RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
धीरे-2 मे और नेहा उस नये शहर की जिंदगी के अनुसार ढलने लगी…घर बहुत अच्छी तराहा चल रहा था…हम नेहा की शादी के लिए पैसे जमा करने लगे थे…मे भी नेहा के साथ घर पर बैठ कर सिलाई बुनाई का काम करने लगी…जिससे कुछ एक्सट्रा इनकम भी होने लगी…सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था….
पर होनी को नज़ाने क्या मंजूर था…एक दिन जब गोपाल घर पर आए…तो उनके चहरे पर दर्द के भाव थे…मेने उनसे पूछा कि क्या बात है….उन्होने अपने जूते उतारे, और अपना पैर दिखाने लगे….उनके पैर पर एक तरफ छोटा सा जखम हो गया था….मेने घर पर पड़ी एक क्रीम उनके पैर पर लगा दी…पर वो घाव दिन बा दिन बढ़ता ही जा रहा था…और ठीक होने का नाम नही ले रहा था….
धीरे-2 घाव इतना बढ़ गया,कि उनको काम पर जाने मे दिक्कत होने लगी…हमने बहुत इलाज करवाया पर कोई फ़ायदा नही हुआ…घाव अब बहुत ज़्यादा बढ़ गया था…वो ज़्यादा चल फिर नही पाते थे…जिसके कारण उन्हे नौकरी से निकाल दिया गया…मे और नेहा जितना कमाती थी…वो सब उनके इलाज मे ख़तम होने लगा…जमा पूंजी भी ख़तम हो गयी…अब तो घर मे खाने के लाए भी कुछ ना था, इस बेगाने शहर मे हम एक दम अकेले पड़ गये थे….रूम का रेंट देने के पैसे भी नही थे…दो महीने से रूम का रेंट नही दे पाए थे…और मकान मालिक ने कमरा खाली करने को कह दिया था…और हमे दो दिन मे कमरा खाली कर दूसरा कमरा ढूँढना था…पर दूसरा कमरा लेने के लिए भी पैसे चाहिए थे…
पर एक दिन एक राजेश नाम का आदमी हमारे रूम मे आया….गोपाल चार पाई पर लेटे हुए थे…जब गोपाल ने राजेश को देखा तो वो चारपाई से उठ कर खड़े हो गये….
गोपाल: आओ राजेश और क्या हाल है
राजेश : मे तो ठीक हूँ, आज ही गाँव से वापिस आया हूँ….तेरे बारे मे पता चला तो तेरे पास चला आया…
गोपाल: क्या बताऊ यार…हम तो रोटी के लिए तरस गये हैं…यार तू तो हमारे गाँव की तरफ का है…यार हमारी कुछ तो मदद करो….
राजेश: देख भाई तुझे तो पता है…मे अभी अभी अपनी बेहन के शादी करवा कर आ रहा हूँ…मेरा हाथ भी बहुत टाइट है…पर हां मे किसी को जानता हूँ जो तुम्हारी मदद कर सकता है…
गोपाल: ठीक राजेश भाई आप एक बार मुझे उनसे मिलवा दो…आप का बड़ा अहसान होगा….
राजेश: ठीक है तू मेरे साथ चल….
और गोपाल राजेश के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर चले गये…उनके जाने के बाद के हमारा मालिक मकान फिर से आ गया…और रूम को खाली करने के लिए कहने लगा
मे: देखे भाई साहब एक दिन और रुक जाए..हम आप को किराया दे देंगी
मलिक मकान : नही मुझे ऐसे किरायेदार नही चाहिए…तुम आज रूम खाली का दो…नही तो मे कल तुम्हारा समान सड़क पर फेंक दूँगा…कल तक का टाइम है तुम्हारे पास…
दोपहर को जब गोपाल वापिस आए तो, मेने उनको सारी बात बता दी…
गोपाल: ठीक है तुम समान बांधो…हम आज ही ये रूम खाली कर देंगे…
मे: पर हम जाएँगे कहाँ…
गोपाल: तुम चलो तो सही मे बताता हूँ….
दरअसल गोपाल राजेश के साथ जिससे मिल कर आए थे….वो एक 35-37 साल की औरत थी….वो पंजाब की ही रहने वाली थी….वो बहुत ही मोटी और भरे बदन वाली औरत थी…उसके पति की मौत काफ़ी पहले हो चुकी थी…फिर उसने अपना घर को चलाने के लिए ग़लत यानी (रंडी बाज़ी का पेशा) अपना लिया था…और 2 साल ये काम करने के बाद उसने यूपी के ही एक लड़के महेश से शादी की थी….उसके बाद उसने खुद तो ये काम छोड़ दिया था…पर अब वो अपने कस्टमर्स को लड़कियाँ दिलाने लगी थी…ये सब मुझे बाद मे पता चला था…खैर जब हम वहाँ पहुचे तो मुझे उसके बारे मे कुछ ज़्यादा पता नही था…उस औरत का नाम वीनू था…वीनू सुभाव से बहुत ही अच्छी औरत थी…उसका अपना खुद का घर था…और उसके घर के साथ एक छोटा सा घर और था…जो उसने कुछ ही दिन पहले खरीदा था…उस घर मे सिर्फ़ एक रूम और किचन और बाथरूम था….वीनू ने हमे वो घर कुछ दिनो के लिए रहने के लिए दे दिया था….जब हम वहाँ पहुचे तो मेरी पहली मुलाकात वीनू से हुई….
वीनू: (मेरे पति और मुझे अपनी बेटी के साथ देख कर)आओ बैठो गोपाल समान ले आए…
गोपाल: जी हां ले आया….
वीनू: महेश ओ महेश ज़रा साथ वाले घर के चाभी तो ला….(वो अपने दूसरे पति को नाम से पुकार रही थी)
जब उसका पति बाहर आया…..तो मेने देखा वो 25-26 साल का लड़का था…हाइट छोटी थी…वो वीनू के सामने बिकुल बच्चा सा लग रहा था…मे समझ रही थी…शायद ये उसका भाई या देवर हो गा…..
वीनू: महेश से चाभी लेकर गोपाल को देते हुए) ये मेरा पति है महेश
जब मुझे पता चला के महेश उसका पति है….मे एक दम से हैरान हो गयी….पर मे चुप चाप बैठी रही….चाभी ले कर हमने बाहर आकर साथ वाले घर का गेट खोला…और अपना समान सेट करने लगी…
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