Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
11-17-2018, 12:36 AM,
#3
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
मोहन उसकी तरफ बढ़ा , वो उसे देख कर मुस्कुराई 

वो-प्यास लगी है 

मोहन- हां 

उसने फिर अपनी मश्क मोहन की तरफ की मोहन ने पानी पिया इस उजाड़ बियाबान में एक बार फिर से वो ठंडा शरबत से मीठा पानी उसके कलेजे को तर गया बर्फीला सा वो पानी वो भी राजस्थान की धरती पर पर एक बार जो मोहन के होंठो से वो पानी लगा फिर मश्क ही खाली हुई 

वो लड़की मोहन को देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी मोहन भी मुस्कुरा दिया 

लड़की- आज बकरिया नहीं लाये 

वो- नहीं सच कहू तो बस तुमको ही देखने की आस थी तो 

लड़की- मुझे देखने को वो क्यों भला 

मोहन- पता नहीं बस ऐसे ही पर एक बात पूछनी है 

लड़की- हां पूछो 

मोहन- ये इतना ठंडा पानी तुम कहा से लाती हो और इतना मीठा 

लड़की ने दूर पहाड़ो की तरफ इशारा किया 

मोहन- अच्छा तो तुम वहा रहती हो 

लड़की- हां 

मोहन- पर वो जगह तो यहाँ से बहुत दूर है तुम अकेली कैसे आ जाती हो 

वो- बस आ जाती हु 

मोहन – नाम जान सकता हु 

वो- मोहिनी 

पता क्यों वो दोनों ही मुस्कुरा पड़े जब मोहिनी हंसी तो ऐसा लगा की जैसे सारी कायनात मुस्कुरा पड़ी हो कहने को तो भरी दोपहर थी पर अब आस पास छाया हो चली थी जिसका आभास मोहन को कतई नहीं था मोहिनी बहुत सुंदर थी उसकी हरी आंखे उसका रंग किसी चांदी की तरह चमकता था 

मोहिनी- क्या तुम मुझे बंसी बजा के सुनाओगे 

मोहन- ये भी कोई कहने की बात है 

मोहन वही जमीन पर बैठ गया और उसने एक तान छेड़ थी एक बहुत ही मीठी सी तान मोहिनी पर जैसे जादू सा होने लगा धड़कने बधी वो खोने लगी मोहन के संगीत में पर तभी उसकी तन्द्रा टूटी वो बोली- मोहन अभी मुझे जाना होगा मैं फिर कभी मिलूंगी तुमसे 
अब मोहन क्या कहता बस अपना सर हिला दिया उसने मोहिनी अपने रस्ते बढ़ गयी वो भी डेरे की और चल दिया 

दूर कही, 

“ओह राजाजी आहा आः और जोर से और जोर से आह मैं मरी मरी रे ”

संयुक्ता महाराज चंद्रभान के साथ सम्भोग में लिप्त थी उसकी दोनों टाँगे महाराज के कंधे पर थी और महाराज पूरा जोर लगाते हुए उस काम सुन्दरी को जन्नत की सैर करवा रहे थे रानी जोर जोर से चिल्ल्ला रही थी मस्ती के मारे महाराज का लंड उसकी चूत की धज्जिया उड़ाते हुए उसे ले चला था एक जाने पहचाने असीम आनंद की तरफ 

“ओह रानी आप बेहद ही कामुक हो ”

“”और जोर से महाराज और जोर से “

संयुक्ता के उन्नत उभार हर धक्के के साथ बुरी तरह से झूल रहे थे महारज की बाँहों में वो बुरी तरह से पिस रही थी मस्ती के मारे उसका रोम रोम झूम रहा था आँखे बंद थी चंद्रभान उसकी चूचियो को बेरहमी से मसल रहे थे उनकी वजह से रानी की दोनों छातिया सुर्ख लाल हो गयी थी रानी भी निचे से बार बार अपनी गांड को उठा उठा कर महाराज का पूरा साथ दे रही थी संयुक्ता बिस्तर पर इस कदर कामुक हो गयी थी की जैसे महाराज के जोश की बूँद बूँद ही निचोड़ डालेगी 


महाराज धक्के पे धक्के लगते हुए रानी को आनंदित कर रहे थे पर हर धक्के के साथ जैसे रानी की प्यास और बढती जा रही थी और इस से पहले की वो अपने चरम पर पहुच पाती महाराज चंद्रभान गहरी सांस लेते हुए ढेर हो गए और बगल में लेट गए 
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RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी - by sexstories - 11-17-2018, 12:36 AM

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