Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:48 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
“ऋतु देखो आराम से कोवापरेट करो. तुम जब बिल्लू के साथ इतना कुछ कर सकती हो तो मेरे साथ तुम्हे क्या प्राब्लम है, जस्ट सी माइ कॉक आंड डिसाइड” ---- सिधार्थ ने अपने लिंग को हाथ में पकड़ कर कहा.

मैने अपनी आँखे बंद कर ली. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की सिधार्थ को कैसे सम्झाउ. वो नशे में अनाप सनाप बेक जा रहा था.

“लेट मी सी युवर पुसी नाउ, आइ वॉंट टू सी वाइ दट बॉय इस क्रेज़ी फॉर यू” --- सिधार्थ ने कहा.

“सिधार्थ बस बहुत हो गया, अब चुप हो जाओ और यहा से चले जाओ”

सिधार्थ बेड पर चढ़ गया और मुझे ज़बरदस्ती लेटा कर मेरे उपर लेट गया.

“बहुत नही हुवा अभी डार्लिंग, अभी तो सारी रात तुम्हारी चूत मारनी है. आज मेरी सुहाग्रात है. इतनी जल्दी थोड़ी ख़तम होगी ये रात” --- सिधार्थ ने कहा.

अब पानी सर के उपर निकल गया था.

मेरे बेड के पास मेरी आइरन पड़ी थी. मैने उशे उठाया और सिधार्थ के सर पर दे मारी. मुझे बड़ा दुख हुवे उशे मारते हुवे पर मुझे ये करना पड़ा.

उशके सर से खून बहने लगा और वो लड़खड़ा कर बेड के पास गिर गया. मैं अपने बेड पर बैठ गयी और अपनी किशमत को रोने लगी. एक पाप की सज़ा मुझे बार बार मिल रही थी. पहले संजय से मिली. फिर विवेक से. और अब सिधार्थ से. उपर से वो बिल्लू अभी भी मेरे पीछे पड़ा है. मैं कोई इंशान ना हो कर बस एक शरीर रह गयी हूँ.

मैं चुपचाप बेड पर बैठी रही और मेरी आँखे रह रह कर चलकती रही. कोई एक घंटे बाद सिधार्थ उठा और बोला, “ऋतु….. ओह्ह मैं ये क्या कर बैठा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो, मैं नशे में था”

“सिधार्थ यहा से अभी के अभी चले जाओ, मैं तुमसे कोई बात नही करना चाहती. तुम में और विवेक में क्या अंतर रह गया. मैं तुम्हारी इज़्ज़त करती थी. इश्लीए किशी भी वक्त तुम्हे घर आने देती थी. पर तुम भी औरो की तरह बस मेरे शरीर के प्यासे निकले. चले जाओ सिधार्थ…… अब सब कुछ ख़तम हो चुका है” ----- मैने सिधार्थ की ओर देख कर कहा.

“ओह्ह गॉड मैं ये क्या कर बैठा. ऋतु प्लीज़ फर्गिव मी. दर-असल मैं बर्दास्त नही कर पाया कि तुमने मुझे शादी के लिए मना कर दिया. प्लीज़ फर्गिव मी. सब कुछ नशे के कारण हुवा है. होश में मैं कभी ऐसा नही करता” ---- सिधार्थ ने कहा.

“जो भी है सिधार्थ…. पर तुम अंदर ही अंदर मेरे बारे में क्या सोचते हो वो आज बाहर आ गया. अभी तुम जाओ और आज के बाद यहा मत आना. आइ हेट यू” ---- मैने गुस्से में कहा.

सिधार्थ चला गया और मैं दरवाजा बंद करके अपने बेड पर गिर गयी.

सारे फ़साद की जड़ ये बिल्लू ही है. ना वो मेरी जींदगी में आता और ना मुझे बार बार जॅलील होना पड़ता.

………………

डेट : 13-02-09

आज बहुत बुरा लग रहा है. जब मैं शाम को ऑफीस से आई तो मुझे अपने दरवाजे के नीचे फिर से मनहुष् बिल्लू की एक चिट मिली. ये चिट वाला उसने अछा तरीका ढूंड लिया है ??

चिट में लीखा है :------

“मेरी प्यारी ऋतु,

आज से मुंबई में काम करना शुरू कर दिया है. काम छोटा है पर जल्दी ही कुछ बड़ा भी करूँगा. अभी बस एक टॅक्सी ड्राइवर बन पाया हूँ. मेरे पास सिर्फ़ बी.कॉम की डिग्री है. समझ नही आता उष्का मैं क्या करूँ. इश्लीए इस छोटे से काम से शुरू कर रहा हूँ. वैसे काम कोई छोटा नही होता.बस इंशान की लगन होनी चाहिए. पर तुम ये मत सोचना कि मैं कुछ और नही करूँगा. मैं तुम्हारे प्यार के लिए सब कुछ करूँगा. जब से तुमने उस दिन गेट वे ऑफ इंडिया पर मुझे गले लगाया है. मैं तुम्हारा और ज़्यादा दीवाना हो गया हूँ. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ. मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ ऋतु. मेरी उमर तुमसे छोटी सही पर मैं तुमसे ज़्यादा मेच्यूर हूँ. जींदगी ने बड़ी जल्दी बहुत कुछ सीखा दिया है. मुझे पूरा यकीन है कि मैं एक पति का फ़र्ज़ निभा पाउन्गा. मुझे बस एक मोका दो ऋतु मैं एक अछा पति बन कर दिखाउन्गा. जो मैने तुम्हारे साथ किया उष्की कोई भी सज़ा मुझे दे दो. चाहो तो अभी गोली मार दो. पर अगर तुम्हे मेरे प्रति ज़रा भी प्यार महसूष हो तो मेरी बात पर ध्यान देना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगा. बस मुझे एक मोका दो. मुझे अपना लो ऋतु. मेरा अब तुम्हारे शिवा कोई नही है. तुम ही मेरी जीने की उम्मीद हो. आज से टॅक्सी चलानी शुरू कर दी है. जल्दी ही मैं कुछ और भी करूँगा. टॅक्सी सिर्फ़ यहा थोड़ा पाँव जमाने के लिए शुरू की है. मुझे उम्मीद है तुम मेरी बात समझोगी”

पता नही क्या मतलब है इश् बकवास का. वो ऐसा सोच भी कैसे सकता है कि मैं उस से शादी करूँगी. या तो वो अपनी औकात भूल गया है या फिर ज़्यादा ओवेर्स्मर्ट बन-ने की कोशिश कर रहा है.

डेट : 14-02-09

आज जब मैं ऑफीस से निकली तो झट से बिल्लू ने अपनी टॅक्सी मेरे आगे लाकर खड़ी कर दी और बोला, “ऋतु प्लीज़ बैठ जाओ, मैं तुम्हे घर छ्चोड़ दूँगा इशी बहाने कुछ बात भी कर लेंगे”

यहा से दफ़ा हो जाओ बिल्लू, इस घटिया टॅक्सी में जाने का मेरा कोई इरादा नही है.

मुझे अछी तरह याद था कि कैसे एक बार उशके रिक्सा में बैठना मुझे भारी पड़ा था.

तभी मेरी कंपनी की कार आ गयी और मैं उस में बैठ कर घर आ गयी.

……….

रात के 11 बजे है. मैने थोड़ी देर पहले बाहर झाँक कर देखा तो पाया कि एक टॅक्सी मेरे फ्लॅट के बिल्कुल सामने खड़ी है. अचानक टॅक्सी का गेट खुला और बिल्लू बाहर आ गया. मैने फॉरन खिड़की बंद कर दी.

अब उशके पास टॅक्सी है. वो दिन रात यहा सड़क पर मज़े से टॅक्सी लगा कर उसमें पड़ा रह सकता है. समझ नही आता कि इस बिल्लू का क्या करूँ.

………………….

डेट : 15-02-09

आज सुबह मंदिर गयी. फिर वही नाटक हुवा. बिल्लू जाते वक्त तो मुझे नही दीखा पर जब मैं वापस आ रही थी तो मुझे मंदिर के बाहर मिल गया.

“ऋतु थोड़ी देर रुकोगी…. कुछ बात करनी है” --- बिल्लू ने कहा.

मैने गुस्से में उशके गाल पर अपनी पाँचो उंगलिया छाप दी. उष्का चेहरा लाल हो गया.

वो हैरान रह कर मेरी और देखता रह गया. मैने एक और हाथ घुमाया और इस बार उशके दूसरे गाल पर थप्पड़ रसीद कर दिया.

“अब बोलो क्या बात करनी है, ये तुम्हारे उस लेटर का जवाब है जो तुमने कुछ दिन पहले मेरे घर छोड़ा था. अगर तुम सोचते हो की तुम मुझे फिर से फँसा सकते हो तो ग़लत हो. प्यार की बात करते हो तुम. तुम ही थे ना जो बदले की आग में मुझे बर्बाद कर रहे थे. वो भी तुम ही थे ना जो मुझे अशोक के पास ले गये थे. अब मेरी बात ध्यान से सुनो. मुझे तुमसे नफ़रत है. इतनी नफ़रत है कि मैं तुम्हारी शकल तक नही देखना चाहती. यहा से फॉरन दफ़ा हो जाओ वरना पोलीस को बुला लूँगी….ओके” ----- मैने गुस्से में ज़ोर से कहा

“ऋतु अछा किया तुमने थप्पड़ मार दिया. एक और मार दो. अपनी ग़लती के लिए मैं भी शर्मिंदा हूँ. मैने तुम्हे उस दिन क्लिनिक में कहा भी था कि मैं बदले की आग में अँधा तो हो गया था पर मुझे कुछ नही मिला. मैं तुम्हारा गुनहगार हूँ और रहूँगा. पर आज मैं तुम्हे प्यार करता हूँ ऋतु. बहुत प्यार करता हूँ. जैसा की मैने पहले भी कहा है, ये अहसाश मुझे बहुत पहले हो गया था जब मैने उस साइकल वाले को मारा था. आज मैं बस अपनी आँखो में प्यार ले कर खड़ा हूँ. मुझे खुद भी नही पता की ऐसा क्यों है. मैं बस तुम्हे प्यार करता हूँ” ----- बिल्लू ने कहा

तभी वाहा कुछ लोग आ गये और बोले मेडम कोई तकलीफ़ है क्या.

मैं बहुत गुस्से में थी और मैने उन लोगो से कह दिया की ये लड़का मुझे छेड़ रहा है. वैसे ये सच ही था. वो ज़बरदस्ती ही तो मेरे पीछे पड़ा था.

लोगो ने उशे मारना शुरू कर दिया. मैं चुपचाप आगे बढ़ गयी और घर आ गयी.

अछा सबक मिला है बिल्लू को आज. अब उष्की अकल ज़रूर ठीकने आ जाएगी.

……..

रात के 11:30 बजे है और मैने अभी अभी बाहर झाँक कर देखा. सकुन मिला कि बिल्लू बाहर नही है. आज ज़रूर वो समझ गया होगा कि अब उष्की मेरे लिए क्या औकात है.

डेट : 16-02-09

आज फिर ये कमीना बिल्लू मेरे घर में एक चिट छोड़ गया, लीखा है,

“ मेरी प्यारी ऋतु

मैं अपने पापो की सज़ा भुगतने के लिए तैयार हूँ. अछा किया तुमने मुझे थप्पड़ मारा और फिर लोगो से भी पिटवा दिया. कल सारा दिन शरीर दुखता रहा. टॅक्सी भी नही चला पाया. हाँ पर मुझे तुमसे कोई शिकवा या शिकायत नही है. जो पाप मैने किए है, उष्की ये बहुत छोटी सी सज़ा है. जो तुम्हारे साथ किया वो बहुत ग़लत था. रेप मेरी दीदी का हुवा था. उसमें तुम्हारा कोई दोष नही था. पर पता नही क्यों मेरी अकल पर
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