”


पर कुछ नहीं एक पल के बाद आवाज खामोश हो गयी उसने फिर आवाज लगाई पर फिर से वो बस चलने को ही था की जैसे उसे किसी ने पुकारा “मोहन ”


उसने पलट के देखा तो मोहिनी उसकी तरफ आ रही थी चलते हुए“ मोहन को जैसे करार सा आ गया ”


“मोहिनी ” 


”मोहन ”

“पुरे तीन दिन हुए तुम आये क्यों नहीं ”

“वो मैं थोडा व्यस्त था ”

“कोई बात नहीं , प्यास लगी है ”


“लगी तो है पर आज मैं तुम्हारे हाथो से पानी पियूँगा ” बोला मोहन 



मोहिनी मुस्कुराई, उसकी मुस्कान सीधे मोहन के दिल में उतर गयी वो घुटनों के बल बैठा मोहिनी ने मश्क खोली और उसको पानी मिलाना शुरू किया एक बार फिर से वो ही जाना पहचाना मीठा स्वाद उसके गले उतरने लगा उसने फिर सर हिलाके बताया की बस हो गया दोनों उसी कीकर के पेड़ के निचे बैठ गए 



“तुम रोज आती हो ”


“हां “


” क्या मैं तुमसे मिलने आ जाया करू ”


“मोहन, ये भी कोई कहने की बात है तुम जब चाहो मुझे मिलने आस सकते हो तुम तीन बार मुझे आवाज लगाना बस तीन बार मैं आ जाउंगी और यदि तीन बार आवाज के पश्चात् मैं ना आई तो समझ लेना उस दिन मैं इधर नहीं आई ”


“आभार ”


मोहिनी मुस्कुराई मोहन की सादगी पर ये कैसी कशिश थी जो वो खिची चली आती थी मोहन की तरफ उसकी बंसी की तान पर जैसे थिरक उठने को जी करता था 



“मोहन तुम्हारे लिए कुछ लायी हु ” उसने अपने झोले से कुछ निकाला और मोहन की तरफ किया कोई मिठाई सी थी 
मोहन ने जैसे ही चखा , ऐसा स्वाद तो उसने पहले कभी नहीं चखा था रानी ने उसके लिए हजारो पकवान बनाये थे पर ऐसा स्वाद तो वहा भी नहीं था पेटभर गया उसका मोहिनी के चेहरे पर सुकून था 



“तुम्हारे घर में कौन कौन है मोहिनी ”


“माँ, बाबा और मैं ”


फिर मोहान ने उसे अपनेबारे में बताया और अपने डेरे के बारे में मोहिनी एकटक उसकी हर बात सुनती रही 
“तो तुम बीन क्यों नहीं बजाते मोहन घरवालो की बात तो माननी चाहिए ना ”


“मेरा जी नहीं करता , मुझे तो बस अपनी इस बंसी से ही लगाव है कभी कभी खुद को बहुत अकेला महसूस करता हु तो ये ही मेरा सहारा होती है यही मेरी दोस्त है ”


मोहिनी मुस्कुराई फिर बोली- मोहन मेरे जाने का समय है गया है मैं जल्दी ही फिर मिलूंगी 



मोहन ने हां कहा और उसे जाते हुए देखता रहा और फिर अपने डेरे में चला गया 



“भाई , कहा गायब थे तुम हम सबको चिंता हो रही थी ”


“बताया ना की कुछ जड़ी लेने गया था ”


“पर आये तो खाली हाथ हो ”


“मिली नहीं ”

इधर संयुक्ता महल तो आ गयी थी पर उसका जी लग नहीं रहा था हर पल पल प्ल उसको बस मोहन ही दिखे मोहन का खयाल आते ही उसकी चूत में खुजली मचनी शुरू हो जाती थी महाराज नियमित रूप से उसको चोदते थे पर अब उसे बस एक ऊब होती थी उसे तो बस कुछ भी करके मोहन का लंड चाहिए था पर वो करे तो क्या करे कैसे मिले मोहन से हालाँकि उसके एक इशारे पर मोहन उसके सामने होता पर वो एक औरत होने के साथ साथ एक महारानी भी थी तो हर तरह से उसको सोचना था 




ऊपर से उसके जिस्म की आग जो हर समय सुलगी रहती थी जिसे महाराज का लंड बुझा नहीं पाता था उसने महराज से बेफवाई कर ली थी अपने आस पास के हर मर्द में उसे बस मोहन ही दीखता काम पिपासी रानी संयुक्ता अगन में जलने लगी थी पल पल इधर हफ्तेभर से ऊपर हो गया था मोहिनी आई नहीं थी मोहन की बेचैनी बढ़ी हर पल उसकी आँखे बस मोहिनी को ही ढूंढें पर वो नाजाने कहा थी हार कर वापिस वो अपने डेरे में आ जाता था 



इधर चकोर के बदन की गर्मी भी बढ़ने लगी थी पर वो सीधा सीधा मोहन को तो बोल नहीं सकती थी की मेरी प्यास बुझा दे हालाँकि वो अपने लटके झटके दिखा कर उसे आभास पूरा करवा रही थी सबकी अपनी अपनी प्रीत थी सबकी अपनी अपनी हवस थी आसमान में तारे खिले हुए थे पर उसकी आखो से नींद कोसो दूर थी बस मोहिनी ही उसके विचारो में थी 



थोड़ी प्यास सी लग आई थी उसे वो पानी पीकर आया ही था की उसे लगा की झोपडी के पीछे कोई है वो दबे पाँव गया तो देखा की चकोर खड़ी है और खिड़की से अंदर झांक रही है वो उसके पास गया पर चकोर को कोई फर्क नहीं पड़ा उसने देखा की अंदर उसके माँ-बाप लालटेन की हलकी सी रौशनी में चुदाई कर रहे है मोहन का लंड झट से खड़ा हो गया जो सीधा चकोर के चूतडो पर जा टकराया चकोर ने अपनी गांड को थोड़ी सी पीछे किया
मोहन का शैतानी लंड चकोर की गांड पर दस्तक दे रहा था चकोर की गर्दन के पिछले हिस्से से पसीना बह चला वो अहिस्ता से अपनी गांड को मोहन के लंड पर रगड़ने लगी अन्दर का नजारा देख कर दोनों भाई बहन गरम होने लगे थे मोहन ने जीजी की कमर को थाम लिया उसके हाथ कुरते के अन्दर से होकर उसके नाजुक नर्म हलके से फुले हुए पेट को सहलाने लगे थे 



चकोर मोहन की बाहों में पिघलने लगी थी मोहन की प्यास तो संयुक्ता ने भड़का दी थी वो खुद चूत के लिए तड़प रहा था दोनों की आँखे बस अपने माँ-बाप पे ही लगी थी चकोर को पता ही नहीं चला की कब मोहन उसकी छातियो को सहलाने लगा था उसके चुचक कड़े होने लगे थे होंठो से हलकी हलकी आवाज निकल रही थी 



और तभी वो पलती और अपने सुर्ख होंठो को मोहन के होंठो से जोड़ दिए दोनों एक दुसरे का रस पान करने लगे चकोर किसी बेल की तरह मोहन से लिपट गयी थी चकोर ने उसे कुछ कहा और फिर दोनों चकोर की झोपडी में आ गए अन्दर आते ही मोहन ने अपनी बहन को बाँहों में भर लिया उसके बदन से खेलने लगा 



उसने चकोर के होंठो को खूब चूमा फिर उसने चकोर की कुर्ती को उतार फेंका अपनी बहन की चूचियो पर टूट पड़ा वो आखिर संयुक्ता ने जो उसे ये सब सिखाया था जैसे ही अपने भाई के होंठो को चूची पर पाया चकोर किसी सूखे पत्ते की तरह कांपने लगी उसकी चूत गीली बहुत गीली होने लगी 
Reply


Messages In This Thread
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी - by sexstories - 11-17-2018, 12:37 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,518,970 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 546,317 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,239,527 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 937,141 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,663,924 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,089,893 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,965,892 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,103,823 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,051,093 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 286,575 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)