RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
“मैने तो अभी तक घर पर भी बात नहीं की इस बारे में, समझ नही आ रहा कि कैसे बात करूँ मैं” --- ऋतु ने कहा
“कर लो ऋतु, एक बार उन्हे बता दो, फिर देखते हैं कि क्या होता है, और हां में निकलता हूँ, मुझे कॉल सेंटर जाना है” ---- मैने कहा
“क्या आज तुम्हारी छुट्टी नही है जतिन” ---- ऋतु ने पूछा
“छुट्टी थी पर कोई एमर्जेन्सी आ गयी होगी मुझे अभी थोड़ी देर पहले फोन करके बुलाया है. और हां अपने घर बात कर लो. जिसे इन्वाइट करना है कर लो हम हर हाल में 12 को शादी कर रहें हैं.. ओके… बाइ” ---- मैने कहा और चल पड़ा
“तुम कहाँ रुके हो जतिन” --- ऋतु ने पूछा
मैने कहा, “एक दोस्त के यहा रुका हूँ, तुम चिंता मत करो..बाइ”
“तुम अब यहीं आ जाओ, क्यों यहा वाहा रह रहे हो” --- ऋतु ने कहा
“ऋतु 12 के बाद यहीं तुम्हारे साथ ही रहूँगा, मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता, तभी तो इतनी जल्दी की डेट निकलवाई है शादी की मैने” --- मैने कहा
“ओके जी, जैसा आपको सही लगे, बाइ अपना ख्याल रखना” --- ऋतु ने कहा
मैने पीछे मूड कर देखा, ऋतु की आँखो में बहुत ज़्यादा प्यार था. मैं वाहा से जाना नही चाहता था पर फिर भी मुझे जाना पड़ा.
और फिर वो दिन आ गया जिस दिन हमारी शादी हुई.
12 जुलाइ को शादी का शाम 6 बजे का मुहूरत था.
मैं तैयार हो कर 5 बजे ही ऋतु के घर पहुँच गया.
मैने बेल बजाई
दरवाजा खुला तो वाहा किसी दूसरी औरत को पा कर मैं चोंक गया. बाद में पता चला कि वो दीप्ति थी
“आओ जीजा जी, आपका स्वागत है, ऋतु तैयार हो रही है, आओ बैठो” ---- डिप्टी ने कहा
मैं अंदर आ गया.
अंदर घुसते ही एक 31-32 साल के आदमी ने मुझ से हाथ मिलाया और बोला, “वेलकम डियर, तो आज आप से मुलाकात हो ही गयी”
बाद में पता चला कि वो मनीष था
मैं मनीष और दीप्ति को जानता नही था इश्लीए उन से ज़्यादा बात नही की और चुपचाप एक तरफ बैठ गया.
कोई 15 मिनूट बाद दीप्ति ने मुझे कहा, “जीजा जी आप अंदर जाओ, ऋतु आपको बुला रही है”
मैं खड़ा हुवा और ऋतु के बेडरूम में घुस्स गया
अंदर जो देखा वो अन्बिलीवबल था.
ऋतु लाल सारी में लीपटि मेरे सामने खड़ी थी. बहुत ज़्यादा प्यारी लग रही थी. मन कर रहा था की उसे बाहों में भर लूँ
“देख क्या रहे हो, बताओ कैसी लग रहीं हूँ” --- ऋतु ने पूछा
“बहुत प्यारी लग रही हो जान बस पूछो मत” --- मैने ऋतु की ओर बढ़ते हुवे कहा
“मुझे छूना मत….” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु को बीच में ही टोक दिया और बोला,“हां हां मुझे याद है तुम मुझे प्यार करती हो तो इश्का मतलब ये नही है कि मैं तुम्हारे शरीर से खेलूँगा. ये मुझे रात गया है. मैं तो बस तुम्हे नज़दीक से देखना चाह रहा था”
“ये सारी कैसी लग रही है” --- ऋतु ने पूछा
“अच्छी लग रही है, बल्कि बहुत अच्छी लग रही है” --- मैने कहा
“अरे ये तुम्हारी लाई हुई सारी है, पहचान क्यों नही रहे हो तुम” --- ऋतु ने थोड़ा गुस्से में कहा
“ओह्ह हां ऋतु मुझे लग तो रहा था पर समझ नही आ रहा था कि ये तुम्हारे पास कैसे आई, मुझे लगा तुम भी वैसी ही सारी ले आई हो” ---- मैने कहा
“मैने तुम्हारी टॅक्सी का शीसा तोड़ कर निकाल ली थी. अछा हुवा टाइम से निकाल ली. बाद में तो वो टॅक्सी यहा से गायब ही हो गयी” --- ऋतु ने कहा
“अछा किया ऋतु, आज तुमने दिल को एक और ख़ुसी दे दी. मेरी लाई हुई सारी तुमने पहन ली और मुझे क्या चाहिए. मुझे तो लगता था कि ये सस्ती सारी है” --- मैने कहा
“सस्ती सारी नही है ये, बहुत कीमती है मेरे लिए. दिल से लगा कर रखा है मैने इसे. और देखो कितनी प्यारी लग रही है मुझ पर. लग रहीं हूँ ना तुम्हारी दुल्हन मैं” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु की बात शुन कर मेरी आँखो में आंशु भर आए. जब इतना प्यार मिले तो कोई भी रो देगा.
“क्या हुवा जतिन, ये आँखे क्यों भर आई हैं तुम्हारी” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही बस ख़ुसी के आंशु हैं, तुम जल्दी तैयार हो कर बाहर आ जाओ, हम मंदिर के लिए लेट हो रहे हैं” ----- मैने कहा और दरवाजे की ओर मूड गया
“रूको तो जतिन,…….. आइ लव यू” ---- ऋतु ने पीछे से कहा
मैने कहा, “आइ लव यू टू ऋतु, जल्दी करो हम लेट हो रहें हैं”
“ठीक है, बस 10 मिनूट में आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने कहा
ऋतु के घर से कोई नही आया. मैने पुणे से मदन को भी इन्वाइट कर लिया था. वो सीधा मंदिर पहुँच गया.
बहुत एमोशनल पल था वो मेरे लिए जब मैं ऋतु के साथ 7 फेरे ले रहा था. एक एक कदम मैं बहुत भावुक हो कर रख रहा था. ऋतु खामोसी से चल रही थी. उपर से मंदिर का माहॉल. बहुत पेअसेफुल्ल एन्वाइरन्मेंट में हमारी शादी हो रही थी. भगवान को ये शादी मंजूर थी तभी भगवान के मंदिर में ही उन्ही के सामने ये शादी हो रही थी.
जैसे ही पूरा प्रोसेस ख़तम हुवा, ऋतु ने मेरी ओर देखा और बोली, “अब तो रहोगे ना मेरे साथ हमारे घर में”
मैं बस मुश्कुरा दिया और आँखे झपका कर हां का इशारा किया
तभी ऋतु का मोबाइल बज उठा.
उसने फोन उठाया और मैने देखा कि वो किसी गहरी चिंता में खो गयी.
मैने पूछा, “क्या बात है ऋतु”
“पापा तुमसे बात करना चाहते हैं जतिन, प्लीज़ चुपचाप सब कुछ शुन लेना वो बहुत गुस्से में हैं” ---- ऋतु ने कहा
“ठीक है लाओ फोन मुझे दो” --- मैने कहा
मैने फोन कान पर लगा कर हेलो बोला ही था कि उधर से गुस्से की बोच्चार हो गयी, “मेरी बात कान खोल कर शुन लड़के, शादी तो तूने ऋतु से कर ली पर मैं तुझे कुछ नही दूँगा. ऋतु को भी अपनी जायदाद से बेदखल करता हूँ. तू यहा मेरे घर में घुसने की हिम्मत मत करना. और हां ऋतु को कुछ नुकसान पहुँचाया ना तो तेरी बोटी बोटी करके कुत्तो को खिला दूँगा, नीच कहीं का”
बस इतना कह कर ऋतु के पापा ने फोन काट दिया
“क्या कह रहे थे पापा जतिन” --- ऋतु ने पूछा
“कुछ नही आशीर्वाद दे रहे थे कि तुम दोनो सदा खुस रहना” --- मैने कहा
“झूठ बोल रहे हो…. हैं ना, ये आशीर्वाद उन्होने मुझे भी दिया है” ----- ऋतु ने कहा
“ऋतु बडो के मूह से निकला हर बोल आशीर्वाद ही है, तुम चिंता मत करो वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा. जिस भगवान ने ये रिस्ता बनाया है, वही भगवान इस रिस्ते की लाज़ भी रखेगा. चलो अब चलते हैं” ---- मैने कहा
हम चले ही थे कि सिधार्थ वाहा आ गया
“कंग्रॅजुलेशन टू बोथ ऑफ यू. मुझे लग ही रहा था कि तुम दोनो का गहरा प्यार है. ऑल दा बेस्ट. ऋतु हमेशा खुस रहना” --- सिधार्थ ने कहा
मैने देखा की ऋतु ने सिधार्थ से ठीक से बात नही की. कारण आज डाइयरी पढ़ कर पता चला की ऐसा क्यों था.
मंदिर घर के नज़दीक ही था पर फिर भी मैने एक कार अरेंज कर रखी थी घर तक जाने के लिए.
हम दोनो सभी को बाइ करके कार में बैठ गये. दिल में अजीब सा मीठा मीठा अहसास हो रहा था. मैं अपनी दुल्हन के साथ बैठा था. ऋतु ने मेरी और देखा और मैने उसकी और देखा. हमनें आँखो ही आँखो में अपने प्यार का इज़हार किया. पर ऋतु के चेहरे पर एक दर्द भारी मुश्कान थी
कोई 5 मिनूट में हम घर पहुँच गये.
घर आते ही ऋतु बेडरूम में घुस गयी और बेड पर गिर कर रोने लगी.
मैने दरवाजा खड़काया तो वो झट से उठ गयी और अपने आंशु पूछने लगी
मैं उशके करीब आ गया. ऋतु की आँखे लाल हो रखी थी
“क्या बात है ऋतु, क्या मुझ से कोई ग़लती हुई है” --- मैने पूछा
“नही जतिन तुम्हारी कोई ग़लती नही है, पापा ने मुझे पहली बार इतनी बुरी तरह से डांटा है. ऐसा लग रहा था कि वो मुझे ग़लत समझ रहे हैं. उन्हे शायद लगता है कि मैने ये शादी अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए की है. उन्होने ऐसा कहा नही पर जैसे वो मुझे डाँट रहे थे उस से यही लग रहा था. उन्होने ये तक कह दिया कि चिंटू को अब भूल जाओ, मैं तुम पापियों के पास उसे नहीं भेजूँगा. मैं अपने बेटे से कैसे दूर रहूंगी जतिन, पता नही क्या होगा. मैं बहुत दुखी हूँ. आइ आम वेरी सॉरी जतिन, मैं अभी तुमसे कोई बात नही कर पाउन्गि. मेरा मन था कि हम मंदिर से आ कर ढेर सारी बाते करेंगे पर मेरा दिल अभी बहुत भारी हो रहा है. प्लीज़ मुझे ग़लत मत समझना. मैं थोड़ी देर लेट रहीं हूँ, तुम भी दूसरे कमरे में आराम कर लो” ---- ऋतु ने भावुक हो कर कहा
“ठीक है ऋतु तुम आराम करो, मेरी चिंता मत करो, मैं भी आराम कर लेटा हूँ” --- मैने कहा.
कोई एक घंटे बाद ऋतु मेरे कमरे में आई.
मैं आँखे बंद करके बिस्तर पर लेटा हुवा था.
“शो रहे हो क्या जतिन” ऋतु ने पूछा
मैं झट से उठ गया और उठ कर बैठ गया
मेरी दुल्हन आँखो में प्यार लेकर मेरे सामने खड़ी थी.
“नही जान बस आँखे बंद करके लेटा हुवा था. कैसी हो तुम” ---- मैने कहा
क्रमशः........................
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