RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
अब बस उसे कुछ चाहिए था तो मोहन का लंड उसकी चूत में रानी ने मोहन को बताया की कैसे क्या करना है और अपनी टांगो को फैला लिया मोहन ने अपनी टांगो को रानी की टांगो पर चढ़ाया और अपने लंड को रानी की चूत पर सटा दिया और जैसे ही उसने धक्का मारा वो थोडा जो से मार दिया संयुक्ता को दर्द का अहसास हुआ और अगले ही पल उसकी चूत की पंखुड़िया विपरीत दिशाओ में फैलने लगी उसको दर्द में देख कर मोहन थोडा घबराय और वापिस होने लगा तो रानी ने उसे रोका
“मोहन, होने दो चाहे कितना दर्द पर तुम मत रुकना मैं कितना भी चीखू चिल्लाऊ मुझ पर कोई रहम मत करना बस अपने लंड को जद तक हमारी चूत में पेल दो ”
अब रानी का हुकम सर आँखों पर मोहन ने एक धक्का और लगाया और आधा लंड उसकी चूत में था संयुक्ता ने आज से पहले ऐसा लं कभी नहीं लिया था वो दर्द से दोहरी होने लगी एक महिला अपने से आधे लड़के से चुद रही थी अपने दर्द को दांतों तले दबाये वो ऐसा महसोस कर रही थी जैसे की आज फिर से वो अपने कुंवारे पण को खो रही थी आँखों से आंसू निकल पड़े थे और फिर जैसे ही मोहन ने अगला धक्का लगाया उसका लंड संयुक्ता की बच्चेदानी से जा टकराया पूरा लंड रानी की चूत में जा चूका था
आज पहली बार किसी के लंड ने इतना अन्दर तक टच किया था संयुक्त को मस्ती में बहने लगी वो उसने मोहन के होंठो को अपने होंठो में दबा लिया और चूसने लगी कुछ देर मोहन ऐसे ही रहा और फिर रानी ने उसको धक्के लगाने को कहा हर धक्के के साथ रानी की छातिया बुरी तरह से हिल रही थी
“ओह मोहन रुकना नहीं रुकना नहीं बस यही तो चाहिये था मुझे इसके लिए तो कब से तदप रही हु मैं मोहन आज अपनी बाजुओ में रौंद दे मुझे तोड़ डाल मुझे मसल दे मुझे किसी फूल की तरह आज मेरी सारी आग बुझा दे ओह मोहन आह्ह्ह्ह अआः ”
मोहन जवान पट्ठा आज पहली बार चूत मार रहा था तो वो भी जोश में था दनादन संयुक्ता की चूत की चुदाई शुरू हो गयी रानी हुई बावली जल्दी ही चूत ने लंड को संभाल लिया था तभी मोहन ने खुद रानी की चूची को मोह में भर लिया और उसके निपल को दांतों से काटने लगा मोहन की इस हरकत ने संयुक्ता के बदन में जैसे बिज्ली सी भर दी और वो भी निचे से धक्के लगाने लगी हर एक परहार उसकी बच्चेदानी को छु रहा था आज तक यहाँ कभी राजा साहब भी नहीं पहुच पाए थे
हर धक्के से साथ रानी की चूत में खलबली मच रही थी उसकी उत्त्जेजना उसका मजा बन रही थी और मोहन अपनी रफ़्तार बढ़ाते हुए लंड को अंदर बहार कर रहा था रानी तो जैसे उसकी दीवानी हो गयी थी उसने अपनी बाहों में भर लिया मोहन को दोनों के होठ थूक से सने हुए थे बदन पसीना पसीना हुआ पड़ा था पर दोनों ही चुदाई का भर पुर आनंद ले रहे थे रानी ने अपने पैरो को बेडियो की तरह मोहन की कमर पे लपेट दिया था और चुदने का मजा लूट रही थी
पल पल गुजर रहा था और साथ ही रानी को लगने लगा था की वो बस मंजिल के करीब ही है करीब ही है कुछ देर और बीती रानी अपनी मस्ती के रथ पर सवार थी और ऐसे ही एक झटके के साथ वो जोर से चीलाई और उसकी उत्तेजना ने उसका साथ छोड़ दिया रानी किसी बंदरिया की तरह मोहन से चिपकी पड़ी थी और मोहन उसके गालो को चुमते हुए उसको चोद रहा था रानी आधी बेहोशी में थी आँखे बन पर मोहन नहीं रुक रहा था धक्के पे धक्के दोनों पसीने से तर मोहन ने तबियत से उसको दस पंद्रह मिनट और बजाय और फिर उसकी चूत को अपने रस से भर दिया
दोनों शांत हो गए थे मोहन ने उठाना चाह पर रानी ने उसे ऐसे ही लेटने को कहा करीब आधे घंटे तक वो ऐसे ही एक दुसरे में समाये लेटे रहे फिर मोहन उठा और बाहर मूतने चला गया आज उसने राज्य की महारानी को चोदा था तो सीना थोड़े गर्व से फूल गया था कुछ देर बार रानी भी बाहर आ गयी उसने भी पेशाब किया फिर पानी से खुद को अच्छे से साफ किया और वापिस शिविर में आगये जल्दी ही रानी मोहन की गोदी में बैठी अपनी चूचिया दबवा रही थी मोहन का लंड उसकी चूत में घुसा हुआ था वो धीरे धीरे ऊपर निचे होते हुए चुदाई का खेल खेल रही थी मोहन की भी ये पहली रत थी तो वो तो गरम था ही
संयुक्यता तो जैसे मूर्ति थी हवस की वो कहा पीछे रहेने वाली थी वो भी जब उसे ऐसा मस्त लंड मिला हो आज की रत वो मोहन को हद से क्यादा भोगना चाहती थी और हुआ भी ऐसा ही कभी लंड पे बैठ कर कभी मोहन ने के निचे तो कभी घोड़ी बनके पूरी रात उसने अपनी चूत खूब बजवाई वो जब शांत हुई जब सूरज की किरणों ने दस्तक दे दी थी धरती पर
दोनों जने बुरी तरह से थके हुए एक दुसरे की बगल में पड़े थे संयुक्ता को बुरी तरह निचोड़ दिया था मोहन ने उसकी चूत सूज गयी थी चूचियो पर मोहन के दांतों के निशान थे पर उसके चेहरे पर ज़माने भर का सुकून था जब कुछ शांति हुई तो मोहन ने अपने कपडे पहने और बैठ गया संयुक्ता ने अपनी आँखे खोली
“”तुमने हमे बहुत बड़ा सुख प्रदान किया है मोहन मांगो क्या मांगते हो हम बहुत खुश है ”
“घनो आभार! रानी साहिबा थारी दया सु सब चोखो है मेरी कोई आस ना ”
“कुछ तो तुम्हारे मन में होगा , सोना चांदी जवाहरात, जमीन-जायदाद जो तुम मांगो बस कहने की देर है एक पल में सब तुम्हारा हो जायेगा ”
“बस थारी कृपा रहे इतनी सी आस ”
“ठीक है मोहन पर हम तुम्हे वचन देते है की तुम्हारी एक चाह हम हमेशा पूरी करेंगे जब भी तुम कहोंगे हमारे दरवाजे हमेशा तुम्हारे लिए खुले रहेंगे ”
“”आभार, रानी सा “
तीन दिन तक संयुक्ता ने खूब खेला मोहन के साथ अपने जिस्म की आग को खूब शांत किया पर ये आग जितना इसको बुझाओ उतना भड़के ऊपर से उसके हाथ मोहन जैसा नोजवान लग गया था संयुक्ता तो जैसे मोहन की जवानी का कतरा कतरा ही पी जाना चाहती थी पर जल्दी ही महाराज का संदेसा आ गया तो उसकी मज़बूरी हो गयी वहा से जाने की पर उसने मोहन से वादा किया की वो आती रहा करेगी उसकी बंसी सुनने के लिए
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