RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
मे रोए जा रही थी. बिलबिला रही थी. कि बाबू जी मुझे छोड़ दें. पर बाबू जी मेरी किसी बात पर ध्यान नही दे रहे थे.
मे: (रोते हुए) अहह बाबू जी मुझे बहुत दर्द हो रहा हाईईईईईई उसे निकाल लो वहाँ सीईए प्ल्स मेरीए जाअँ निकली जाअ रही है..
अभी: कुछ नही हुआ मेरी रानी. पहले तुम चुप करो. हां बस अब शांत हो जाओ. मेने कहा था ना पहली बार दर्द होता है. बस तुम अपनी टाँगों को पहले के जैसी ऊपेर उठा लो. और अपने बदन को ढीला छोड़ दो. तुम्हारा दर्द कुछ ही मिनट मे ख़तम हो जाएगा.
मेने रोना बंद कर दिया. और दर्द को सहते हुए अपनी टाँगों को ऊपेर कर लिया. बाबू जी का लंड मेरी टाइट चूत मे फँसा हुआ था. मुझे अब भी बहुत दर्द हो रहा था. जैसे ही मे शांत हुई. बाबू जी ने मेरे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया. और धीरे -2 मेरे होंटो को चूसने लगे. बाबूजी मेरे होंटो को बड़े प्यार से चूस रहे थे. मुझे बाबू जी से अपने होंटो को चुस्वा कर बहुत अच्छा लग रहा था.
फिर बाबू जी ने मेरे होंटो को छोड़ कर मेरे गालो को चूमना शुरू कर दिया. बाबू जी मेरे गालो और फेस को अपने होंटो से रगर -2 कर चूम रहे थी. धीरे-2 मेरा दर्द कम होता जा रहा था. मुझे बाबूजी का ऐसे प्यार करना बहुत अच्छा लग रहा था. मे धीरे-2 फिर से गरम होने लगी थी.
फिर बाबू जी मेरे फेस को चूमते हुए नीचे की तरफ आने लगे. और मेरी चुचियो को अपने हाथों मे लेकर मसलने लगे. मेरे बदन मे फिर से मस्ती की लहर दौड़ गयी. मे फिर से गरम होने लगी. मेरा दर्द अब लगभग ख़तम हो चुका था.. बाबू जी ने मेरी एक चुचि के निपल को मुँह मे लेकर चूसना चालू कर दिया.
मेरी चूत मे फिर से खुजली होने लगी. ऐसी मीठी-2 खुजली कि दिल कर रहा था. कि बाबू जी अभी मेरी चूत मे अपने लंड को रगड़ -2 कर चोदे. पर मे कुछ नही बोली. बाबू जी लगतार मेरी दोनो चुचियो के निपल्स को बारी-2 चूस रहे थे.
मे: अहह बाबू जीए अब बहुत अच्छा लग रहा हाीइ.
अभी: (चुचि को मुँह से निकलते हुए) अब दर्द तो नही हो रहा है.
मे: उंह नही बाबू जी.
अभी ने मेरी चुचि को फिर से मुँह मे ले लिया. और छोटे बच्चे की तरहा चुचि को चूसने लगे. मे मस्ती मे आकर पागल हुई जा रही थी. और अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह कर रही थी. बाबू जी समझ चुके थे. कि अब मे चुदवाने के लिए बिल्कुल तैयार हूँ. बाबू जी ने अपने लंड को धीरे-2 करके आधा बाहर निकाल लिया. और कुछ पल के लिए रुक गये. जैसे ही बाबू जी ने अपना आधा लंड बाहर निकाला. मुझे मेरी चूत की दीवारों पर बाबू जी के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई. बहुत ही मीठे-2 दर्द के साथ मस्ती की लहर मेरे जिस्म मे दौड़ गयी. और मेरे मुँह से मस्ती भरी हुई आह निकल गयी.
मे: अहह उंह बाबू जीईए धीरे.
अभी ने मेरी आँखों मे देखा. और फिर अपने लंड को धीरे-2 अंदर करने लगा. बाबू जी के लंड का सुपाड़ा फिर से मेरी टाइट चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर घुस्स गया. मेरी चूत मे सिहरन दौड़ गयी. और मेरी चूत की दीवारें बाबू जी के लंड को अपने मे कसने लगी.
मे एक दम मस्त हो गयी.हलाकी थोड़ा सा दरद अभी भी हो रहा था. लंड का सुपाड़ा फिर मेरी चूत के अंदर बच्चेदानी के मुँह से रगड़ खा गया. मेने कसमसा कर बाबू जी की पीठ पर अपनी बाहों को कस लिया. और मे बाबू जी की पीठ को अपने नाख़ून से हल्के -2 कुरदेन लगी.
मे: आहह बाबू जीई सच मे बहुत अच्छा लगगगगगग रहा है.
क्रमशः.................
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