RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
गतान्क से आगे.....................5
वीनू: क्या पागलो जैसे बात कर रही है तू…..पैसो की बात नही है….देख वैसे भी वो मुझे एक लड़की के एक रात के 3000 रुपये देगा…जिसमे से 2000 लड़की ही ले जाती है…जो मे तुम्हें दे दूँगी….फिर तुम आराम से अपने घर चली जाना…सिर्फ़ पैसो की बात होती…तो मे तुम्हें कभी ना कहती…पैसे चाहे तू अभी लेकर चली जा…पर मुझे अभी तेरी ज़रूरत थी…और तुम मना कर रही हो…
मे सोच मे पड़ गयी…अब मे करूँ तो क्या करू….वीनू दीदी के हम पर बहुत अहसान थे…उन्होने ने हमे 3 महीनो तक सहारा दिया था..मेरे पति का इलाज करवा रही थी…उसने कभी भी मेरे और नेहा के बारे मे ग़लत नही सोचा था….एक बार तो उसने एक आदमी को बस यही कहने के लिए पीट दिया था…कि वो नेहा के साथ रात बिताना चाहता था…..
वीनू: क्या सोच रही है…कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही है….पर जल्दी बता उसको क्या जवाब दूं…देख 9:30 बज रहे हैं…..
अब मेरे पास दीदी की बात को टालने के लिए कोई चारा नही था….मेने धड़कते दिल के साथ हामी भर दी…और दीदी ने खुस होते हुए अभी का मोबाइल नंबर डाइयल किया…
वीनू: हेलो हां अभी….सॉरी यार इस टाइम कोई भी लड़की फ्री नही है…और जो हैं भी वो इस टाइम नही आ सकती, सुन अभी तू रचना को जानता है ना (थोड़ी देर चुप रहने के बाद)
वीनू: हाँ -2 वहीं उससे मिलेगा……….चल ठीक है तू फिर वहाँ आ जेया (पर दीदी फिर से चुप होकर उसकी बात सुनने लगी थोड़ी देर बाद) चल ठीक है मे उसे लेकर आती हूँ (और दीदी ने फोन काट दिया
मे दीदी के बात को सुन कर एक दम घबरा गयी….
मे: दीदी मे कहीं और नही जाउन्गि…मुझे डर लगता है…उसे यहीं बुला लो…और वैसे भी इतनी रात को क्या कह कर जाउन्गि…
वीनू: तू घबरा ना…मे तेरी साथ ही चलूंगी…और रात वहीं रुकूंगी…आज वो घर पर अकेला है, तू अब घर जा और जल्दी से तैयार हो जा…और गोपाल को कह देना के मे दीदी के साथ उनकी बहन के घर जा रही हूँ…उनकी बेहन के तबीयत खराब है…
और हां सुन अच्छा सलवार कमीज़ पहन लेना….
मे दिल डर के मारे जोरों से धड़क रहा था…मे उठ कर अपने घर आ गयी…मुझे देखते ही गोपाल बोले…
गोपाल: क्या हुआ आज इतनी देर क्यों लगा दी…खाना नही लाई….
मे: नही वो दीदी लेकर आ रही हैं…उनकी बहन के तबीयत अचानक से खराब हो गयी है…मुझे साथ चलने को कह रही थी…
गोपाल: तो इसमे क्या बात है चली जाओ…वैसे भी उन्होने हमारा कितना ख़याल रखा है…तू जा उनके साथ…
मे बाथरूम मे एक सलवार कमीज़ लेकर घुस गयी…मेने आज सुबह ही अपनी चूत की झांतों को सॉफ किया था…जिससे मेरी चूत एक दम चिकनी हो कर चमक रही थी..मे अभी कपड़े पहन ही रही थी…कि मुझे बाहर से वीनू दीदी की आवाज़ आई…जब मे कपड़े पहन कर बाहर आई तो…गोपाल और नेहा खाना खा रहे थे…
वीनू: चल जल्दी कर…पहले ही बहुत देर हो गये है….मेने गोपाल को कह दिया…तू कल सुबह ही मेरे साथ आएगी
और मे वीनू दीदी के साथ घर से बाहर आ गयी…बाहर महेश (वीनू दीदी का पति) बाइक पर हमारा इंतजार कर रहा था…उसने हमे देखते ही बाइक स्टार्ट की..और हम दोनो उसपर बैठ गये…वीनू दीदी सारे रास्ते मे समझाती रही…
वीनू: देख रचना तू पहली बार ऐसा काम कर रही है…मुझे पता है…कि तुझे कैसे लग रहा होगा पर एक बात का ध्यान रखान…वो जो भी कहे कर लेना…तूने कोन सा रोज -2 करना है…बस कुछ घंटों की बात है….
हम करीब 10 बजे एक कॉलोनी मे पहुच गये…ये कॉलोनी अभी नयी-2 बनी लगती थी…आबादी बहुत कम थी…मकान एक दूसरे से बहुत दूर-2 थे…चारो तरफ अंधेरा ही अंधेरा था…कुछ आगे जाने के बाद महेश ने बाइक रोक दी…हम दोनो बाइक से उतर गये…महेश बाइक लेकर वापिस चला गया…
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