RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
“ठीक है चलते हैं, अब मुझे शादी का इंतज़ाम भी करना है, काफ़ी कुछ सोचना पड़ेगा. चलो सब मॅनेज हो जाएगा, हमारा प्यार हमारे साथ है ना. फिलहाल चलते हैं” ---- मैने कहा
“हां चलो बाकी की बातें बाद में करेंगे” --- ऋतु ने कहा
“रूको पहले इस जगह का धन्यवाद करते हैं. इस जगह ने हमारे प्यार के फूल को खीलते हुवे देखा है. यहा हम चारो तरफ अपने प्यार की खुसबू छ्चोड़ कर जा रहें हैं. चलो आँखे बंद करके इस जगह का सुक्रिया करें और भगवान से दुवा करें की यहा जो भी आए मन में प्यार और शांति ले कर जाए” ---- मैने कहा
“तुम तो कोई फिलॉसफर बन कर लोटे हो. ये क्या मेडिटेशन का असर है, या फिर कुछ और जो मैं नही जानती” ----- ऋतु ने कहा
“मुझे नही पता किशका असर है, हां पर तुम्हारे प्यार का बहुत गहरा असर है मुझ पर. आज बहुत ज़्यादा खुस हूँ. आज तुम्हे आखरी बार देखने आया था और देखो तुम हमेशा के लिए मेरी हो गयी. मेरी जान आज मेरी पत्नी बन गयी” -------- मैने कहा
ऋतु ने कुछ नही कहा और नज़रे झुका कर मुश्कुरा दी. बहुत प्यारी लगती है ऋतु ऐसे नज़रे झुका कर मुश्कूराते हुवे. उस वक्त मैं बहुत खुस था कि ऋतु अब मेरी जींदगी में आ गयी है.
“चलो अब आँखे बंद करके प्रेयर करें, फिर चलते हैं” --- मैने ऋतु से कहा
हम दोनो ने आँखे बंद करके मन ही मन प्रेयर की और फिर साथ साथ ऋतु के घर की ओर चल पड़े.
हम दोनो रास्ते भर अपने खायलो में खोए रहे और एक दूसरे से कुछ नही कहा. बस चलते चलते एक दूसरे की तरफ देख कर मुश्कुरा देते थे.
ऋतु का फ्लॅट कब आ गया पता ही नही चला. मैं मन ही मन दुवा कर रहा था की ऋतु का घर थोड़ी देर और ना आए और हम यू ही साथ साथ चलते रहें. पर घर काफ़ी नज़दीक था. हम बहुत जल्दी वहाँ पहुँच गये.
“ठीक है ऋतु तुम्हारा घर आ गया, अब तुम जाओ, मैं चलता हूँ” ---- मैने कहा
“कहाँ जाओगे, जतिन” ? --- ऋतु ने पूछा
“तुम मेरी चिंता मत करो, मैं चला जाउन्गा, बहुत ठीकाने हैं रुकने के मेरे पास, और फिर होटेल तो है ही” ---- मैने कहा
“क्या तुम होटेल में रुकोगे ?? , ये घर अब तुम्हारा है जतिन, 3 बेडरूम हैं घर में. मुझे अछा लगेगा अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो” ---- ऋतु ने कहा
ये शुन कर दिल बहुत भावुक हो गया. इतना प्यार और सम्मान दे रही थी ऋतु कि दिल थामे नही थम रहा था. लग रहा था कि मैं रो पड़ूँगा.
मैने मन ही मन सोचा कि ऋतु का मन वाकाई में उशके शरीर से भी ज़्यादा शुनदर है. वैसे मुझे ये बात हमेशा से पता थी कि वो एक अच्छी इंशान है.
मैने कहा, “नही ऋतु समझा करो, किशी ने देख लिया तो बेवजह बदनामी होगी. अब बस शादी करने के बाद ही इस घर में घुसूंगा. और वैसे भी मैं बहुत भावुक हो रहा हूँ तुम्हारे लिए. तुम्हारे साथ रुक गया तो कहीं बहक ना जाउ”
“तुम्हारी टांगे तोड़ दूँगी तुम बहक कर तो दीखाओ, अब मैं वो ऋतु नहीं हूँ जो तुम्हारे बहकावे में आ जाउन्गि” --- ऋतु ने कहा
“पता है, अब तुम झाँसी की रानी बन चुकी हो. मुझे तो खुद तुमसे डर लगने लगा है….हहहे... पता नही कब तलवार से मुझे काट डालो. एक बात बताओ क्या तुम्हे बंदूक चलानी आती है” ---- मैने पूछा
“नहीं… क्यों क्या हुवा” ---- ऋतु ने पूछा
“सुकर है, वरना तो उस दिन जंगल में तुम मेरा भेजा उड़ा देती. मैने सोचा भी नही था कि तुम पिस्टल ले कर फाइयर भी कर सकती हो. मेरी टाँग से गोली छू कर निकल गयी वरना जींदगी भर लंगड़ा कर चलना पड़ता” ---- मैने कहा
“सॉरी जतिन उस वक्त हालात ही कुछ ऐसे थे. मुझे तुम से इतनी नफ़रत थी की तुम्हे मार देना चाहती थी. हां पर आज तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ. तुम आओ तो सही. हम अलग अलग बेडरूम में शोएंगे. अब तुम मेरे पति हो जतिन. मेरी माँग अपने खून से क्या मज़ाक में भरी थी तुमने” ---- ऋतु ने कहा
“अब ऐसी बाते मत करो मैं रो पड़ूँगा, क्यों इतना प्यार दे रही हो. संभालना मुश्किल हो रहा है. मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हे मेरी चिंता है. डॉन’ट वरी अबौट मी जान, आइ विल बी फाइन. अभी जाने दो. शादी के बारे में भी प्लॅनिंग करनी है. बहुत जल्दी में तुम्हे सब कुछ फाइनल करके बता दूँगा. नाउ यू गो आंड टेक केर. हन अपना मोबाइल नंबर दे दो कुछ काम हुवा तो फोन करूँगा” ---- मैने कहा
“ठीक है जतिन, जैसा तुम ठीक समझो, अपना ख्याल रखना और फिर से कहीं गायब मत हो जाना” ---- ऋतु ने कहा
मैने ऋतु से मोबाइल नंबर ले लिया.
ऋतु गुड नाइट कह कर घर में चली गयी. मैं उशे जाते हुवे देखता रहा.
घर में जाते ही वो खिड़की में आ गयी. मैने उसे बाइ किया और चल पड़ा.
जाते हुवे में बार बार खिड़की की ओर देख रहा था. ऋतु के चेहरे पर बहुत प्यारे भाव थे. मुझे हमारे बीच एक प्यारा सा रिस्ता बनता नज़र आ रहा था
पुणे से चलते वक्त मदन ने मुझे अपने एक फ्रेंड, दिनेश का नंबर दिया था. उस दिन मैं दिनेश से फोन पर बात करके उशके घर की लोकेशन पूछ कर उशके घर चला गया.
3-4 दिन मैं ऋतु से नही मिल पाया. मुझे चिंता हो रही थी कि पहले कुछ काम तो मिल जाए यहा मुंबई में. ऐसे खाली पीली शादी का क्या फ़ायडा. पुणे में कॉल सेंटर का एक्सपीरियेन्स हो गया था. दिनेश ने मुझे कुछ कॉल सेंटर्स के नाम बताए और मैने एक जगह जा कर जाय्न कर लिया. कॉल सेंटर कोलाबा के नज़दीक ही था.
फिर मैने शादी के बारे में सोचना शुरू किया.
28 जून के बाद, एक बार भी ऋतु से मिलने नही जा सका. मैं सब कुछ फाइनल करके ही ऋतु से मिलना चाहता था.
मैने एक पंडित से शादी की डेट निकलवाई. 12 जुलाइ को सूभ महुरत बैठ रहा था.
मैने उशी मंदिर में शादी का इंतज़ाम किया जहाँ ऋतु अक्सर जाया करती थी. पुजारी को मुश्किल से पैसे दे कर पटाया कि चिंता की कोई बात नही है, शादी मंदिर में करने की इच्छा है इश्लीए कर रहे हैं. घर वालो का कोई विरोध नही है.
5 जुलाइ को मैं शाम को ऋतु से मिलने गया.
मैने ऋतु के घर की बेल बजाई
ऋतु ने दरवाजा खोला और एक प्यारी सी हँसी से मेरा स्वागत किया और बोली, “तो मिल गया जनाब को मेरे लिए वक्त, थे कहाँ आप इतने दीनो से?”
मैने कहा, “चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूमते हुवे बात करेंगे, बहुत ज़रूरी बात करनी है तुम से”
“तुमने क्या इस घर में ना आने की कसम खा रखी है, तुम्हारी पत्नी हूँ मैं कोई गैर नहीं हूँ, तुम उस खून का मतलब नही जानते शायद पर मुझे पता है. आओ ना मैं कॉफी बना रही थी. आओ दोनो साथ साथ पीएँगे” ---- ऋतु ने कहा
ऋतु ने इतने प्यार से बुलाया कि मैं खुद को रोक नही पाया और घर के अंदर आ गया
मैने चारो और देख कर कहा, “बहुत प्यारा घर है तुम्हारा ऋतु”
“तुम्हारा नही हमारा जतिन, ये हमारा घर है” --- ऋतु ने किचन की ओर जाते हुवे कहा
“तुम बैठो मैं कॉफी ले कर आ रहीं हूँ” --- ऋतु ने किचन के अंदर से आवाज़ लगाई
मैं कुर्सी पर बैठ गया.
ऋतु कॉफी ले कर आई. उशके चेहरे पर अजीब सी चमक थी.
मैने पूछा, “ क्या बात है, इतनी खुस क्यों हो”
“आज तुम पहली बार घर जो आए हो, बहुत खुस हूँ” ---- ऋतु ने कहा
“ऋतु हम 12 जुलाइ को शादी कर रहें हैं” --- मैने कहा
“क्या इतनी जल्दी, कैसे मॅनेज होगा सब कुछ” --- ऋतु ने हैरान हो कर पूछा
“अरे हम मंदिर में शादी कर रहें हैं, इसमें क्या मॅनेज करना है. जहाँ तुम हर सनडे जाती हो ना वहीं शादी करेंगे, मैने सारा इंतज़ाम कर लिया है. और हां मैने एक कॉल सेंटर जाय्न कर लिया है. अब मैं पति बन-ने के लिए तैयार हूँ” ----- मैने कहा
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