RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
नेहा ने अभी के हाथ से ड्रेस ले ली…और उसे देखने लगी…फिर वो नीचे सर झुका कर बोली
नेहा: पर ये तो बहुत छोटी है….
अभी: हां पर आज कल बड़े शहरों मे लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती हैं…
नेहा चुप हो गयी…और उस ड्रेस को अपने रूम मे ले गयी…उसके बाद अभी ने दोसरा बॅग खोला..और उसमे से उसने दो नाइलॉन की नाइटी निकाली…एक रेड कलर के थी…और दूसरी वाली ब्लू कलर की थी…अभी साथ मे 4 सेट ब्रा और पॅंटी के भी ले आया था…2 मेरे लिए और 2 नेहा के लिए…चारो पॅंटी वी शेप थी…मेने ऐसे पॅंटी पहली बार देखी थी…अगर इसे पहनो तो भी पीछे से पूरे चुतड़ों के दर्शन हों और आगे की तरफ से मुस्किल से चूत की फांकों को ढक पाए…
अभी: जाओ इसे रख आओ और खाना लागो..बहुत भूक लगी है…मे अपने रूम मे बॅग्स को रख आई…और खाना टेबल पर लगा कर खुद भी खाना खाने लगी…जब हम तीनो ने खाना खा लिया…तो हमने रात 11 बजे तक टीवी देखा…मेने नेहा को बोल दिया कि वो जाकर सो जाए…मे यहीं नीचे सो जाउन्गि…नेहा मुझे अजीब से नज़रों से देखते हुए रूम मे चली गयी…जैसे ही नेहा रूम से बाहर गयी…अभी ने उठ कर डोर लॉक कर दिया…मेने सुबह वाला पेटिकॉट और ब्लाउस पहना हुआ था…मे नीचे बैठी अभी को देख रही थी…अभी ने गेट लॉक करते ही अपना शॉर्ट्स और अंडरवेर उतार दिया..और टेबल पर फेंक दिया…अभी का लंड मेरी आँखों के सामने हवा मे झटके खा रहा था…
अभी: अब चल भी साली बैठी ही रहेगी…जल्दी अपने कपड़े उतार…
मेरी तो चूत मे सुबह से ही आग लगी हुई थी…मे जल्दी से खड़ी हुई…और अपने ब्लाउस के बटन को खोलने लगी..जैसे ही मेरे ब्लाउस के हुक्स खुले…मेरी 38 साइज़ की चुचिया उछल कर बाहर आ गयी…मेने ब्लाउस को निकाल कर टेबल पर रख दिया…और अपने पेटिकॉट के नाड्डे को खोल दिया..मेरा पेटिकॉट सरकता हुआ मेरी टाँगों मे आ गिरा..मेरे बिना झांतों की बुर लार टपका रही थी…
अभी ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच कर मुझे बेड के किनारे बैठा दिया…और अपने लंड को हाथ मे लेकर अपने लंड के सुपाडे को मेरे मुँह मे पेलने लगा..
अभी: साली चल मुँह खोल कर मेरा लौदा चूस…फिर तेरी भोसड़ी का भोसड़ा बनाता हूँ..
मेने अपने मुँह को खोल कर अभी के लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया…और अपने होंट अभी के लंड के सुपाडे को रगड़-2 कर लंड को मुँह के अंदर बाहर करने लगी..
अभी ने मेरे सर को दोनो हाथों से पकड़ लिया…और अपनी कमर हिला -2 कर मेरे मुँह मे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा..मेरे मुँह से पुcच-2 की आवाज़ आने लगी…अभी का लंड मेरे थूक से सन कर भीग चुका था…अभी ने मेरे सर को पकड़ कर पीछे कर दिया…अभी का लंड मेरे मुँह से बाहर आकर झटके खाने लगा…
अभी ने बेड के किनारे खड़े-2 मुझे बेड पर लेटा दिया…मेरी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी…अभी ने मेरी टाँगों को पकड़ कर ऊपेर करके फैला दिया…अभी ने अपने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर मेरी चूत के छेद पर टिका दिया…
अभी: ये ले साली अब मेरे लंड से चुदवाने के लिए तैयार हो जा…
और अभी ने एक ज़ोर धक्का मार कर अपने लंड को मेरी चूत मे घुस्सा दिया…मे दर्द से तिलमिला उठी…पर उस दर्द मे भी अपना ही मज्जा था…अभी ने मेरी टाँगों को मोड़ कर अपने कंधों पर रख दिया…और ज़ोर-2 से अपने लंड को मेरी चूत मे ठोकने लगा…मे दर्द और मस्ती के मिलजुले अहसास से तिलमिला उठी…मेरी चूत की आग जो सुबह से भड़की हुई थी…और ज़्यादा भाड़क गयी…अभी का लंड सुपाडे तक बाहर आकर वापिस मेरी चूत के दीवारों को रगड़ता हुआ अंदर घुस्स जाता…
मे अहह ओह्ह्ह नहिी बाबू जीईए अहह अहढ़ेर्र्र्र्ररर करोन्ंणणन् नाअ ओह कर रही थी…मेरी चूत जो कुछ देर पहले सूखी हुई थी…अब उसमे पानी आने लगा था…और अभी का लंड मेरी चूत मे फतच-2 के आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…
अभी: ह हा हा साली कलल्ल्ल टेरिइइ नेहा कीए चूत का उद्घाटन करूँगा…अह्ह्ह्ह फिर देखना मे तुम दोनो को सारा दिन अपने लंड से चोद -2 कर निहाल कर दूँगा…
मे: ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह बबुउउउ जीईए पहालीए आज्ज्जज्ज मेरे भोसड़ी क्ीईए तो आग को ठंडा कर दूऊव….
और अभी मेरी बातों को सुन कर और कस-2 के धक्के लगाने लगा…मेरे पूरा बदन अकड़ने लगा…मे झड़ने के करीब थी…मेरी सीकरियाँ पूरे रूम मे गूंजने लगी…
मे: ह बबुऊउ जीए मेरीए चूत्त्त्त्त अपनाा लावा उगलानीए वाली हाईईईई अहह अहह चोदू इसस्स सल्लीइीइ को अपनीईए गढ़ीई जैसीए लुंदड़ सीए औरर्र पेलो आह फद्दद्ड दो मेरी फुद्दिईई अहह
अभी ने अपनी स्पीड को और ज़्यादा बढ़ा दिया…और मेरी कमर झटके खाने लगी…मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया….अभी का लंड मेरी चूत के पानी से सन चुका था…अभी भी तबादतोड़ धक्के लगाते हुए…अपने वीर्ये की बोछर मेरी चूत की दीवारों पर करने लगा…और फिर एक बार अपने लंड को मेरी चूत की गहराई तक उतार कर मेरे ऊपेर निहाल हो कर गिर पड़ा….जब थोड़ी देर बाद अभी की साँसें दुरस्त हुई…अभी मेरे ऊपेर से उठ गया…और बेड के ऊपेर चढ़ कर लेट गया…मे भी अभी की बगल मे लेट गयी…और अपने दोनो के ऊपेर रज़ाई ओढ़ ली…
थोड़ी देर चुप रहने के बाद मे अभी से बोली…
मे: बाबू जी कहानी सूनाओ ना….
अभी: क्या बच्ची हो..जो तुम्हें कहानी सुनाऊ…
मे : (हस्ते हुए) नही-2 वो कहानी जो आप कल रात को सुना रहे थे…फिर आगे किया हुआ…फिर किस ख़ुसनसीब को आपका लंड नसीब हुआ….
अभी: फिर क्या था…उस रात मेने नीता को दो बार चोदा…पर उसके बाद मुझे कभी दोबारा मोका ना मिला…..
मे: फिर तो तब तो आपके लंड को चूत का स्वाद मिल चुका था..फिर ?
अभी: फिर क्या…मे चूत ना मिलने के कारण कभी-2 मूठ मार लेता…ब्लू फिल्म और किताबें और नेट पर राज शर्मा की सेक्सी कहानियाँ पढ़ कर अपने मन को तसल्ली देने लगा…पर नीता ने जो चूत का स्वाद मुझे चखाया था…मे उसे भूल नही पा रहा था…
फिर एक दिन मे अपने घर पर सोफे पर बैठा टीवी देख रहा था…हमारे घर पर एक महीने पहले ही मम्मी ने एक नयी नौकरानी को रखा था…उसका नाम कमला था…मा और पिता जी अक्सर बिज़्नेस के चक्कर मे बाहर रहते थे…उस दिन जब मे टीवी देख रहा था…तो कमला घर मे पोंच्छा लगा रही थी…वो बिहार के रहने वाली थी..उसका पति रिकक्षा चलाता था…कमला बहुत ही गीतले बदन वाली थी…उसकी हाइट 5-1 थी…थोडी सी मोटी थी…चुचियाँ एक दम भरी हुई और मुलायम थी…बस उसका रंग सांवला था…उस दिन जब वो नीचे बैठ कर पोंच्छा लगा रही थी…तो उसने अपनी सारी के पल्लू को अपनी कमर मे बाँध रखा था…उसकी 38 साइज़ के बड़ी-2 चुचिया ब्लाउस से बाहर झलक रही थी….
ये पहली बार था..जब मेने ध्यान से कमला को देखा था…जब वो पोंच्छा लगाते वक़्त मेरे पास आई तो…उसकी चुचियो को जो आधे से ज़्यादा बाहर झलक रही थी देख कर मेरा लंड मेरी शॉर्ट मे तन गया….मे एक टक उसकी चुचियो को घूरते हुए…अपने लंड को शॉर्ट के ऊपेर से मलने लगा…मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नही थी…कि कमला मुझे अपने लंड को मसलते देख ना ले…जब वो मेरे पास पहुचि…तो मेरी तरफ देखते हुए बोली….
कमला: बाबू जी अपने पैर ऊपेर कर लो…(और कमला की नज़र मेरे हिल रहे हाथ पर पड़ी..पर वो बिना कुछ बोले अपने सर को झुकाए पोंच्छा लगाने लगी)
मेने अपने पैरो को ऊपेर कर लिया…और उसकी चुचियो को देखते हुए…अपने लंड को मसलने लगा…वो पोछा लगा कर किचन मे चली गयी…और दोपहर के लिए खाना बनाने लगी…अब मेरा एक ही मकसद था…किसी भी तराहा कमला को चोदना…पर ये बात मेरी समझ से कोसों दूर थी, कि आख़िर मे उसे चोदने के लिए मनाऊ कैसे…
पर कहते है ना जहाँ चाहह होती है…वहाँ राह भी होती है…
एक दिन मेरी मम्मी ने मुझे किसी काम के लिए शिमला जाने को कहा…वहाँ किसी को बिजनेस के कुछ पेपर देने थे…पर मे कभी अकेला नही गया था…इसीलिए मम्मी ने कमला को साथ जाने के लिए कहा…कमाल ने हां कर दी…मेने मन मे ठान लिया था…आज कुछ भी हो जाए…मे कमला को अपने जाल मे फँसा कर रहूँगा…
हम दोनो बस पकड़ कर शिमला पहुच गये…वहाँ पर हमने पापा के मनेजर को पेपर दिए…और रात गुजारने के लिए होटल मे रूम ढूढ़ने लगे…पर गर्मियो के दिन होने के कारण शिमला मे बहुत से लोग घूमने आते हैं…जिसके कारण हमे कहीं रूम नही मिल रहा था…बहुत ढूढ़ने के बाद हमे एक धर्मशाला मे रूम मिला
पर रूम काफ़ी अच्छा था…हमने रूम ले लिया…रूम मे बिस्तर ज़मीन पर लगा हुआ था…रात काफ़ी हो चुकी थी…
मे : चलो बाहर चल कर कुछ खा आते हैं…बहुत भूक लगी है….
कमला: जी बाबू जी
क्रमशः.................
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