RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
चकोर ने अपनी गांड को भाई के लंड पर रगड़ना शुरू किया उसे बहुत अच्छा लग रहा था जबकि मोहन भी उत्तेजना से कांपने लगा था बहन के बदन की खुशबु से दो पल के लिए चकोर अपने दर्द को भूल गयी थी पर जैसे ही दर्द की लहर बदन में दौड़ी वो कराही और आगे को हो गयी मोहन ने बहन की कमर को थाम लिया उसने धीरे धीरे चुतड का अवलोकन किया और जल्दी ही दर्द को पकड़ लिया चोट गहरी नहीं थी थोड़ी देर में ही ठीक हो जानी थी
मोहन ने एक बूटी चूतडो पर लगाई और फिर चकोर को कपडे पहनने को कहा वो चकोर के कपडे लाया और फिर खुद अपने कपडे भी पहन लिये चकोर का जी चाह रहा था की अभी मोहन से लिपट जाऊ कुछ ऐसा ही हाल मोहन का भी था पर दोनों अपने रिश्ते की गरिमा की वजह से अब नजरे चुरा रहे थे थोड़ी देर में चकोर का दर्द कम हुआ तो वो जड़ी बूटिया ढूँढने लगी और लगभग अँधेरे में ही घर आये पर दोनों के मन में एक तूफ़ान चल रहा था जो आने वाले समय में कुछ गुल खिलाने वाला था
“रानी आप तैयार नहीं हुए हमे वापिस महल लौटना है ”
“हमारा मन नहीं है अभी लौटने का हम कुछ दिन और आखेट करेंगे ”
“मन तो हमारा भी नहीं है पर मंत्री जी का संदेसा आया है तो जाना होगा आपकी सुरक्षा के लिए एक टुकड़ी सैनिको की छोड़ जाते है ”
“उसकी आवश्यकता नहीं महाराज बस कुछ सेविकाए ही बहुत रहेंगी हम कुछ पल अकेले रहना चाहते है ”
“परन्तु महारानी आपकी सुरक्षा ”
“अपने राज्य में हमे किसका डर महाराज और ये मत भूलिए की हमारी रगों में भी रणबांकुरो का लहू दौड़ रहा है ”
“ठीक है आपकी जैसी इच्छा पर ज्यादा दिन ना लगिएगा आपके बिना हमारा मन महल में नहीं लगेगा ”
“आपकी सेवा के लिए दो रनिया और भी है महाराज ”
“पर आपकी बात निराली है खैर, हमे देर हो रही है चलते है ”
महराज के काफिला चल पड़ा महल की और संयुक्ता वही रह गयी अपनी कुछ विस्वस्पात्र बांदियो के साथ महारानी संयुक्ता राजा की सबसे बड़ी रानी थी उम्र करीब 37-38 बेहद ही रूपवान 38 की छातिया 28 कमर और 42 की गांड रूप ऐसा की सोना भी इर्ष्या करे
एक बेहतरीन माँ और कर्मठ रानी पर बस एक ही कमी थी वो हद से ज्यादा कामुक थी कई बार वो अपनी यौन इच्छाओ पर काबू नहीं कर पाती थी ऐसा नहीं तह की महाराज चंद्रभान में कोई कमी थी वो पूर्ण पुरुष थे पर वो भी संयुक्ता के आगे हार मान लेते थे
आज चौथा दिन था महारानी ने मोहन को मिलने को कहा था बापू था नहीं डेरे में माँ से झूठ बोल कर की वो जड़ी बूटिया लाने जा रहा है वो चल पड़ा रस्ते में वही कीकर का पेड़ आया तो उसे मोहिनी का ख्याल आया उसने एक दो आवाजे भी लगायी पर मोहिनी हो तो आये कुछ देर इंतजार के बाद वो आगे हुआ
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