Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:50 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
“अरे तुम आज मुझ से पहले आ गये और ये क्या कर रखा है, माइ गॉड कितना प्यारा सजाया है घर को, क्या कोई पार्टी करने वाले हो आज” ---- ऋतु ने हैरानी में कहा

“हाँ आज हम अपने प्यार को सेलेब्रेट करेंगे, प्यार की ही बात करेंगे, प्यार को ही खाएँगे और प्यार को ही पीएँगे. इस पार्टी में हुमारे शिवा और कोई नही आएगा” ---- मैने कहा

“तुम सच में पागल हो गये हो जतिन” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

“तो क्या हुवा इस पागल को तुम प्यार तो करती हो ना” ---- मैने कहा

ऋतु मेरे गले लग गयी और बोली, “आइ लव यू जतिन”

मैने ऋतु को गोदी में उठा लिया और बेडरूम में ले आया.

बेडरूम को देख कर वो बोली, “वाउ, ये फूलो की बरसात किशणे कर दी”

मैने कहा, “मेडम मेरे अलावा यहा कोई और भी है क्या ?, इतनी मेहनत से सजाया है मैने और तुम कह रही हो किशणे कर दी”

“सॉरी जतिन मज़ाक कर रही थी, मुझे पता है, ये पागल पन तुम ही कर सकते हो” --- ऋतु ने कहा

मैने कहा, “जान कल के प्यार की महक आज मुझे हर तरफ महसूस हो रही थी. कल रात तुम्हारे इतने करीब था मैं, मुझे विश्वास ही नही हो रहा. अपने दिल की फीलिंग्स दीखाने के लिए मैने ये रूम फूलो से सज़ा दिया है. फूलो की जो महक इस कमरे में है, वैसी ही महक मेरे दिल में है”

“तुम दीवाने हो गये हो जतिन, अब मुझे यू ही उठाए रखोगे या फिर नीचे भी उतारोगे” ---- ऋतु ने हंसते हुवे कहा

मैने ऋतु को प्यार से फूलो की सेज़ पर लेटा दिया और खुद भी उशके साथ लेट गया

मैने पूछा, “अब हम साथ साथ सोएंगे ना जान”

“ह्म्म… तुमसे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” --- ऋतु ने हंसते हुवे कहा कहा

“जान सच कह रहा हूँ कल बहुत अछा लगा मुझे. तुम्हारे करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश था मेरे लिए” ---- मैने कहा

“मुझे भी अछा लगा जतिन, मैं आज पूरा दिन ऑफीस में तुम्हे सोचती रही. मेरा शरीर मेरे बस में नही है, पर मेरा प्यार तुम्हारे कदमो में हर पल हाज़िर है” --- ऋतु ने कहा

“जान एक बात कहूँ” --- मैने पूछा

“हां कहो” ---- ऋतु ने जवाब दिया

“हमारा एक प्यारा सा रिस्ता बन गया है. इस रिस्ते का आधार प्यार है, हम प्यार में खोए रहते हैं जो होगा अछा होगा. तुम किसी बात की चिंता मत करो” --- मैने कहा

“हां जतिन मुझे पता है, मुझे बस ये दुख रहता है कि मैं तुम्हे एक पत्नी का सुख नही दे पा रही” ------ ऋतु ने कहा

“कौन कहता है तुम पत्नी का सुख नही दे रही हो. मेरा इतना ख्याल रखती हो. अछा अछा खाना खिलाती हो. और कल मुझे इतनी प्यारी किस दी थी. अभी तक मेरे होन्ट फदाक रहें हैं” ----- मैने कहा

“वो सिर्फ़ किस नही थी जतिन, वो मेरा प्यार था, काश तुम्हे ये शरीर भी दे पाती, पर ये मेरे बस में नही है” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा

“पता है जान, वो तुम्हारा प्यार था, वरना तो तुम मेरे नज़दीक कहाँ आती हो… तुम्हारा प्यार मुझे मेरी आत्मा तक महसूष हुवा था. ऐसा लग रहा था कि हम एक हो गये हैं” ---- मैने कहा

हम एक दूसरे की आँखो में बड़े प्यार से देख रहे थे. देखते देखते कब हमारे होन्ट मिल गये पता ही नही चला.

बहुत देर तक हम किस करते रहे

अचानक मुझे ऋतु की डाइयरी में लीखी बाते याद आ गयी और मेरे होंटो की मूव्मेंट रुक गयी

ऋतु को शायद कुछ महसूष हुवा और उसने मेरे होंटो से अपने होन्ट हटा कर पूछा, “क्या हुवा जतिन”

“एक बात सोच रहा था जान” ---- मैने कहा

“बोलो क्या बात है, जातीं” ---- ऋतु ने पूछा

मैने ऋतु के चेहरे पर प्यार से हाथ रखा और कहा, “ जान मैने तुम्हारी डाइयरी पढ़ ली है”

“क्या ?? तुमने डाइयरी पढ़ ली, बुरा लगा होगा ना तुम्हे ? मैने तो उस में तुम्हे खूब बुरा भला कह रखा है” ---- ऋतु ने कहा

“कुछ बुरा नही लगा जान, मैं पहले उसी लायक था. बुरा लगा तो बस ये कि मेरे कारण तुम्हे कितना कुछ सहना पड़ा. मुझे ऐसा लगता है कि

तुम खुद को उस पाप के लिए माफ़ नही कर पा रही हो जो कि मैने तुम पर थोपा था” --- मैने कहा

“मैं क्या करूँ जतिन, अब जब तुम डाइयरी पढ़ ही चुके हो तो समझ सकते हो कि सेक्स नाम से मुझे कितनी नफ़रत हो गयी है, पर मेरा यकीन करो मैं एक अछी पत्नी बन-ने की पूरी कोशिश कर रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा

“ऋतु वो सब तो ठीक है, पर जब तक तुम खुद को माफ़ नही करोगी, तब तक यू ही परेशान रहोगी. अपनी ग़लती को मान-ना अलग बात है पर हम हमेशा उस ग़लती को सर पर ढो कर नही चल सकते. आज जींदगी एक खूबसूरत मोड़ पर है. चारो और हमारे प्यार की महक फैली हुई है. सब कुछ भुला कर इस प्यार की महक में खो जाओ. शांति से अपने चारो और देखो एक हसीन जींदगी हमारा इंतेज़ार कर रही है” ---- मैने कहा

“मैं समझ रहीं हूँ जतिन. जब से तुमसे शादी हुई है, मैने खुद इस प्यार की महक को अपने चारो और महसूष किया है. मेरा यकीन करो मैं खुद को इस प्यार पर लूटा देना चाहती हूँ. कल जब तुम मुझे गोदी में उठा कर बड़े प्यार से यहा बेडरूम में लाए थे तो मैं मन ही मन खुद को तुम्हारे लिए तैयार कर रही थी. मैं सोच रही थी कि तुम्हारे कदमो में आज अपना प्यार बिछा दूँगी. पर ना जाने क्यों उसी वक्त पापा की कही बाते जो उन्होने शादी वाले दिन फोन पर कही थी मेरे कानो में गूंजने लगी. याद है ना तुम्हे की वो कह रहे थे की वो चिंटू को हम पापियों के पास नही भेजेंगे. इश्लीए मेरा शरीर जाकड़ गया और मैं ज़ींदा लाश बन कर रह गयी. जतिन मैं तुम्हारी पत्नी होने के साथ साथ एक मा भी हूँ. मुझे अपने बेटे की बहुत याद आती है.” ------ ऋतु ने बड़े ही भावुक अंदाज़ में कहा

मैने आगे बढ़ कर ऋतु के माथे को चूम लिया और कहा, “ओह्ह जान, मुझे भी चिंटू की चिंता है. मुझे नही पता था क़ि तुम उसे ले कर इतना परेशान होगी”

ऋतु रोते हुवे मेरे गले लग गयी और भारी मन से बोली, “जतिन, मैं रोज पापा का फोन ट्राइ करती हूँ, पर वो मेरा फोन काट देते हैं. मम्मी और सोनू भी मुझ से कोई बात नही कर रहे. समझ नही आता कि मैं क्या करूँ, क्या नहीं. मैं कैसे अपने बेटे से मिलूं”

“ह्म्म….. ऐसा करते हैं हम देल्ही चलते हैं. उशे खुद यहा ले कर आएँगे” ------- मैने प्यार से कहा

“नहीं जतिन अपने घर वालो का सामना करने की हिम्मत मुझ में नही है, वो मुझे बहुत ग़लत समझ रहें हैं” ----- ऋतु ने कहा

“जींदगी में इस बात से फरक नही पड़ता कि लोग आपको क्या समझते हैं, फरक पड़ता है तो इस बात से कि आप खुद को क्या समझते हैं. इस प्यार की लाज़ रखो जान और सर उँचा रख कर आगे बढ़ो. तुम्हारा ऐसा बिहेवियर इस प्यार का अपमान है” ---- मैने कहा

“तो तुम ही बताओ कि क्या करूँ मैं” --- ऋतु ने पूछा

“जाओ और अपने बेटे को अपने साथ ले आओ” ---- मैने कहा

“क्या तुम मेरे साथ चलोगे” ----- ऋतु ने पूछा

“क्यों नही जान, मैने अभी कहा तो था की, देल्ही चलते हैं, चिंटू अब मेरा बेटा है. मैं अभी फ्लाइट बुक क्रा कर आता हूँ ” ---- मैने कहा

“अरे रूको मेरा क्रेडिट कार्ड कब काम आएगा, यही लॅपटॉप से बुक कर लेंगे” ---- ऋतु ने कहा

“नहीं तुम अपना क्रेडिट कार्ड अपने पास रखो अपना घर मैं खुद संभालूँगा, 10 मिनूट लगेंगे अभी टिकेट ले कर आता हूँ” --- मैने कहा

“तुम मेरा कोई खर्चा नही होने देते, मेरा पैसा भी तो तुम्हारा ही है” ---- ऋतु ने कहा

“वो तो ठीक है जान लेकिन मैं अपने परिवार की सारी ज़िम्मेदारी खुद उठाना चाहता हूँ” ---- मैने कहा

“ठीक है मैं डिन्नर तैयार करती हूँ, जल्दी आना, हम खाना खा कर ढेर सारी बाते करेंगे” --- ऋतु ने कहा

मैं टिकेट ले आया. सुबह 7:30 की फ्लाइट थी.

हम दोनो रात भर बाते करते रहे. मन में यही सवाल था कि ऋतु के घर जब हम जाएँगे तो उशके पेरेंट्स कैसे रिक्ट करेंगे. बाते करते करते हम पिछली रात की तरह एक दूसरे की बाहों में सो गये.
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