Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
11-17-2018, 12:37 AM,
#7
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
मोहन ने थोडा सा जोर से दबाया तो रानी को हल्का सा दर्द हुआ पर इस दर्द का भी एक अपना मजा था एक मिठास थी मोहन को भी उत्तेजना चढ़ रही थी वो थोडा जोश में आके रानी के बोबो से खेलने लगा और फिर संयुक्ता के दोनों चूचियो को बारी बारी से चूस रहा था गोरी छातिया लाल सुर्ख होने लगी थी उनके निप्पलस करीब इंच भर बाहर आ गए थे रानी की चूत से रिसकर कामरस तालाब के पानी में मिल रहा था करीब पंद्रह मिनट तक रानी ने उस से अपने बोबे चुस्वाये 



अब उसने लंड को आजाद किया और मोहन की करीब आई इतनी करीब की उसकी छातिया मोहन के सीने से दबने लगी मोहन का लंड उसकी चूत पर रगड खाने लगा दोनों की आँखे मिली और संयुक्ता ने अपने सुर्ख गुलाबी होंठो को मोहन के होंठो से लगा लिया और चूमने लगी मोहन को ऐसे लगा की जैसे किसने ने गुलाब की पंखुडियो को सहद में मिला कर उसके मुह में डाल दिया संयुक्ता मोहन के होंठो को तब तक चुस्ती रहीजब तक मोहन के निचले होंठ से खून ना निकल आया उसकी चूत बहुत ज्यादा पानी छोड़ रही थी रानी का यौवन आज खिल रहा था उस रात की तरह 




चुम्बन के टूटते ही उसने मोहन को शिविर में चलने को कहा दोनों नंगे ही वहा आये रानी के क़यामत हुस्न को देख कर मोहन का लंड ऐंठने लगा जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा ही उतर आई हो धरती पर गोरा बदन भरी छातिया मांस से भरी चिकनी जांघे और बेहद उन्नत गांड उसकी जैसे ही मोहन शिविर में आय उसे अलग की वो गलती से किसी महल में ही आ गया है आलीशान पलंग शानदार बिस्तर संयुक्ता ने मोहन को पलंग पर लिटाया और फिर खुद भी चढ़ गयी 



मोहन का काला लंड आसमान की और मुह किये तने था रानी ने उसको अपनी मुट्ठी में लिया और सुपाडे की खाल को निचे किया गुलाबी सुपाडा जो की किसी छोटे आलू की तरह फूला हुआ था बड़ा सुंदर लग रहा था संयुक्ता ने अपने होंठो पर जीभ फेरी और फिर खुद को मोहन के लंड पर झुका लिया जैसे ही लिजलिजी जीभ ने मोहन के सुपाडे को छुआ मोहन की आँखे मस्ती के मारे बंद हो गयी रानी ने एक नजर मोहन पर डाली और फिर मोहन के लंड को चूसने लगी 



रानी को पूरा मुह फाड़ना पड़ा तब वो उस सुपाडे को चूस पायी अपने मुह में ले पायी साथ ही वो मोहन के टट्टे भी सहला रही थी मोहन मस्ती के मारे जल्दी ही अपनी टाँगे पटकने लगा मोहन का आधे से ज्यादा लंड जैसे तैसे करने उसने अपने मुह में उतार दिया था बाकि को वो हाथ से सहलाती रही उसकी छातिया मोहन की टांगो पर रगड खा रही थी संयुक्ता पूरी तरह से मोहन के लंड पर टूट पड़ी थी कभी सुपाडे को चुस्ती तो कभी वो उसके टट्टे 



साथ ही उसे हैरानी भी हो रही थी की इतनी देर से ये झडा नहीं है रानी की चूत हद से ज्यादा गीली हो गयी थी आज से पहले इतना पानी उसने कभी नहीं छोड़ा था थोड़ी देर और बीती और फिर मोहन का लंड ऐंठने लगा उसकी नसे फूलने लगी रानी समझ गयी थी की ये झड़ने वाला है उसने फिर से सुपाडे को अपने मुह में भर लिया और मोहन के लंड से गाढ़ा सफ़ेद रस रानी के मुह में गिरने लगा एक के बाद क पिचकारिया रानी के गले से होते हुए उसके पेट में जाने लगी



जब उसने वीर्य की छोटी से छोटी बूँद भी गटक ली तब लंड को बाहर निकाला पर उसकी आँखे चमक गयी जब उसें देखा लंड अभी की किसी लकड़ी के डंडे की तरह खड़ा है उसकी चूत तो वैसे ही गीली हो रही थी अपने होंठो पर लगे वीर्य को साफ किया संयुक्ता ने और फिर अपनी टाँगे फैला आकर अपनी चूत मोहन को दिखाई बिना बालो की थोड़ी फूली हुई सी चूत जो एक दम गुलाबी थी बिलकुल किसी ताजा गुलाब की तरह अब कौन कह दे की इस औरत के दो बच्चे है 



“मोहन प्यार करो इसे जैसे मैंने तुम्हारे अंग को चूसा है चाटा है ऐसे ही तुम इसे प्यार करो”


मोहन ने अपना सर उसकी टांगो के बीच घुसा दिया उत्त्जेना वश चूत के दोनों होठ फद्फदाये एक नमकीन सी महक मोहन की सांसो में घुलने लगी उसने जैसे ही अपनी जीभ से रानी की चूत को टच किया नमक सा लगा उसको और संयुक्ता के बदन में ऐंठन हुई वो मचली उसने अपनी गांड थोड़ी सी ऊपर उठा दी मोहन की जीभ उसकी चूत पर चलने लगी संयुक्ता की सांसे उफनने लगी

मोहन ने बिलकुल निचे से ऊपर तक जीभ का ससडका मारा तो रानी एक दम से चिल्ला उठी थी उसकी चूत इतना मजा दे रही थी की वो अब क्या कहे उसके चुतड अपने आप थिरकने लगे थे उसके पैर अपने आप फैलते जा रहे थे रानी पूरी तरह से आज उत्तेजित होकर अपनी चूत चत्वा रही थी मोहन गतागत चूत से टपकते पानी को पि रहा था उसे भी अब उसका स्वाद अच्छा लग रहा था साथ ही ये डर भी था की रानी कब नाराज हो जाये क्या पता रानी उसके सर को सहलाए कभी अपने उभारो से खेले उत्त्जेना में उसने अपने बाल खोल दिए थे उसकी साँसे तेज तेज चल रही थी और 



तभी रानी का खुद से नियंत्रण समाप्त हो गया उसका बदन झटकने लगा और वो झड़ने लगी अपनी उम्र से आधे लड़के ने संयुक्ता को झाड दिया था वो भी बस पांच मिनट में वो खुद हैरान थी की ऐसा कैसे हो गया कहा गयी उसकी वो काम पिपासा अपनी साँसों को नियंत्रित किया और फिर मोहन के होंठ चूम लिए 
Reply


Messages In This Thread
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी - by sexstories - 11-17-2018, 12:37 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,520,370 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 546,519 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,240,192 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 937,593 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,665,001 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,090,666 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,967,188 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,108,469 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,052,760 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 286,716 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)