Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:50 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
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डेट : 23-08-09

अभी शाम के 6 बजे हैं. हम सुबह 10 बजे देल्ही पहुँच गये थे. अभी मैं लक्ष्मीनगर अपने घर पर हूँ. ऋतु को सुबह कारोल बाग उसके घर छ्चोड़ आया था.

जैसे ही हम ऋतु के घर पहुँचे, जैसी की हमें उम्मीद थी, किशी ने हमारा स्वागत नही किया.

हम घर के दरवाजे पर ही रुक गये.

ऋतु के पापा आग बाबूला हो कर हमारे पास आए.

उन्होने ऋतु को कुछ नही कहा और मेरी और देख कर बोले, “कहा था ना मैने कि इस घर में कदम मत रखना, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यहाँ आने की, दफ़ा हो जाओ यहाँ से, वरना ज़ूते मार कर यहाँ से निकालूँगा”

मैने कहा, “देखिए, ऋतु अपने बेटे के लिए परेशान है, और मैं इसका पति होने के नाते यहाँ खड़ा हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा मत किज़िइ और एक बार ऋतु की बात सुन लिज़िइ, ये आपकी बहुत इज़्ज़त करती है, इश्लीए यहाँ आई है”

इतना सुनते ही ऋतु के पापा ने मेरे मूह पर एक थप्पड़ जड़ दिया और बोले, “बकवास बंद कर और फॉरन यहाँ से दफ़ा हो जा”

तभी ऋतु का छ्होटा भाई भी वहाँ आ गया

उशके आने की तो कोई चिंता नही थी पर वो हाथ में एक हॉकी ले कर आ रहा था. एक वाय्लेंट माहॉल बनता नज़र आ रहा था. यही मैं नही चाहता था. हम तो शांति से बात को सुलझाना चाहते थे.

“साले तेरी हिम्मत कैसे हुई यहाँ घुस्सने की” --- उसने हॉकी को मुझे दीखाते हुवे कहा

“देखो भाई, मैं यहाँ कोई लड़ाई झगड़ा करने नही आया हूँ, मेरी पत्नी अपने बेटे के लिए परेशान है और मुझे लगता है कि एक मा को बेटे से जुदा नही करना चाहिए” ---- मैने कहा

लेकिन सोनू(ऋतु का भाई) को जैसे कुछ समझ नही आया और उसने हॉकी घुमा कर मेरे पेट में दे मारी.

वार इतनी ज़ोर का था कि मैं लड़खड़ा कर गिर गया. पर जल्दी ही उठ गया. मुझे हर हाल में ऋतु के साथ रहना था

ऋतु ये सब देख कर रोने लगी और बोली, “पापा प्लीज़ हमारी बात तो सुनो”

“चुप करो तुम ऋतु, तुमसे मैं कोई बात नही करना चाहता” ---- ऋतु के पापा ने कहा

सोनू ने हॉकी मेरे सर पर मारने की कोशिश की पर मैने उसकी हॉकी उशके हाथ से छीन ली

“देखो मुन्ना हॉकी से मैं बहुत खेल चुका हूँ, बात आज प्यार की है और मैने अपनी जींदगी में यही सीखा है कि खून ख़राबे से कुछ हाँसिल नही होता, मेरी बात मत सुनो, मैं जा रहा हूँ, पर एक बार ऋतु की बात सुन लो. एक मा अपने बेटे के लिए यहाँ आई है” --- मैने कहा

सोनू मेरी बात सुन कर चुपचाप वहीं खड़ा हो गया पर वो मेरी और बड़े गुस्से से देख रहा था

मैने ऋतु के कानो में कहा, “जान तुम यहीं रूको, मैं चलता हूँ, मेरे यहाँ रहने से शांति का माहॉल नही बन पाएगा. तुम मेरे जाने के बाद शांति से कॉन्फिडेंट्ली बात करना. मैं लक्ष्मीनगर अपने घर जा रहा हूँ, कोई बात हो तो फोन कर देना”

“नहीं प्लीज़ मुझे अकेला छ्चोड़ कर मत जाओ, मुझे बहुत डर लग रहा है” ----- ऋतु ने कहा

“डरने की क्या बात है जान, तुम्हारे पापा तुम्हे बहुत प्यार करते हैं तभी इतना गुस्सा हो रहे हैं. तुम आराम से अंदर जाओ, मेरे यहाँ रहने से बात चीत का माहॉल नही बन पाएगा. मैं चलता हूँ, ठीक है, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग, कीप फैथ इन गॉड आंड इन दिस लव” ----- मैने कहा

सोनू को हमारी बाते सुन गयी थी वो बोला, “हाँ…हाँ जल्दी से यहाँ से दफ़ा हो जाओ वरना यहाँ से तुम्हारी लाश जाएगी”

“ठीक है जतिन, अपना ख्याल रखना, मैं तुम्हे बाद में फोन करूँगी” ---- ऋतु ने धीरे से कहा

मैं घर से बाहर आ गया और ऋतु अंदर की ओर चल पड़ी. उशके पापा चुपचाप उसे देख रहे थे.

डेट : 24-08-09

2:00 पीयेम

कल शाम को मैं बहुत बेचैन था. ऋतु के करीब रहने की इतनी आदत हो गयी है कि एक एक पल उशके बिना मुश्किल से बीत रहा था. फिर मुझे उसकी चिंता भी हो रही थी कि वो कैसी है. सुबह जब मैं उसे उशके घर छ्चोड़ कर घर से बाहर निकला था तो उसने बड़े प्यार से पीछे मूड कर मेरी ओर देखा था. अभी तक वो मोमेंट मेरी आँखो में घूम रही है. अजीब होता है ये प्यार भी, हर वक्त दिल को बेचैन रखता है.

सुबह से शाम हो गयी पर ऋतु का कोई फोन नही आया. मैं उसका फोन ट्राइ कर रहा था तो बार बार स्विच्ड ऑफ आ रहा था. दिल बहुत बेचैन हो रहा था. मैं उशके घर जाना चाहता था, पर ये सोच कर रुक गया कि कहीं कोई लड़ाई झगड़ा ना हो जाए और बनी बनाई बात बिगड़ जाए.

कोई 8:30 बजे ऋतु का फोन आया

“कहा थी तुम मुझे कितनी चिंता हो रही थी” --- मैने पूछा

“सॉरी जतिन, फोन की बेतटेरी ख़तम हो गयी थी, और मैं यहाँ बातो में उलझी हुई थी, तुम ठीक तो हो. सोनू ने बड़ी ज़ोर से हॉकी मारी थी ना. आइ आम सॉरी फॉर दट जतिन” ----- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “मैं अपने घर पर हूँ, जान तुम मेरी चिंता मत करो और बताओ कि क्या हुवा”

“जतिन, सब ठीक है, चिंता की कोई बात नही है, अभी मैं बिज़ी हूँ, कोई एक घंटे मैं तुम्हे फोन करती हूँ, ठीक है, मेरा वेट करना आराम से बात करेंगे….ओके” ----- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “ठीक है जान, तुम चिंता मत करो, आराम से फोन करना”

“ठीक है फिर मैं थोड़ी देर में आती हूँ”

----- ऋतु ने कहा

ये कह कर ऋतु ने फोन काट दिया

और फिर जींदगी का वो खूबसूरत लम्हा आया जिसकी याद जींदगी भर मेरे साथ रहेगी. मैं शायद सब कुछ भूल जाउ पर वो लम्हा कभी नही भुला पाउन्गा

कोई 9:30 पर मेरे घर की बेल बाजी

मैने दरवाजा खोला तो, ख़ुसी के मारे मेरी आँखे भर आई

मेरे सामने मेरी दुल्हन खड़ी थी, और बड़े प्यार से मेरी ओर मुश्कुरा रही थी.

“क्या बात है पति देव, अंदर नही आने दोगे क्या” ----- ऋतु ने पूछा

“तुम यहाँ कैसे पहुँच गयी जान, तुम तो कह रही थी कि मैं एक घंटे बाद फोन करूँगी” ---- मैने ख़ुसी में झूम कर पूछा

“सारी बात यही करोगे या फिर अंदर भी बुलाओगे” ---- ऋतु ने पूछा

“रूको तुम पहली बार घर आई हो, और मैं अपनी दुल्हन को पूरे रीति रिवाज़ से घर में परवेश करवँगा”

मैं इतना खुस था कि मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैने पूरा घर छान मारा पर सवागत करने के लिए कुछ नही मिला. बहुत दीनो बाद घर आया था, इश्लीए कुछ मिलना मुश्किल था.

मैं वापस दरवाजे पर आ गया. शायद ऋतु मेरी उलझन समझ गयी और बोली, “क्या बात है जतिन, तुम किशी बात की चिंता मत करो, मैं आ रही हूँ”

मैने कहा,“ नही रूको तो”

मैं ऋतु के पास आ गया और बोला, “जान घर में तुम्हारे स्वागत के लिए कुछ नही है, लेकिन में तुम्हारे कदमो में अपना दिल बिछा रहा हूँ, तुम मेरे दिल पर पाँव रख कर घर में परवेश करो”

ये कह कर मैं ऋतु के कदमो में लेट गया

“जतिन ये क्या कर रहे हो तुम, इस सब की कोई ज़रूरत नही है, चलो उठो यहा से” ---- ऋतु ने झुक कर मुझे उठाते हुवे कहा

“नहीं जान मेरी जींदगी का ये खूबसूरत अहसाश मुझ से मत छीनो, मैं ये दिन यादगार बनाना चाहता हूँ” ----- मैने कहा

“तुम नही मानोगे” ---- ऋतु ने कहा और मुश्कूराते हुवे मेरे दिल पर हल्का सा पाँव रख कर घर में दाखिल हो गयी

“हां तो पति देव अब उठो और ये दरवाजा बंद कर लो” ---- ऋतु ने कहा

“तुम तो बहुत हल्की हो जान, दिल पर कुछ असर ही नही हुवा” ---- मैने कहा

“ये तुम्हे अभी पता चला, रोज मुझे गोदी में उठा कर घूमते हो, तब ये अहसाश नही हुवा क्या” --- ऋतु ने मुश्कुरा कर पूछा

मैने उठ कर दरवाजा बंद किया और ऋतु को बाहों में भर कर कहा, “तुमने आज मुझे बहुत बड़ा गिफ्ट दिया है, यहाँ आकर, पता है मैं तुम्हे बहुत मिस कर रहा था”

“मैं भी तुम्हे मिस कर रही थी जतिन” ---- ऋतु ने कहा

“अछा बताओ तो सही कि क्या हुवा घर पर और चिंटू कहाँ है” ----- मैने पूछा

“जतिन पापा ने मुझ से कोई बात नही की हां मैने मम्मी और सोनू को सब कुछ समझा दिया है. मम्मी कह रही थी कि वो खुद पापा को समझा लेंगी उशके बाद शांति से चिंटू को ले जाना. सोनू ही मुझे अपनी कार में यहाँ तक छ्चोड़ कर गया है, वो सॉरी महसूष कर रहा था, कह रहा था कि बाद में शांति से तुमसे मिलेगा. बस अब पापा की बात है, इश्लीए मैने चिंटू को अभी लाने की ज़िद नहीं की. मैं भी यही चाहती हूँ कि सब शांति से हो जाए. मैं खुस हूँ कि मम्मी और सोनू अब मेरे साथ हैं. पापा मुझे बहुत प्यार करते हैं, मुझे यकीन है कि वो भी जल्दी ही समझ जाएँगे. अब लगता है कि मेरी जींदगी में शांति है और सब कुछ ठीक होने वाला है”

“ये तो बहुत अछा हुवा जान, बहुत तस्सली मिली है दिल को ये सुन कर, फिर हम कल शाम को वापस चलते हैं” ----- मैने कहा

“हां कल एरपोर्ट पर ही टिकेट ले लेंगे” ---- ऋतु ने कहा

“पर तुम अभी कैसे आ गयी, किसी ने तुम्हे रोका नहीं” ------ मैने पूछा

“मम्मी रोक रही थी. पर मुझे तुम्हारी चिंता हो रही थी. देखना चाहती थी की तुम ठीक तो हो. तुमने कुछ खाया की नहीं” ---- ऋतु ने कहा

“हां जान मैने खा लिया है, अभी बाहर से खा कर आया था” ---- मैने कहा

“जतिन ये घर तो अछा है” ----- ऋतु ने कहा

“हां मम्मी पापा बस यही घर छ्चोड़ गये थे. इशके अलावा मेरे पास कुछ नही है. सोच रहा हूँ इसे बेच कर मुंबई में ही कुछ खरीद लूँ” ---- मैने कहा

“अरे नही बेचने की क्या ज़रूरत है, कभी हम देल्ही आए तो कहाँ ठहरेंगे, मुंबई में है तो हमारा घर” ---- ऋतु ने कहा

“ठीक है बाद में बात करेंगे, पहले ये बताओ कि क्या सेवा करूँ अपनी बीवी की मैं” ---- मैने पूछा

“मुझे लेट-ने का मन हो रहा है जतिन, सुबह से बैठे बैठे थक गयीं हूँ” ---- ऋतु ने कहा

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और सीढ़ियों की तरफ चल पड़ा

“ये कहाँ ले जा रहे हो जतिन” ---- ऋतु ने पूछा

“छत पर ले जा रहा हूँ जान, आज चाँदनी रात है, मैने छत पर अपना बिस्तर लगा रखा है, हम आज खुले आसमान के नीचे चाँदनी रात में शोएंगे” ---- मैने कहा

“जतिन रूको तो मुझे नीचे उतारो, मुझे ले कर कैसे चढ़ोगे तुम” ---- ऋतु ने कहा

“चढ़ जाउन्गा जान, तुम में बोझ ही कहाँ है” ---- मैने कहा

“मैने ऋतु को ज़मीन पर बीचे बिस्तर पर लेटा दिया और बोला, “तुम आराम से लेटो मैं पानी की बॉटल ले कर आता हूँ, रात को पानी की प्यास लगेगी तो काम आएगा” ----- मैने कहा

“जतिन ये बिस्तर तो छ्होटा है, हम एक साथ इस पर कैसे लटेंगे” ----- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“लेट जाएँगे जान, हम एक दूसरे की बाहों में होंगे तो ये बिस्तर तुम्हे बड़ा लगेगा,” ---- मैने हंसते हुवे कहा

“तुम पागल हो” ---- ऋतु ने कहा

“हां तुम्हारे प्यार में पागल हूँ. वैसे ये बिसतर मैने अपने लिए लगाया था, अब तुम आ गयी हो तो हम दोनो इसी पर शोएंगे ” --- मैने कहा और पानी लेने के लिए चल पड़ा

मैने पीछे मूड कर देखा तो ऋतु मुश्कुरा रही थी

मैं वापस आया तो देखा की ऋतु आँखे बंद करके लटी हुई है

चाँदनी रात में ऋतु इतनी प्यारी लग रही थी कि मन कर रहा था कि उसे बस देखता रहूं. उसकी प्यारी सूरत के आगे चाँदनी फीकी लग रही थी

मैं चुपचाप ऋतु के बाईं ओर लेट गया.

उसकी प्यारी सी सूरत पर हल्की सी मुश्कान उभर आई. उसे पता चल गया था कि मैं उशके पास लेट गया हूँ.

अपनी दुल्हन के साथ चाँदनी रात में कोई भी बहक जाएगा. मेरे लिए खुद को थामना मुश्किल हो रहा था. उपर से ऋतु के चेहरे पर इतनी प्यारी मुश्कान थी कि दिल थामे नही थम रहा था.

मैने अपना दायां हाथ हल्के से ऋतु के उभार पर रख दिया और उसे महसूस करने लगा. ऋतु की साँसे तेज होने लगी.

“जतिन हट जाओ, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नहीं है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ---- ऋतु ने आँखे बंद रखते हुवे कहा.

ये कह कर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुश्कान उभर आई

“अछा तो तुम्हे प्यार करने का क्या ये मतलब है कि मैं तुमसे हमेशा दूर रहूँगा. वैसे तुम ही बताओ कि तुम्हे प्यार करने का क्या मतलब है” ---- मैने भी हंसते हुवे कहा

“मुझे नही पता” ---- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

मैने ऋतु के होंटो पर अपने होन्ट टीका दिए. ऐसा लगा जैसे 2 फड़कते हुवे अंगारे टकरा गये हों

हम थोड़ी देर तक पॅशनेट्ली किस करते रहे

फिर मैने ऋतु की कमीज़ को उपर सरका कर ऋतु के उभारो को थाम लिया

“पागल हो गये हो क्या, कोई देख लेगा यहाँ जतिन” --- ऋतु ने शरमाते हुवे कहा

“चारो तरफ उँची दीवार है ऋतु, हम दुनिया की नज़रो से दूर इश् चाँदनी रात में बिल्कुल तन्हा हैं” ---- मैने कहा

ऋतु के उभार उसकी ब्रा में क़ैद पंछी की तरह लग रहे थे. मैने ऋतु के कान में कहा, “जान ये सोते वक्त आज ब्रा क्यों पहन रखी है, उतार दो ना और आज़ाद कर दो इन फूलों को”

ऋतु ने कोई जवाब नही दिया.

मैं समझ रहा था कि ऋतु के लिए ये करना मुश्किल होगा, क्योंकि वो शायद अभी भी पूरी तरह सेक्स के लिए तैयार नही थी. पर मेरा मकसद प्यार के सागर में सेक्स को इस तरह डुबोना था कि ऋतु नॅचुरली प्यार में सेक्स का आनंद ले पाए.

मैने प्यार से कहा, “ ऋतु आओ हम आज प्यार के एक लंबे सफ़र पर चलते हैं. चाँद तक पहुँचने की कोशिश करेंगे देखते है क्या होता है”

ऋतु ने कहा, “जतिन, अगर मैं ना चल पाई तो और लड़खड़ा कर गिर गयी तो”

“तो मैं तुम्हे अपनी बाहों में थाम लूँगा जान, मैं हूँ ना. मैं तुम्हे अपनी गोदी में ले कर चलूँगा” ----- मैने ऋतु के गाल को छू कर कहा

क्रमशः........................
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल - by sexstories - 11-13-2018, 12:50 PM

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