RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतान्क से आगे...............
डेट : 11-02-09
बिल्लू ने जो कुछ भी क्लिनिक में कहा उशे मेरे लिए हजम करना मुश्किल है. ऐसा लगता है कि वो अपने उशी पुराने रूप में आ गया है. बहुत कॉन्फिडेंट हो कर उसने कहा था कि तुम्हे आज भी सिड्यूस कर सकता हूँ. पता नही वो खुद को क्या समझता है.
पर आज मैं जानती हूँ कि वो कौन है. पर वो नही जानता कि आज मैं वो ऋतु नही हूँ, जो उष्की बातो में आ कर बहक जाती थी. बहुत गहरी चोट खाई है मैने बिल्लू के साथ बहक कर. ये ऐसी चोट थी की अब मेरे सारे अहसाश ही मर चुके है. एक औरत होने का गॉरव मैं खो चुकी हूँ. सेक्स नाम से मुझे नफ़रत हो गयी है. अब मुझे प्यार का भी अहसाश नही होता. तभी तो मैं सिधार्थ के प्यार का जवाब प्यार से नही दे पा रही हूँ. इश्लीए मुझे नही लगता कि मैं सिधार्थ से शादी कर के एक पत्नी का फ़र्ज़ निभा पाउन्गि. अछा यही है कि अपनी बाकी की जींदगी का सफ़र मैं अकेले ही तैय करूँ.
वैसे भी मेरे पास चिंटू है, उस के साथ बाकी की जींदगी कट जाएगी.
लेकिन एक बात मेरे मन में आ रही है. कहीं बिल्लू अपनी सिस्टर कविता के रेप की झुटि कहानी तो नही बना रहा. उसने शुरू से मेरे साथ मक्कारी की है. कहीं वो फिर से तो कोई खेल नही खेल रहा. जैसा उष्का क्लिनिक में बिहेवियर था उस से तो यही लगता है कि वो बिल्कुल नही बदला. पहले सेडक्षन कर रहा था अब प्यार है, क्या मज़ाक है ये. उष्की बातो में किशी साजिश की बू आ रही है.
खैर अब मैं उशे आछे से जानती हूँ कि वो क्या है, अब में दुबारा धोका नही खाउन्गि.
डेट : 11-02-09
शाम के 8 बजे है, अभी अभी सिधार्थ यहा से गया है.
आज मैने सिधार्थ को ये बात सॉफ कर दी कि मैं उस से हारगीज़ शादी नही कर सकती.
“क्यों ऋतु क्या बात है, क्या तुम अब मुझे ज़रा भी प्यार नही करती” ---- सिधार्थ ने पूछा.
मैने कहा, “सिधार्थ आइ रेस्पेक्ट यू ए लॉट, बट आइ कान’ट मॅरी यू. क्योंकि मुझे नही लगता कि मैं एक पत्नी का फ़र्ज़ निभा पाउन्गि. मेरी आत्मा तक अंधेरा भरा है. प्लीज़ मेरी बात समझने की कोशिश करो. हम आछे दोस्त बन कर रह सकते है”
“ऋतु कब तक यही बाते करती रहोगी. मैने कहा तो था कि वेट करते है. जब तुम्हारा मन होगा तभी शादी करेंगे. अब क्या हो गया. मैं शादी तुम्ही से करूँगा, चाहे तुम कुछ कर लो” ---- सिधार्थ ने कहा.
“फिर मुझे दुख है सिधार्थ हम दोस्त भी नही रह पाएँगे. मुझ पर ये फैंसला मत थोपो. मैं तुम से ही नही बल्कि किशी से भी शादी नही करना चाहती. मैं बस अपने बेटे के लिए जी रही हूँ, वरना मैं कब की मर चुकी होती. अब तुम जाओ, हम बाद में बात करेंगे. तुम मेरी हालत नही समझ सकते” ---- मैने कहा
“ओके… ओके ऋतु ठीक है, मैं अब दुबारा शादी की बात नही करूँगा. ठीक है हम दोस्त बन कर रहते है. अब खुस” ---- सिधार्थ ने मुश्कूराते हुवे कहा.
“सिधार्थ बात ख़ुसी की नही है, मैं नही समझती की मुझे शादी करनी चाहिए. ये मेरा डिसीजन है. और मुझे उम्मीद है कि तुम मेरे डिसीजन की इज़्ज़त करोगे” ---- मैने कहा.
“ठीक है ऋतु जैसा तुम चाहो. मैं तुम्हे प्यार करता था और करता रहूँगा”
“क्या तुम्हे वाकाई में अब तक कोई लड़की पसंद नही आई” --- मैने पूछा.
“नही.. कहा ना तुम्हारे जैसी कोई मिली ही नही” --- सिधार्थ ने कहा.
“तो अब किशी को ढूंड लो, कहो तो मैं किशी को तलाश करूँ” --- मैने पूछा
“नही नही… ये काम में खुद कर लूँगा. में ये बर्दास्त नही कर पाउन्गा की जिशे में प्यार करता हूँ, वो मेरे लिए लड़की ढूंदे” सिधार्थ ने कहा.
ये कह कर वो चला गया.
मेरे मान में सिधार्थ के लिए अगर ज़रा सा भी प्यार का अहसाश होता तो में कुछ सोचती भी. इश्लीए मैने सिधार्थ को सॉफ सॉफ कहना सही समझा. लगता है वो अब मेरी बात समझ गया है.
………..
डेट : 12-02-09
11:30 पीएम
आज मैने सिधार्थ जैसे आछे दोस्त को खो दिया. आज उसने मेरे साथ वो किया जो मैं सपने में भी नही सोच सकती थी.
लगभग शाम के 8 बजे मेरे घर की बेल बजी. मैने दरवाजा खोला तो देखा कि सिधार्थ है. उशे देखते ही मैं समझ गयी कि वो शराब पी कर आया है.
“ऋतु डार्लिंग अंदर आ जाउ” ---- सिधार्थ ने बहकी हुई आवाज़ में कहा
मुझे नही पता था कि सिधार्थ ड्रिंक करता है.
“सिधार्थ ये क्या हाल बना रखा है, तुम घर जाओ, बाद में बात करेंगे” ---- मैने कहा.
वो मुझे पीछे हटा कर अंदर घुस गया और बोला “बाद में नही… अभी बात करेंगे”
“सिधार्थ तुम अभी होश में नही हो, प्लीज़ अभी जाओ, मुझे वैसे भी ऑफीस का कुछ काम करना है” --- मैने कहा.
“ऋतु डार्लिंग काम तो होता रहेगा, आज मैं तुमसे कुछ लेने आया हूँ” ------ सिधार्थ ने कहा.
“क्या बात है सिधार्थ ? तुम बहकी बहकी बाते कर रहे हो” ----- मैने पूछा.
“मुझे भी तुम्हारी चूत चाहिए ऋतु, दुनिया ने ले ली, मेरी बारी कब आएगी” ------ सिधार्थ ने बहकी हुई आवाज़ में कहा
“सिधार्थ ये क्या बकवास कर रहे हो, फॉरन यहा से चले जाओ, तुम अभी होश में नही हो” ----- मैने ज़ोर से गुस्से में कहा.
“देखो तो सही ऋतु, माइ कॉक ईज़ ऑल्सो बिग लाइक बिल्लू यू विल एंजाय इट” ---- सिधार्थ ने अपनी ज़िप खोलते हुवे कहा.
मैने फॉरन अपनी आँखे बंद कर ली. मुझे बिल्कुल विश्वास नही हो रहा था कि सिधार्थ ऐसा कर रहा है.
मैं दरवाजे के पास आ गयी और बोली “सिधार्थ जल्दी यहा से चले जाओ, मुझे अभी तुमसे कोई बात नही करनी”
सिधार्थ ने आगे बढ़ कर दरवाजे की कुण्डी लगा ली और मुझे अपने हाथो में उठा लिया.
“ये क्या कर रहे हो सिधार्थ, छ्चोड़ो मुझे…तुम्हे क्या हो गया है” ---- मैने ज़ोर से कहा.
“मैं तुमसे शादी करना चाह रहा था और तुमने सॉफ मना कर दिया. अरे वो तो मैं हूँ जो तुम्हे आँख मीच कर अपना रहा था, वरना आज के दिन तुम पर कोई कुत्ता भी नही थुकेगा,…..बिच कहीं की” ---- सिधार्थ ने कहा.
“ओह नो….. सिधार्थ प्लीज़ ये सब क्या कह रहे हो… प्लीज़ मुझे छ्चोड़ दो. हम इस बारे में बाद में बात करेंगे” ----- मैने गिड़गिदाते हुवे कहा.
“फर्स्ट आइ विल फक यू हार्ड… यू बिच, मेरे प्यार का मज़ाक उड़ाती हो. क्या है उस बिल्लू में. उस दिन बड़े प्यार से चारो और उसे ढूंड रही थी. और शाम को शरे आम उशके गले लग कर खड़ी थी. मेरे पास उशके जितना बड़ा है, ले कर देख, तू उशे भूल जाएगी” ---- सिधार्थ ने कहा.
मैं उशके हाथो में छटपटा रही थी.
वो मुझे बेडरूम में ले आया और मुझे बेड पर पटक दिया.
“सिधार्थ ये क्या हो गया है तुम्हे, प्लीज़…..हम बाद में आराम से बात करेंगे” ---- मैने कहा.
“फर्स्ट वी विल फक, दॅन वी विल डिसकस… ओके….., नाउ रिमूव युवर क्लोद्स आंड स्प्रेड युवर लेग्स, आइ वॉंट टू फक यू” ----- सिधार्थ ने कहा.
मेरी मजबूरी ये थी कि मैं सिधार्थ पर हाथ नही उठाना चाहती थी. पर जब उसने अपनी पॅंट नीचे सरका दी तो मैने उठ कर एक ज़ोर दार थप्पड़ उशके मूह पर जड़ दिया.
पर उस पर एक थप्पड़ का कोई असर नही हुवा.
“यू होर,…… मुझ पर हाथ उठाती हो, प्यार करता था मैं तुमसे पर तुमने मुझे क्या दिया. ना पहले शादी के लिए हां की और ना अब शादी के लिए मान रही हो. अब मैं बिना शादी के ही हनिमून मना कर रहूँगा. जब बिल्लू कर सकता है तो मैं क्यों नही” ----- सिधार्थ ने कहा.
बहुत ही पेनफुल था वो वक्त मेरे लिए. मुझे फिर से जलील होना पड़ रहा था.
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