RE: Desikahani हालत की मारी औरत की कहानी
और जेठ जी बाहर चले गये, मे उन्हें रूम मे चारपाई पर लेटे हुए, दीवार को फन्दते हुए देख रही थी, मेरा पेटिकॉट अभी भी मेरी कमर पर चढ़ा हुआ था…मेरी चूत से पानी निकल कर मेरी गांद के छेद और जाँघो तक फेल गया था…
जेठ जी के जाने के बाद मे मे धीरे से चारपाई पर खड़ी हुई और, बाथरूम मे चली गयी…मेरा ब्लाउस भी खुला हुआ था…और चुचिया चलने से इधर उधर हिल रही थी…मेने बाथरूम मे जाकर अपनी चूत और गांद को पानी से सॉफ किया…फिर गीले कपड़े से अपनी जाँघो को सॉफ किया….और अपने कपड़े ठीक किए…चुदाई के बाद मे अपनी जिंदगी मे एक नया पन महसूस कर रही थी…. मे वापिस आकर किचन मे चली गयी…और दोपहर के खाना बनाने लगी…क्योंकि नेहा भी स्कूल से वापिस आने वाली थी…मे खाना तैयार करके अपने रूम मे चारपाई पर आकर लेट गयी….मेरी आँखों के सामने कुछ देर पहली हुई ज़बरदस्त चुदाई का सीन घूमने लगा…
मे ना चाहते हुए भी, फिर से गरम होने लगी,और अपनी चूत को पेटिकॉट के ऊपेर से सहलाने लगी….पर जैसे जैसे मे अपनी चूत को सहला रही थी…मेरी चूत मे और ज़्यादा आग भड़कने लगी थी…मुझसे बर्दास्त नही हो रहा था…मेरा दिल कर रहा था कि मे अभी विजय के पास चली जाउ…और उसके लंड को अपनी चूत मे लेकर उछल-2 कर चुदवाउ….
मुझे अपनी चूत को सहलाते हुए 5 मिनट बीत गये थे…मेरी चूत फिर से गीली हो चुकी थी…पर तभी अचानक गेट पर दस्तक हुई…मे हड़बड़ा गयी…और तेज़ी से उठ कर बाहर गयी….मेने गेट खोला, तो सामने नेहा खड़ी थी…वो स्कूल से वापिस आ गयी थी…वो जल्दी से अंदर आई
नेहा: मा बहुत गरमी है, जल्दी से पानी दो, बहुत प्यास लगी है….
और नेहा तेज़ी से रूम मे चली गयी…मेरी नज़र उसके चहरे से हट नही रही थी….अब नेहा भी जवान होने लगी थी…धूप के कारण उसके गाल एक दम लाल हो कर दहक रहे थे….मे किचन मे गयी, और एक ग्लास पानी लेकर नेहा के पास गयी…और उसे पानी दिया…मे उसकी तरफ देखने लगी…
नेहा के गाल कश्मीरी सेब के तराहा एक दम लाल और गोरे थे….उसकी चुचियो मे उभार आने लगा था….नेहा बिकुल सिल्म थी…उसकी कमर ऐसी थी मानो जैसे कोई नाग बल खा रहा हो…वो बिकुल दीदी पर गयी थी….
क्रमशः.................
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