Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:49 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतान्क से आगे.............

डेट : 9-08-09

3:00 पीयेम

आज सनडे है और हम दोनो घर पर ही हैं. अभी अभी लंच किया है. ऋतु बहुत अछा खाना बनाती है. डर लगता है कि कहीं मैं खा खा कर मोटा ना हो जाउ. पर वो इतने प्यार से डाल डाल कर देती है कि मैं खाता चला जाता हूँ.

आज ऋतु ने बहुत सारे आइटम बनाए थे, जीशके कारण बहुत थक गयी थी, इश्लीए बेडरूम में जा कर सो गयी. मुझे कह रही थी कि बस यू ही लेट रहीं हूँ. पर अभी मैने देखा तो पाया कि वो सोई हुई है.

पहली बार आज उशे शोते हुवे देखा है. नही तो वो रात को तो अलग शोती ही है, दोपहर को भी अपने बेडरूम की कुण्डी लगा कर शोती है. आज ग़लती से कुण्डी खुली रह गयी शायद, क्योंकि उशे पता ही नही होगा कि नींद आ जाएगी

जो भी है मुझे उशे शोते हुवे देखना बहुत अछा लग रहा है. बिल्कुल एक मासूम बच्चे की तरह पाँव सिकोड कर शो रही है. उशे बिल्कुल होश नही है की मैं उशके सामने बैठा हूँ वरना अभी उठ जाती. मैं चुपचाप उशके सामने कुर्सी पर बैठ कर ये डाइयरी लीख रहा हूँ. उशके करीब होने का बहुत प्यारा अहसाश हो रहा है मुझे

मुझे बिल्कुल नही पता कि प्यार क्या है. मेरे लिए इश् शब्द को डिफाइन करना बहुत मुश्किल काम है. मेरी जींदगी में ये बहुत अजीब हालात में आया है. हां लोग कहते हैं कि प्यार का दूसरा नाम भगवान है. पता नही कि लोग इस बात पर विश्वास करते है या नही, हां पर मुझे पूरा यकीन है कि भगवान का दूष्रा नाम ऋतु है. वही मेरा सब कुछ है, वही मेरे लिए भगवान है और हमेशा रहेगी.

8 मार्च को मुंबई से बहुत दुखी मन से गया था. पता नही था कि वापिस आउन्गा या नही. मुझे लगने लगा था कि मैं बेवजह ऋतु पर अपना प्यार थोप रहा हूँ. पहले उस पर अपनी हवश थोपी थी अब प्यार भी थोपूँगा तो प्यार और हवश में क्या अन्तेर रह जाएगा.

मुंबई वापिस आने का सोचा नही था, पर ऋतु को एक बार देखने के लिए मैं फिर से मुंबई खींचा चला आया. 28 जून को शाम के कोई 5 बजे मैं मुंबई पहुँच गया.

मुंबई में पाँव रखते ही मेरे तन बदन में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी. जल्द से जल्द ऋतु को देखना चाहता था. पर मैं दुबारा ऋतु को कोई परेशानी भी नही देना चाहता था. इश्लीए सोच रहा था कि कैसे उशे बिना परेशान किए एक बार देखा जाए.

मैं ऋतु के घर के सामने पहुँच गया. थोड़ी देर तक ऋतु की खिड़की को देखता रहा. दिल बस ऋतु को एक बार देखने के लिए तरस रहा था. मैं सोच रहा था कि पता नही कैसी होगी मेरी ऋतु. एक घंटा हो गया. ऋतु खिड़की में नही आई. मैने सोचा चलो गेट वे ऑफ इंडिया पर घूम आता हूँ. बाद में ट्राइ करूँगा. क्या पता वो कहीं गयी हुई हो.

मैं गेट वे ऑफ इंडिया पहुँच कर उशी जगह खड़ा हो गया जहाँ मैं ऋतु के गले लग कर बेहोश हुवा था.

उस पल को मैं कभी नही भुला पाया. बल्कि वो अहसाश अभी तक मेरे साथ है. ऋतु से शादी हो चुकी है, पर अभी तक हम गले भी नही मिले हैं. बहुत सारे कारण हैं इस बात के.

खैर मैं उशी अहसाश को दुबारा पाना चाहता था, इश्लीए वाहा झुक कर मैने उस ज़मीन को चूम लिया जहाँ ऋतु खड़ी हुई थी.

जी हाँ, प्यार आपसे बहुत कुछ अजीब करवा देता है. सभी लोग देख रहे थे कि मैं क्या कर रहा हूँ. पर मुझे लोगो से कोई मतलब नही था. मुझे तो उस अहसाश को दुबारा जीना था. और फिर मैं खड़ा हो कर समुंदर की तरफ घूम कर बिल्कुल वैसे ही खड़ा हो गया जैसे उस दिन खड़ा था. बिल्कुल उशी दिन की तरह मैं समुंदर को देखते देखते उष्की विशालता में खो गया.

वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था. मुझे बिल्कुल यकीन नही था कि भगवान मुझे ऋतु से बिल्कुल उसी दिन की तरह मिलवाएँगे.

मैं तो समुंदर में खो चुका था, अचानक मुझे मेरे पीछे से आवाज़ आई

“तुम खुद को समझते क्या हो, बिल्लू”

मैं झट से घूम गया और मैने जो देखा उस पर विश्वास करना मुश्किल था.

ऋतु एक छोटे बच्चे की तरह आँखो में आन्शु ले कर मेरे सामने खड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे कि किशी बच्चे का खिलोना खो गया हो और वो उशके लिए रो रहा हो.

मैं इतना हैरान था कि कुछ नही कह पाया बस आँखे फाड़ कर ऋतु को देखता रहा.

“कहाँ चले गये थे तुम” ---- ऋतु ने रोते हुवे पूछा.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ. मैने कभी ऋतु को ऐसी हालत में नही देखा था

मैने ऋतु के कंधे की और हाथ बढ़ाया और कहा, “ऋतु प्लीज़ चुप हो जाओ”

फिर कुछ इस तरीके से ऋतु ने अपने प्यार का इज़हार किया कि मेरी आँखे भर आई.

“मुझे छूने की कोशिश भी मत करना, तुम्हे प्यार करने का ये मतलब नही है कि तुम मेरे शरीर से खेलोगे” ऋतु ने कहा… और कह कर पीछे की ओर हट गयी.

“नहीं ऋतु तुम मुझे ग़लत समझ रही हो, मैं तुम्हारे शरीर का भूका नहीं हूँ, वो बिल्लू जो तुम्हारे शरीर का भूका था कब का मर चुका है, आज तुम्हारे सामने जो खड़ा है वो जतिन है. मैं तो बस तुम्हे चुप कराने की कोशिश कर रहा था. देखो चुप हो जाओ, लोग हमें ही देख रहे हैं” --- मैने भावुक हो कर कहा.

“तुम मेरे फ्लॅट के सामने से मुझ से मिले बिना निकल गये, तुम्हे शरम नही आई, कैसा प्यार है तुम्हारा” --- ऋतु ने कहा.

“नहीं ऋतु ऐसी बात नही है, मैं तो तुम्हारे घर के सामने एक घंटा खड़ा रहा था. तुम खिड़की में नही दीखी तो थोड़ी देर यहा घूमने चला आया. उस दिन की याद ताज़ा कर रहा था जिस दिन तुमने मुझे गले लगाया था. मैं अभी थोड़ी देर में वापिस आने वाला था” ---- मैने ऋतु की आँखो में देख कर कहा.

“सच बोल रहे हो” --- ऋतु ने अपनी आँखो से आंशु पोंछते हुवे कहा.

ऋतु के चेहरे पर प्यारी सी मासूमियत थी

“हां ऋतु मैं यहा तुम्हारे लिए ही तो आया हूँ, वरना यहा मेरा और कौन है” --- मैने कहा.

ऋतु थोड़ी शांत हुई और बोली, “मैं जब खिड़की में आई तो तुम्हे बस जाते हुवे देखा. तुम्हे नही पता कि मेरे दिल पर क्या बीती, भाग कर आई हूँ मैं यहा”

“ऋतु मुझे यकीन नही था कि तुम मुझे इतने प्यार से मिलॉगी, मैं तो बस तुम्हे एक बार देखने आया था, डू यू लव मी” ? ----- मैने पूछा.

“बिल्लू पहले तुम ये बताओ कि तुम थे कहाँ, कविता को देखने भी नही आए, क्या मेरी बात इतनी बुरी लग गयी थी. मेरा तो चलो कुछ नही पर कविता ?? कैसे भूल गये अपनी दीदी को तुम. तुम्हारा बहुत इंतज़ार किया,तुम नही आए तो तुम्हारे बिना ही कविता का अंतिम संस्कार करना पड़ा. क्यों किया ये सब ?” ----- ऋतु ने भावुक हो कर पूछा.

“ऋतु सब कुछ बताता हूँ, पर मुझे बिल्लू मत कहो. बिल्लू अब मर चुका है. मेरा नाम जतिन है. शरम आती है मुझे तुम्हारे मूह से बिल्लू शुन कर. तुम मेरी बात समझ सकती हो… हैं ना” --- मैने कहा.

“मुझे पता है तुम्हारा नाम जतिन है, मैने तुम्हारी पूरी इनक़ुआरी करवा रखी है, अछा नाम है. तुम्हे पता है जतिन का मतलब क्या है, जतिन मीन्स सगे ओर मुनि. पर तुम तो कुछ और ही हो” ---- ऋतु ने कहा
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