RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
और अभी नेहा के होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ाने लगा. नेहा का फेस और गाल एक दम लाल सुर्ख हो कर दहक रहे थे. नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली. अभी ने एक बार मुस्करा कर नेहा के भोले मासूम फेस को देखा और फिर अपने होंटो को नेहा के होंटो पर रख दिया. नेहा अभी की बाहों मे छटपटा उठी. और अभी के कंधों पर रखे हुए उसके हाथ खिसक कर अभी की पीठ पर आ चुके थे.
थोड़ी देर बाद अभी ने अपने होंटो को नेहा के होंटो से हटाया. और नेहा को देखने लगा. नेहा ने अपनी भारी हो चुकी आँखों को बड़ी मुस्किल से खोला और अभी की तरफ शर्मा कर देखते हुए बोली.
नेहा: (मदहोशी से भरी कांपती आवाज़ मे) अब तो छोड़ दो बाबू जी,
अभी: क्या छोड़ दो. किस तो ढंग से करने दिया नही. होंटो को थोड़ा खोलना तो था. तभी तुम्हारे होंटो को चूस पाता. अब चल अपने होंटो को खोल मुझे ठीक से तेरे होंटो का रस चूसना है.
नेहा: (अभी की बात सुन का शर्मा गयी. और अपने आँखें झुका ली) मुझे वो शरम आती है बाबू जी.
अभी: अच्छा शरम आती है. जब छुप-2 कर मेरे रूम मे झाँकने के कॉसिश करती है तब कहाँ चली जाती है शरम. देख मे तुम्हारी मा को बता दूँगा. कि उस रात मेने तुझे मेरे रूम मे तन्क झाँक करते हुए पकड़ लिया था.
नेहा: (घबराती हुई) नही बाबू जी मा को मत बताना. वो तो मे मा की आवाज़ सुन कर आई थी. मेने अंदर कुछ नही देखा.
अभी: (नेहा के भोले पन पर मुस्कुराते हुए) अच्छा नही देखा. तो ये बता दो तुमने क्या सुना. नही तो मे सच मे रचना को बता दूँगा.
नेहा: (घबराते हुए) वो मा शायद दर्द के कारण चीख रही थी.
अभी: तो क्या मे तुम्हारी मा को मार रहा था. जो वो चीख रही थी.
नेहा: (नेहा बुरी तरहा घबरा चुकी थी. उसके चेरे का रंग उड चुका था) नही बाबू जी मेने ऐसे नही कहा.
अभी: तो चल मे जैसे कहता हूँ वैसे कर मे रचना को नही बताउन्गा.
नेहा ने हां मे सर हिला दिया.
अभी: अब मेरी बातों को सच-2 जवाब देना. अच्छा ये बता जब मे तुम्हारे होंटो को चूमता हूँ कैसा लगता है.
नेहा: (शरमाते हुए) मुझे शरम आती है कहने मे.
अभी: देख अब अगर तूने सही से जवाब नही दिया. तो मे सच मे अभी रचना को बता दूँगा.
नेहा: (शरमाते हुए काँपते होंटो से) जी अच्छा लगता है.
अभी: फिर तुम इतने नखरें क्यों करती हो.
नेहा: (अपने गले मे थूक गतकते हुए) वो मुझे शरम आती है. और मा को पता ना चल जाए. इस लिए.
अभी: अच्छा अब तू मेरे होंटो को चूस के बता. देख अपने होंटो को थोड़ा सा खोल कर मेरे दोनो होंटो को एक-2 करके अपने होंटो मे लेकर चूस.
नेहा अभी की बात सुन कर थोड़ा झेंप गयी. और फिर अपने गले मे अटके थूक को गटकते हुए एक गहरी साँस ली. और फिर अपनी आँखों को बंद करके अपने होंटो को थोड़ा सा खोल कर अपने थरथरा रहे होंटो को अभी के होंटो की तरफ बढ़ाने लगी. अभी ने नेहा की स्कर्ट को धीरे -2 ऊपेर कमर तक कर दिया. और नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से पकड़ लिया. नेहा के बदन ने एक दम से झटका खाया, और नेहा के मुँह से आह निकल गयी.
नेहा ने अपने वासना मे थरथरा रहे होंटो को अभी के होंटो पर रख दिया. और धीरे -2 अभी के नीचे वाले होंट को रुक-2 कर किस करने लगी. नीचे अभी नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से अपने दोनो हाथों मे थामें धीरे-2 मसल रहा था. शायद इस लिए नेहा रुक-2 कर अभी के नीचले होंटो को चूस रही थी. टंकी वो ठीक से साँस ले पाए.
मे नेहा की किस्मत देख कर एक दम जल भुन गयी. काश मेरा पति भी मुझे इतने प्यार से पहली बार चोदता. मेरे कुंवारे पन को प्यार से भंग करता. नेहा ने अब अभी के नीचले होंट को अपने होन्ट मे लिया. और धीरे-2 चूसने लगी. फिर थोड़ी देर बाद नेहा ने अपने होंटो को अभी के होंटो से हटा लिया. और अपनी आँखों को खोल कर अभी की तरफ देखते हुए बोली.
नेहा: बाबू जी अब तो मुझे छोड़ दो.
अभी: अभी तो मेने तुम्हारे होंटो को चूसा ही नही.तुम ने तो मेरे होंटो को चूस कर मज़ा ले लिया. अब मेरी बारी आई तो छोड़ दो.
नेहा अभी की बात सुन कर हस पड़ी. और फिर अपने हस्ने पर शर्मा कर उसने अपने सर को झुका लिया. अभी ने नेहा के होंटो की तरफ अपने होंटो को बढ़ा दिया. और नेहा का सर ऊपेर करके होंटो को खोलने के लिए कहा. नेहा ने बिना कोई इतराज किए अपने सर को उठ लिया और आँखों को बंद करके अपने कांप रहे होंटो को थोड़ा सा खोल लिया.अभी के होंटो पर कमीनी मुस्कान आ गयी.
और अभी ने नेहा के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया. और नीचे अपने दोनो हाथों से धीरे-2 नेहा के चुतड़ों को पॅंटी के ऊपेर से मसलने लगा. नेहा अभी की बाहों मे कस्मसाये जा रही थी. अभी नेहा के होंटो को खूब तबीयत से चूस रहा था. और नेहा भी अपने होंटो को ढीले छोड़ कर अभी के कंधों के ऊपेर से अपनी बाहों को अभी की पीठ पर कसे हुए चुस्वा रही थी. ये सब देख कर मेरी चूत पनिया गयी थी.
अभी ने जी भर के नेहा के होंटो को चूसा. और फिर अपने होंटो को नेहा के होंटो से हटा लिया. नेहा तेज़ी से साँसे ले रही थी. नेहा अपनी आँखों को शरम के मारे खोल नही पा रही थी.
अभी: क्या हुआ नेहा.
नेहा: (आँखों को धीरे-2 खोलते हुए) कुछ नही.
अभी: मज़ा आया.
नेहा ने शर्मा कर हां मे सर हिला दिया
अभी ने नेहा के चुतड़ों को मसलते हुए अपने हाथ की एक उंगली को उस छोटी सी वशेप पॅंटी के एक साइड से अंदर डाल दिया. नेहा एक दम मचल उठी.
नेहा: अह्ह्ह्ह बाबू जी.
अभी: बोल दे गी मुझे.
नेहा अपने नंगे चुतड़ों पर अभी के हाथ को महसूस करके कस्मसाने लगी. उसकी साँसें फूलने लगी थी. और उसका फेस एक दम लाल हो चुका था.
नेहा: क्या बाबू जी.
अभी: एक मिनिट अभी बता हूँ.
और अभी ने नेहा के चुतड़ों को पकड़ कर नेहा को थोड़ा सा ऊपेर उठा दिया. और अपने एक हाथ की उंगली को वशेप पॅंटी की साइड से घुसा कर कुछ टटोलने लगा. शायद वो नेहा की चूत का छेद ढूँढ रहा था. तभी नेहा के मुँह से अहह निकल गयी.
नेहा: अहह माईईए रीए ओह बाबू जीईए मुझे कुछ हो रहा हाईईईईई. वहाँ से हथ्ह्ह्ह हटा लूओ.
अभी नेहा की पॅंटी के अंदर से उसकी चूत को उंगलियो से सहलाने लगा. नेहा आह सीईइ ओह्ह्ह्ह कर रही थी.
अभी: बोल देगी ना ये मुझे.
नेहा: अह्ह्ह्ह बाबू जीई नहियीईई मत करूओ.
अभी: तो जल्दी बोल
नेहा: नही बाबू जीए नहिी ह उईमाआ ओह
अभी: क्यों मज़ा नही आ रहा .
नेहा: नहियीई बाबू जीईए माआ को पता.
अभी: (नेहा को बीच मे टोकते हुए) तो क्या हो जाएगा. साली बात-2 पर मा को बीच मे क्यों ले आती हो. वो साली तो खुद उछल-2 कर मेरे लंड को अपनी चूत मे लेकर चुदति है.
नेहा हैरानी से अभी को देखने लगी. उसके फेस का रंग उड़ गया था.
नेहा: क्या बाबू जी.
अभी: उस रात जब तूने अपनी मा के मस्ती भरी सिसकारिया सुनी थी. तब वो मेरे ऊपेर उछल-2 कर मेरे लंड से अपनी भोसड़ी को चुदवा रही थी. बोल तू मुझ से चुदवाये गी.
नेहा: नही बाबू जी. आप बहुत गंदे हो. मेरी मा के बारे मे ऐसे बोल रहे हो..
अभी: सच कह रहा हूँ. और अब तुझको रात दिन चोदुन्गा.
नेहा: तो क्या मा ऐसी है.
अभी: नही हर औरत का मन करता है चुदवाने का. और तेरे मा भी तो अभी जवान है. अब वो बाहर जाकर किससे अपनी प्यास बुझाए. एक बात याद रखना “औरत धन के बिना रह सकती है. पर लंड के बिना नही” बोल चुदवाये गी मुझसे. मे तुझे अपने दिल की रानी बना कर रखूँगा.
नेहा: अहह नही बाबू जीए वहाँ से हथ्ह्ह्ह्ह हटा लो मुझे कुछ हो रहा है.
अभी: पहले बोल चुदेगी कि नही मुझसे..
नेहा: नही बाबू जी. अगर कुछ हो गया तो.
अभी नेहा की पॅंटी के अंदर से नेहा की चूत को ज़ोर -2 मसलने लगा. नेहा अभी की बाहों मे एक दम से तड़प उठी.
नेहा: ओह बाबू जीए मत करूओ ओह बुसस्स बाबू जीईई मुझे कुछ होता हाईईइ ह उईमाआ माआआआ ओह उंह बाबू जीए.
अभी: क्या हो जाएगा.
नेहा: बच्चा बाबू जी.
अभी: तुम क्यों फिकर कर रही हो. मे कुछ ग़लत नही होने दूँगा.
अभी ने नेहा के चुतड़ों से हाथों को हटा लिया. और नेहा के तरफ देखते हुए बोला.
अभी: अच्छा अब तुम नीचे चलो मे अभी आता हूँ. और चुप कर मेरे रूम मे देखना जब तुम्हारी मा मुझसे चुदति है. तो कैसे मस्त रंडी की तरहा मेरे लौदे को अपनी चूत मे लेकर मेरे लंड पर कैसे उछलती है. और देखना कैसे चुद-2 कर मज़ा लेती है. और अगर दिल करे तो मुझे बता देना. आज रात को तुम्हारी चूत को भी अपने लंड का स्वाद चखा दूँगा. फिर देखना तुम भी मुझ से रोज चुदवाने की भीख माँगों गी
जैसे ही नेहा अभी के ऊपेर से उठी. तो उसके चूतड़ मुझे साइड दिखाई दे गये. उसकी पॅंटी उसके काम रस से पूरी तरहा से भीगी हुई थी. नेहा की स्कर्ट उसकी कमर मे अटक गयी थी. नेहा ने अपनी स्कर्ट को ठीक किया. और तेल की बॉटल उठाने लगी.
मे जल्दी से नीचे आ गयी. थोड़ी देर बाद जब नेहा नीचे आई. तो उसके फेस पर अभी भी वासना सॉफ झलक रही थी. मे किचन मे थी. ताकि वो समझे मे दोपहर का खाना बना रही थी. मेने नेहा को आवाज़ दी.
मे: नेहा इधर आना.
नेहा किचन मे आ गयी.
मे: क्या हुआ नेहा. कुछ परेशान सी लग रही है.
नेहा: ( हड़बदाते हुए) वो वो कुछ नही कुछ नही वो मा मे थक गयी. मुझे रात को ठीक से नींद नही आई थी.
मे: (अपने हँसी को दबाते हुए) कोई बात नही तू जाकर लेट कर आराम कर ले मे खाना बना लेती हूँ.
नेहा रूम मे चली गयी. मेने दोपहर का खाना बनाया. और अभी के रूम मे गयी.अभी अपने कंप्यूटर मे कुछ कर रहा था.अभी मेरी तरफ देखने लगा.
मे: बाबू जी खाना लगाऊ.
अभी: (कुछ देर सोचने के बाद) नेहा कहाँ हैं.
मे: अपने रूम मे सो रही है.
अभी: (फिर से कुछ देर सोचने के बाद) जा उसे उठा कर खाना दे कर मेरे रूम मे आ जा.
मे: आप का खाना भी लगा दूं.
अभी: नही जैसे मेने कहा है वैसे ही कर.
मे : ठीक है बाबू जी.
और मे किचन मे आ गयी. और सोचने लगी, आख़िर बाबू जी के दिमाग़ मे क्या चल रहा है, मेने एक प्लेट मे खाना डाला. और अपने रूम मे आ गयी. नेहा पलंग पर लेटी सो रही थी. उसकी स्कर्ट उसकी जाँघो तक तक चढ़ि हुई थी. उसकी गोरी चिकनी जांघे सच मे किसी को भी पागल बना सकती थी. मेने पास पड़े छोटे से टेबल पर खाने की प्लेट को रखा. और प्लन्ग पर बैठ गयी.
मेने नेहा के माथे पर बिखरे हुए बालों को ठीक किया. और उसे आवाज़ दी. नेहा थोड़ा सा घबरा कर उठ गयी. और मुझे अपने पास यूँ बैठा देख कर बोली.
नेहा: क्या हुआ मा.
मे: कुछ नही. उठ कर खाना खा ले. मुझे बाबू जी ने बुलाया है. मे अभी उनसे पूछ कर आती हूँ.
मे उठ कर अभी के रूम मे आ गयी. अभी मेरा ही इंतजार कर रहा था. मुझे देखते ही. उसने आगे बढ़ कर मुझे अपने पास खींच लिया. और मेरे चुतड़ों को ज़ोर -2 से मसलने लगा. मे एक दम आह कर उठी.
मे: अहह बाबू जीए क्या कर रहे हैं. डोर खुला है और नेहा नीचे है.
अभी: तो क्या हुआ उसी साली ने सुबह से लंड खड़ा कर रखा है. चल नीचे बैठ कर मेरा लौदा चूस.
मे: बाबू जी पहले डोर तो बंद कर दो.
अभी: साली उसी को तो आज चुदाई का खेल दिखाना है. और तू नखरे कर रही है. चल जल्दी कर अब ये शरम छोड़ दे. आज तेरी बेटी की सुहागरात है मेरे साथ. फिर कल से जब चाहे खुले आम मेरा लौदा अपनी भोसड़ी मे लेकर चुदवा लेना.
क्रमशः.................
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