RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
अभी: अब देख क्या रही है. चल इसे जल्दी से सॉफ कर.
मे बेड से उतर कर अपनी टीशर्ट उठाने लगी.
अभी: ये क्या कर रही है.
मे: शरमाते हुए) बाबू जी पहनने जा रही थी.
अभी: क्यों इसे रहने दो. और जाकर बाथरूम से कोई कपड़ा गीला करके ले आओ.
मे अभी से नज़रें नही मिला पा रही थी. मे वैसे ही सर झुकाए हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी. अभी पीछे से मेरे मतकते हुए चुतड़ों को देख रहा था. मे बाथरूम मे घुस्स गयी. और एक कपड़े को गीला करके बाहर ले आई. और बेड के पास आकर खड़ी हो गयी.
अभी: अब वहाँ क्यों रुक गयी. जल्दी कर
मे बेड पर चढ़ गयी. और अभी की जाँघो के पास बैठ कर अभी के लंड को कपड़े से सॉफ करने लगी.
अभी: दूसरे हाथ से पकड़ कर सॉफ कर ना.
मेने अपने काँपते हुए हाथ से अभी के लंड को पकड़ लिया. मेरे हाथ मे अभी का लंड एक दम तना हुआ था. उसकी नसों का तनाव मुझे सॉफ महसूस हो रहा था. जैसे ही मेने बाबू जी के लंड को हाथ मे लिया. मेरा दिल धक से रह गया.
और मे धीरे-2 अभी के लंड को सॉफ करने लगी. जैसे ही मे अभी के लंड को सॉफ करने लगी. अभी के लंड का गुलाबी सुपाड़ा चॅम्डी पीछे खिसकने से बाहर आ गया. मेरी नज़र अभी के लंड के सुपाडे पर गढ़ गयी. मे चाह कर भी अपनी नज़रें अभी के छोटे सेब जैसे गुलाबी मोटे सुपाडे से हटा नही पा रही थी.
मेने किसी तरहा बाबू जी के लंड को सॉफ किया. और बाबू जी ने मेरे हाथ से कपड़ा ले लिया. और उठ कर बैठ गये.
बाबू जी: चल अब लेट जा.
मे बेड पर पीठ के बल लेट गयी. बाबू जी मेरी टाँगों को फैला कर बीच मे बैठ गये. और मेरे टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर कर दिया. फिर बाबू जी ने मेरी टाँगों को ऊपेर उठाते हुए. दोनो तरफ फैला दिया. मेरी चूत की फाँकें जो आपस मे सटी हुई थी. जाँघो के फैलने के कारण खुल गयी. और मेरी चूत का छेद बाबू जी की आँखों के सामने आ गया.
बाबू जी ने मेरे हाथों को पकड़ कर मेरी चूत की फांकों पर रखते हुए कहा.
बाबू जी: चल अब इसे हाथों से खोल. मे भी तो देखू तेरी चूत ने कितना लावा उगला है.
मे बाबू जी की बात सुन कर एक दम से शर्मा गयी. और अपनी आँखों को बंद कर लिया. और धीरे-2 अपने हाथों की उंगलियो से अपनी चूत की फांको को खोल दिया. अब मेरी कुँवारी चूत का गुलाबी रस से भरा छेद बाबू जी की आँखों के सामने था. मेने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर देखा. बाबू जी मेरी चूत के छेद को अपनी वासना से भरी नज़रों से देख रहे थे. उनके होंटो पर मुस्कान बिखर आई थी.
बाबूजी ने पहले उस गीले कपड़े से मेरी चूत और जाँघो पर लगे मेरे काम रस को अच्छे से सॉफ किया. और सॉफ करने के बाद कपड़े को बेड से नीचे फेंक दिया. फिर बाबू जी ने एक तकिये को उठा कर मेरे चुतड़ों के नीचे सेट कर दिया. जिससे मेरी चूत और ऊपेर की ओर हो गयी.
बाबूजी मेरी जाँघो को अच्छे से फैला कर मेरी चूत के ऊपेर झुकने लगी. मे दो बार मा को चुदते हुए देख चुकी थी. और मा को बाबू जी का लंड चूस्ते हुए भी. पर मुझे समझ मे नही आता था. कि आख़िर इतना गंदा काम करने से क्या होता है.
बाबू जी ने झुक कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया. और अपनी जीभ निकाल कर मेरी चूत के छेद पर रगड़ने लगे. जैसे ही बाबू जी के होन्ट और जीभ मेरी चूत पर मुझे महसूस हुए. मे एक दम से मचल उठी. और मेरे मुँह अहह ओह्ह्ह्ह जैसी सिसकारियाँ निकलने लगी. मे बाबू जी के सर को पीछे धकेलने लगी.
मे: अहह बाबू जीईई ईईए कियाअ कर राहीई हाईईईईईईईिन अहह अहह माआआ उईमाआअ माराआआअ नहियीई बाबू जीई नहियिइ मुझे कुछ हूऊओ रहा हाईईईई अहह उंह सीयी बाबू जीईए मे पागल हूऊ जौंगी. नहियीईई बाबू जीईए. ओह माआअ बस बबुऊउ जीए बुसस्स्स्स
जब बाबू जी ने मेरे ज़ोर लगाने पर भी अपने मुँह को मेरी चूत से नही हटाया. तो मेने अपने हाथों से बेड शीट को कस के पकड़ लिया. मेरा पूरा बदन कांप रहा था. मेरी कमर खुद बा खुद झटके खाने लगी. जैसे मे ही अपनी चूत को बाबू जी के होंटो पर रगड़ रही हूँ..
मुझे यूँ गरम होता देख बाबू जी और ज़ोर-2 से मेरी चूत के छेद को जीभ से चाटने लगे. मे मस्ती मे अहह ओह कर रही थी. मेरा मस्ती मे बुरा हाल हो चुका था.. मे पागलों की तरहा बिना किसी डर के चीख -2 के सिसकारियाँ भर रही थी.
चूत मे आग इस कदर बढ़ गयी थी. कि पूरी तरहा गरम हो चुकी थी. और बेड शीट को छोड़ कर मस्ती मे अपने ही बालों को नोचने लगी. मेने अपने होंटो को अपने दाँतों से ज़ोर-2 से काटना चालू कर दिया. और अपने सर को इधर उधर पटकते हुए बाबू जी से रुकने के लिए कह रही थी. पर बाबू जी पर मेरी किसी बात का असर नही हो रहा था.
ये तो बस शुरुआत भर थी. बाबू जी मेरी चूत और फांकों को जीभ से चाट रहे थे. फिर बाबू जी ने मेरी चूत की छोटी -2 फांकों को अपने होंटो मे कस कर खींचना चालू कर दिया. बाबू जी की ये हरकत मुझे और गरम कर रही थी.
फिर थोड़ी देर बाद बाबू जी ने अपना मुँह हटा लिया. और मेरी चूत की फांकों को अपने हाथों से पूरी तरहा खोल कर फैला दिया. और अपनी चमचमाती आँखों से देखने लगे. मे बाबू जी के सामने अपने जाँघो को फैलाए अपनी चूत उन्हे दिखा रही थी.
मे: बुसस्स्स बाबूजीए आब्ब्ब और्र्रर नही.
बाबू जी ने एक बार मेरी तरफ देखा. और फिर मुस्कराते हुए मेरी चूत को देखने लगे. और एक दम से झुक कर मेरी चूत के (क्लिट) उभरे आए दाने को मुँह मे भर लिया. मेरा बदन एक दम से अकड़ गया. दिल की धड़कन बंद हो गयी. जैसे अभी मेरी जान मेरी चूत से निकल जाएगी.
मेने अपनी आँखों को बंद करके अपनी साँसों को रोक लिया. मेरा पूरा बदन कांप रहा था. पर मे ज़्यादा देर अपने आप को रोके ना रख सकी. जैसे ही मेने साँस ली. मेरे मुँह से चीख निकल गयी. और पूरे कमरे मे गूँज गयी.
मे: (चिल्लाते हुए) अहह बाबू जीईई मे पागल हो जौंगीए अहह छोड़ डूऊऊ बुसस्स कारूव अहह ओह सीईईईई बाबू जीईई बुसस्स बुसस्स कारूव बुसस्स्स्स
बाबू जी मेरी बातों को अनसुना करते हुए मेरी चूत के क्लिट को मुँह मे भर कर चूस्ते रहे. मे एक दम पागल हो चुकी थी. और मेरी गांद बेड से 2-3 इंच ऊपेर की तरफ उछलने लगी. मेने अपने बालों को ज़ोर-2 से नोचना चालू कर दिया. मेरा बदन एंथने लगा. मे एक बार फिर से झड़ने के करीब थी.
मे अपनी गांद को उछालते हुए झड़ने लगी. बाबू जी ने अपना मुँह मेरी चूत से नही हटाया. मेरी चूत से पानी की नदी निकलने लगी. और मे पस्त होकर बेड पर लेट गयी. बाबू जी ने अपना मुँह मेरी चूत से हटा लिया. और घुटनो के बल बैठ गये.
मेने अपनी आँखों को बड़ी मुस्किल से खोल कर बाबू जी की तरफ देखा. उनके होंटो पर मेरी चूत का काम रस लगा हुआ था. बाबू जी मेरे ऊपेर झुक गये. और मेरे होंटो को अपने होंटो मे ले लिया. मेरे मुँह मे मेरी ही चूत के रस का स्वाद घुल गया. पहले थोड़ा सा अजीब लगा. पर फिर धीरे-2 मुझे मज़ा आने लगा. अभी मेरी चुचियो के निपल्स को मसल रहा था. और मे बाबू जी से अपने होंटो को चुस्वा कर मज़ा ले रही थी. मे दो बार झाड़ चुकी थी. पर फिर भी जवानी के कारण फिर से गरम होने लगी. बाबू जी का लंड मेरी चूत की फांकों पर रगड़ खा रहा था.
अभी ने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर लंड के सुपाडे को मेरी चूत के छेद पर टिका दिया. जैसे ही अभी के लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के छेद पर लगा. मेरे बदन मे करेंट दौड़ गया. मेने अपनी बाहों को अभी की पीठ पर कस लिया.
मे: अहह बाबू जीई बहुत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त मज्जा आ रहा है. ओह बाबू जीईए (अपने होटो को बाबू जीके होंटो से हटाते हुए)
बाबू ने झुक कर मेरी एक निपल को मुँह मे लिया. और चूसना चालू कर दिया. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. बाबू जी के लंड का गरम सुपाड़ा मेरी चूत के छेद पर लगा हुआ था. मेरी चूत बाबूजी के लंड को महसूस करके सिकुड और फेल रही थी.
बाबू जी मेरी चुचियो को कस कस के चूस रहे थे. मेरी चुचियो के निपल्स कड़े होकर कर तन चुके थे. मे मस्ती मे अहह ओह कर रही थी. और बाबू जी की पीठ पर अपने हाथों से सहला रही थी. और अपनी चूत को ऊपेर की तरफ बाबू जी के लंड पर दबाने लगी.
मे: अहह बाबू जीईए करो नाआ .
बाबू जी: क्या करूँ मेरे रानी.
मे: आह वही जो अप्प्प माआ के सथ्ह्ह्ह करते हैंन्न्न्
बाबूजी: तो ठीक से बोल ना…
मे: आहह बाबू जीए मेरी ले लो.
बाबू जी: क्या ले लूँ तुम्हारी.
मे: अहह बाबू जीए चूत अहह जल्दीीई सीईए चोदो नाअ.
मेरी ऐसी रंडी जैसी बातों को सुन कर बाबू जी के होंटो पर मुस्कान आ गयी. और मेरी चूत पर अपने लंड को पकड़ कर लंड का सुपाड़ा रगड़ते हुए बोले.
बाबूजी: चोदु तुम्हें
मे: हाँ बाबू जीए..
बाबूजी: देख ले पहली बार थोड़ा दर्द होता है.
मे: अहह कोई बात नही बाबू जी.
बाबूजी: तो चीखना मत
मे: आह ठीक है बाबू जी.
अभी ने मेरी बगलों से अपनी बाहों को निकाल कर मेरे कंधों को कस के पकड़ लिया. और एक ज़बरदस्ता धक्का मारा.. बाबू जी का लंड मेरी चूत के टाइट छेद को फैलता हुआ सुपाडे तक अंदर घुस्स गया. मे दर्द से चिल्ला उठी. और छूटने के लिए छटपटाने लगी.
पर बाबू जी ने मुझे कस के पकड़ रखा था. मे ज़रा भी नही हिल पे. और बाबू जी के नीचे लेटी हुई कसमसाती रही. दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी.
मेरी आँखों के सामने एक पल के लिए अंधेरा सा छा गया. और आँखों मे आँसू आ गये. मे बाबू जी के नीचे से निकलने के छटपटा रही थी. उनसे उनका लंड निकालने के लिए कह रही थी.
मे: हाए अममाआ माराआआ डआलाआअ. ओह्ह्ह्ह ओह बाबू जीए इसे निकाल लो आह मरी रीए अहूओ माआ बहुत दर्द हूऊओ रहा है.
मुझे यूँ अपने नीचे चटपटाते हुए नीचे निकलने के कॉसिश करता देख. बाबू जी ने मुझे और ज़ोर से अपनी बाहों मे कस लिया. और एक के बाद एक 3 और जबरदस्त धक्के मारे. बाबू जी का मोटा लंड मेरी कुँवारी चूत की सील को तोड़ता हुआ. मेरी चूत को फाड़ कर पूरा अंदर घुस्स चुका था. और सीधा मेरी बच्चे दानी से जा टकराया.
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