RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................
सुबह के 6 बज चुके थे…मे अभी भी जागा हुआ था…अचानक नीलम मामी करवट लेकर सीधी हो गयी…और फिर उठ कर बैठ गयी…मे अपनी आँखों को बंद किए हुए था… पर थोड़ा सा आँख खोल कर देख रहा था…मे उसके फेस के रिक्षन को नोट करना चाहता था पर. उसके फेस पर तो कोई भी भाव नही थे…
नीलम मामी ने मेरे हाथ को अपने हाथ से हटा कर नीचे रख दिया…और उठ कर चली गयी…मामी की जाते ही मे भी उठ गया…और पढ़ने लगा…
मे 8 बजे तक पढ़ता रहा…तभी रवि रूम मे आया…
रवि: अभी भैया.. पापा नीचे बुला रहे हैं…
मुझे पता ही नही चला कि मोहन मामा कब घर पर आ गये…रवि और हेमा दोनो स्कूल जाने के लिए तैयार थे…जैसे ही मे नीचे आया..
मामा: बेटा मे अब बच्चो को स्कूल छोड़ कर ऑफीस जा रहा हूँ…तुम नाश्ता करके एक बार अपने एग्ज़ॅम सेंटर को देख आओ…ताकि एग्ज़ॅम के दिन ढूँढना ना पड़े…
और मोहन मामा बच्चो को लेकर चले गये…मे डिन्निंग टेबल पर बैठ गया…नीलम चाइ और नाश्ता प्लेट मे लगाने लगी…मे नीलम की आँखों को पढ़ने के कॉसिश कर रहा था…पर पूरा टाइम मेरी नज़रें उससे नही मिली…नाश्ते के बाद मे बाहर आ गया…और जिस कॉलेज मे मेरा एग्ज़ॅम होना था…उसे ढूँढने निकल पड़ा…जब मुझे एग्ज़ॅमिंटेशन सेंटर मिल गया…तो मे घर वापिस आ गया...मे थोड़ी देर हाल मे बैठ नीलम को घर का काम करते हुए देखता रहा…पर वो अपने काम मे व्यस्त थी…हां बीच-2 मे एक दो बार उसने ये ज़रूर पुछा कि भूक तो नही लगी…
मुझे सारा कुछ मिट्टी मे मिलता नज़र आ रहा था…आख़िर कार मेने अपने मन को समझा लिया..था कि वो सुबह शायद ज़्यादा थॅकी हुई थी..इसलिए उन्होने ने सोने से पहले ये नही देखा कि वो कहाँ सो रही हैं…
मे उठ कर अपने रूम मे आ गया…और पढ़ने लगा…दोपहर के 3 बज रहे थे..मे काफ़ी देर तक पढ़ता रहा, फिर मुझे नीचे से बच्चो का शोर सुनाई दिया.. मेने सोच चलो रवि आ गया है…नीचे जाकर उसके साथ वीडियो गेम खेलता हूँ. मे नीचे आकर बैठ गया. रवि और नेहा के साथ नीलम ने मुझे भी खाना दिया…खाना खने के बाद मे रवि के साथ गेम खेलने लगा…
पर मेरा ध्यान बार-2 नीलम मामी की तरफ जा रहा था…जो सोफे पर बैठी एक मॅगज़ीन पढ़ रही थी…पर अब मे कर भी क्या सकता था…मे अपने आप को रवि के साथ बिज़ी रखने की कॉसिश कर रहा था
खैर जैसे तैसे रात हुई…अगले दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था…इसलिए मे खाना खाने के बाद सीधा ऊपेर आ गया, और पढ़ने लगा… मे रात के 12 बजे तक पढ़ता रहा. फिर मुझे नींद आने लगी…और मे बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गये.मुझे पता नही चला…पर उस दिन सोने से पहले मे 5 बजे का अलार्म सेट कर दिया था…पर मे सुबह अलार्म बजने से पहले ही उठ गया था…
जैसे ही मे उठा…मेरे दिमाग़ मे एक प्लान आया…मेने जल्दी से उठ कर अलार्म ऑफ किया और.अपना शॉर्ट्स और टीशर्ट उतार कर रख दी…मे अब सिर्फ़ अंडरवेर मे था…और मे बेड पर लेट गया. मुझे नीचे से कुछ आवाज़ आ रही थी..शायद मोहन मामा जा रहे थे.
मे अपने दिल की धड़कनो संभालते हुए इंतजार करने लगा…थोड़ी देर बाद मुझे ऊपेर चढ़ते कदमों की आवाज़ आई.मेने आँखों को हल्का सा बंद कर लिया…मे पीठ के बल लेटा हुआ था…और मेरा तना हुआ लंड मेरे अंडरवेर को आगे से ऊपेर उठाए हुए था..
तभी मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी…रूम मे 0 वाट का बल्ब जल रहा था…मे नीलम मामी को देख रहा था…वो अंदर आई और बेड के किनारे आकर खड़ी हो गयी…
उसने मुझे एक बाद देखा..मेरा फेस पर देखते हुए उसने मुझे आवाज़ लगाई…अभी अभी उठ जाओ 5 बज गये हैं…पर मे जान बुझ कर गहरी नींद मे सोने आक्टिंग करता रहा.
नीलम मामी ने मुझे दो बार और आवाज़ लगाई…पर मे टस से मस नही हुआ, और वैसे लेटा रहा…फिर वो थोड़ा सा झुक कर मुझे अपने हाथ से हिलाने लगी…पर मे ऐसे ही लेटा रहा,मुझे उठता ना देख, वो बेड के किनारे बैठ गयी…
और एक जम्हाई के साथ अंगड़ाई लेते हुए मेरी तरफ देखने लगी…
नीलम: अभी उठो ना.. देख कितना टाइम हो गया है….
पर मे जानबूझ कर थोड़ा सा कसमसा के फिर से वैसे ही लेट गया…नीलम ने मेरी ओर देखा…और फिर से जमहाई ली…उसे देख कर ऐसा लग रहा है था, कि उसे बहुत नींद आ रही थी..
फिर वो हुआ जिसकी मुझे ज़रा भी उम्मीद नही थी…वो मेरी तरफ पीठ करके लेट गयी. मेरी दिल की धड़कन बढ़ गयी…लाखों सवाल मेरे मन मे उठने लगे… क्या वो जान बुझ कर ऐसे मेरे साथ लेटी है, अगर उसे नींद आ रही थी, तो वो नीचे जाकर भी सो सकती थी..शायद वो जान बुझ कर ही सोई है…नही -2 हो सकता है..वो ज़्यादा थॅकी हुई हों…मे करीब 5 मिनट तक यही सब सोचता रहा….
आख़िर मे मेने फैंसला कर लिया…चाहे वो जो भी सोच कर यहाँ लेटी हो…पर मे ऐसा मोको हाथ से नही जाने दूँगा…मी अपने आँखें खोल कर गोर से देखा…मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नही हुआ..नीलम मामी आज सिर्फ़ ब्लाउस और पेटिकॉट मे थी..
मेरा तो लंड एक ही पल मे खड़ा हो कर झटके खाने लगा…पीछे उसकी मस्त चिकने गोरे बदन को देख कर मुझसे रहा नही गया…और मे उसकी तरफ खिसक कर उससे सॅट गया…और धीरे -2 अपने और नीलम मामी के बीच के गॅप को कम करने लगा…और कुछ ही देर मे मैं नीलम मामी के बदन से पीछे से चिपक गया…इस बार मेरा तना हुआ लंड उसकी गांद की दर्रार मे धँस गया…
मामी थोड़ा सा कसमासाई…और अपने चुतड़ों को पीछे मेरे लंड पर दबा दिया…मेरा लंड नीलम मामी के पेटिकॉट को उसकी गांद की दर्रार मे आगे सरकता हुआ…उसके चुतड़ों की दर्रार मे धँस गया…पर वो ये सब ऐसे कर रही थी…जैसे वो बहुत ही गहरी नींद मे हो…इसलिए मे कुछ भी खुल कर नही कर सकता था…
मे धीरे-2 अपनी कमर को हिला कर अपने लंड को उसकी गांद के दर्रार मे रगड़ने लगा.. वो बिना हीले दुले वैसे ही पड़ी हुई थी….नीलम मामी अब तेज़ी से साँसें ले रही थी. पर मे बिल्कुल सपस्ट नही था, कि वो जाग रही हैं…या सोई हुई हैं…
पर तब एक मेरे ऊपेर वासना के नशे का असर होने लगा था…मेने धड़केते दिल के साथ अपना एक हाथ उसकी नंगे पेट पर रख दिया…और कुछ देर लेटे रहने के बाद भी जब कोई हरकत ना हुई…तो मे धीरे-2 अपने हाथ को मामी की चुचियो की तरफ बढ़ाने लगा… और कुछ ही मिनिट मे मेरा हाथ मामी के ब्लाउस के ऊपेर उनकी चुचियो पर था..
जैसे ही मेरा हाथ नीलम मामी के ब्लाउस के ऊपेर से उनकी चुचियो पर पड़ा… मे मस्ती मे एक दम पागल सा हो गया…उनकी नरम और गुदाज चुचिया उनके तेज़ी से साँस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी… मे उनके नाक से साँस लेने के आवाज़ को भी सॉफ-2 सुन पा रहा था…
फिर मे कोई 5 मिनट तक ऐसे ही अपना हाथ उनकी चुचि पर रखें अपने लंड को उनकी चुतड़ों के दर्रार मे आगे पीछे करता हुआ रगड़ता रहा…फिर मेने हिम्मत करके धीरे-2 नीलम मामी की चुचि को अपने हाथ से सहलाना चालू कर दिया…
मे अपना सर उठा कर नीलम मामी के फेस और आँखों पर नज़र जमाए हुए था…ताकि अगर वो उठ भी जाए तो, मे अपना हाथ पीछे खींच लूँ…पर मेरे अंदर वासना का तूफान बढ़ता ही जा रहा था…
और फिर मेने अपना आपा खो कर धीरे-2 नीलम मामी के चुचि को मसलना शुरू कर दिया…वो एक पल के लिए थोड़ा सा कसमासाई…और उनके मुँह से उंह की हलकी से आवाज़ निकल गयी…पर वो ऐसे निकली जैसे वो नींद मे हो….
मे एक पल के लिए उनकी आवाज़ सुन कर अपने हाथ को वहीं रखे हुए थम गया… और जब थोड़े से इंतजार के बाद उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही हुआ…तो मे फिर से अपने हाथ से धीरे-2 नीलम मामी की मस्त चुचि को मसलने लगा…अब मेरे हाथ का दबाव उसकी चुचि पर बढ़ता जा रहा था….
मेरा तना हुआ लंड अब और ज़्यादा अकड़ चुका था…मेने अपने हाथ को नीलम मामी के चुचि से हटा कर, उनकी जाँघ पर रख दिया…और धीरे धीरे जाँघ को सहलाते हुए,नीचे आने लगा…जब मेरा हाथ उनके घुटने तक पहुचा…मेने मामी के पेटिकॉट को धीरे-2 ऊपेर उठाना चालू कर दिया…
मेरे हाथ पैर उतेजना के मारे काँप रहे थे…मे मामी के फेस की ओर सर उठा कर देखते हुए…मामी के पेटिकॉट को ऊपेर उठाने लगा…जैसे-2 उनका पेटिकॉट ऊपेर उठ रहा था,मेरे दिल की धड़कन और तेज होने लगी…धीरे-2 मेने उनके पेटिकॉट को उनकी जाँघो तक उठा दिया…और फिर एक बार मामी के फेस की ओर देखा… उनकी आँखें अब भी बंद थी…पर उनके फेस पर अजीब से भाव थे…मेने उनकी जाँघो को धीरे-2 सहलाना चालू कर दिया...
फिर मे थोड़ी देर के लिए रुका…और अपने लंड को पीछे करके, उनके पेटिकॉट को और ऊपेर उठाना चालू कर दिया…उनका पेटिकॉट अब उनकी जाँघो की जड़ो तक ऊपेर हो चुका था…और उनकी वाइट कलर के पॅंटी को देख मे और पागल हो गया…
मेने अपना सारा कुछ ताक पर रखते हुए…अपने शॉर्ट को नीचे सरका कर अपने तने हुए लंड को बाहर निकाल लिया…और उनकी पॅंटी के ऊपेर से अपने लंड को उनके चुतड़ों की दर्रार मे रगड़ने लगा…मे अब पूरी तरहा मस्त हो चुका था…
मेरा दिल कर रहा था, कि मे अभी मामी की पॅंटी को निकाल कर अपना लंड उनकी गांद के छेद मे पेल दूं…और खूब कस कस के मामी को चोदु… पर मेरी हिम्मत नही पड़ रही थी… और मामी भी कुछ सिग्नल नही दे रही थी…अब मेरे लंड की नसें फूलने लगी थी…
मेरा लंड अब अपना पानी छोड़ने वाला था…मे मामी के बदन से एक दम चिपक गया…मेरे लंड का सुपाड़ा मामी की पॅंटी को उनकी दरार मे पेलता हुआ…उसकी गांद के छेद मे पॅंटी के ऊपेर से सॅट गया….
इसबार फिर मामी के मुँह से उंह की आवाज़ निकल गयी…मेने अपने हाथ को आगे लेजा कर उनकी चुचि पर ब्लाउस के ऊपेर से रख दिया…और अपनी कमर को धीरे-2 हिलाने लगा.. अचानक मुझे अपने बदन का सारा खून अपने लंड की नसों मे इकट्ठा होता महसूस होने लगा….और मेरे लंड से वीर्ये की बोचार होने लगी…मेरा पूरा बदन काँप गया…
जब मुझे होश आया…तो मेरी डर के मारे गांद फटने लगी…मे जल्दी से पीछे हो गया…और बेड से उठ कर एक कपड़े को उठा कर बेड पर आ गया, और पहले अपने लंड और बेड पर गिरे वीर्ये को सॉफ किया…फिर मामी के जाँघो को बढ़े ध्यान से सॉफ किया.. मामी की पॅंटी तो मेने सॉफ कर दी..पर मेरे वीर्ये से कुछ गीली हो गयी थी…मेने हल्के हाथ से मामी के पेटिकॉट को नीचे कर दिया…और बेड पर लेट गया…
करीब 10 मिनट बाद नीचे से रवि की आवाज़ आई… ममा ममा कहाँ हो आप…. मे अपनी आँखें बंद किए लेटा हुआ था…और थोड़ी सी आँखें खोल कर नीलम मामी को देख रहा था…नीलम मामी बेड पर उठ कर बैठ गयी…मामी ने एक बार मेरी तरफ देखा.. उनके फेस पर कोई एक्सप्रेशन नही था…जिससे मुझे पता चल सकें कि.. वो सोई हुई थी..
या जाग रही थी….
फिर मामी उठ कर खड़ी हो गयी,और अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गयी…मेने राहत के साँस ली… उस दिन मेरा पहला एग्ज़ॅम था, और मामी के जाते ही, मे उठ कर खड़ा हो गया, और बाथरूम मे घुस गया….
जब मे फ्रेश होकर नीचे आया, तो मोहन मामा वापिस आ चुके थे…रवि और हेमा स्कूल जाने के लिए तैयार थे…और डिन्निंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे…
मामा: (मुझे देखते हुए) अर्रे आओ अभी…बैठो नाश्ता कर लो… नीलम अभी का नाश्ता भी ले आओ…
मे मामा के सामने वाली चेर पर बैठ गया….इतने मे नीलम मामी भी मेरा नाश्ता प्लेट मे डाल कर ले आई…
मामा: और सूनाओ अभी…एग्ज़ॅम के लिए तैयार हो ना…
मे: जी हां मामा…
मामा: गुड अब अच्छे से एग्ज़ॅम लिखना…
मे: जी मामा….
मामा और बच्चो ने नाश्ता कर लिया था…मेरा अभी बाकी था…मामा और बच्चे नाश्ते के बाद स्कूल के लिए निकल गये….
जब मेरा नाश्ता ख़तम हुआ, तो नीलम मेरी खाली प्लेट उठाने आई…मेने मामी की आँखों मे झाँकने की कॉसिश की…कहीं तो कोई हिंट मिल जाए..पर वो मेरी तरफ एक बार देख कर बोली और कुछ चाहिए….और मुझे उनकी आँखों मे कोई हिंट नही मिला…वो मुझसे ऐसे पेश आ रही थी, जैसे कुछ हुआ ही ना हो…
मे अपने सर को झटकते हुए खड़ा हुआ, और अपने एग्ज़ॅम के तैयारी कर घर से एग्ज़ॅमिनेशन सेंटर की तरफ निकल पड़ा…मेरा एग्ज़ॅम अच्छे से हो गया… मे 12 बजे तक एग्ज़ॅम दे कर फ्री हो गया…और जल्दी से घर की तरफ चल पड़ा…
क्योंकि मुझे मालूम था, कि नीलम मामी इस समय घर पर अकेली होगी…शायद उनसे कुछ बात ही बन जाए…आधे घंटे मे घर के बाहर खड़ा था…मेने डोर बेल बजी. थोड़ी देर बाद नीलम मामी ने गेट खोला…
नीलम: (मुझे देखा कर) आ गये कैसा हुआ एग्ज़ॅम
मे: (घर के अंदर आते हुए)जी बहुत अच्छा हुआ…
नीलम: तुम बैठो मे तुम्हारे लिए चाइ बनाती हूँ….
मे: नही मामी चाइ रहने दो…बस एक ग्लास पानी दे दो…
नीलम किचन मे चली गयी…और एक ग्लास पानी ले आई…मेने पानी पाया,और नीलम की आँखों मे झाँकते हुए, पानी का ग्लास नीलम मामी को पकड़ा दिया…
पर नीलम मामी ने मेरी तरफ देखा तो सही…पर मे जो उनकी आँखों मे ढूँढ रहा था…वो मुझे नही मिला…मे उदास सा होकर सोफे पर बैठ गया…नीलम मामी ग्लास रख कर वापिस आ गयी. उनके हाथ मे सब्जी थी…जिसे वो मेरे सामने सोफे पर बैठ कर काटने लगी…
हम दोनो इधर उधर के बातें करते रहें…पर मेरी ज़रा भी हिम्मत नही हुई, कि मे उनसे सुबह की बात कर सकूँ…मे हार कर ऊपेर आ गया…और बेड पर लेट गया…मुझे कब नींद आ गयी…मुझे पता नही चला…
दोपहर के 3 बजे रवि ने मुझे ऊपेर आकर उठाया…मे उठ कर बैठ गया…
अभी: भैया मम्मी नीचे खाने के लिए बुला रही हैं….
मे उठ कर रवि के साथ नीचे आ गया…और नीचे आकर खाना खाने लगा…खाना खाने के बाद मे रवि के साथ वीडियो गेम खेलने लगा…नीलम मामी कल की तराहा सोफे पर बैठ कर मॅगज़ीन पढ़ रही थी…
मे बार-2 नीलम मामी को देख रहा था…ताकि मेरी नज़रों से उनके नज़र मिले.. शायद कुछ बात बन जाए…पर कोई फ़ायदा नही..मे अपने ध्यान को वीडियो गेम पर लगाने लगा…
वीडियो गेम खेलते -2 करीब आधे घंटे के बाद मेने फिर से नीलम मामी की तरफ देखा…पर इसबार मेरे दिल मे कुछ हलचल से हुई…नीलम मामी मेरी तरफ देख रही थी. पर जैसे ही मेने उनकी तरफ देखा. वो मॅगज़ीन मे देखने लगी…
मेरे दिमाग़ के घोड़े एक बार फिर से दौड़ने लगी…हां-2 वो मेरे तरफ देख रही थी…पर इसमे ऐसे किया खास बात है…हो सकता है उनका ध्यान ऐसे ही मुझ पर पड़ गया हो. जाने फिर वो मुझे नही रवि को देख रही हो…
ये सब बातें सोच-2 कर दिमाग़ का कबाड़ा बन चुका था….आख़िर मे उठ कर ऊपेर अपने रूम मे आ गया…और अगले दिन के एग्ज़ॅम के तैयारी करने लगा…और काफ़ी देर तक पढ़ता रहा…शाम कब ढल गयी..मुझे पता नही चला…
रात के 9 बजे मुझे नीचे से मोहन मामा की आवाज़ आई…मे रूम से बाहर आकर नीचे देखने लगा..
मामा: (मुझे देखते हुए) अभी बेटा नीचे आकर खाना खा लो…फिर बाद मे पढ़ लेना…
क्रमशः.................
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