RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
उसकी बात सुन कर मेरी आँखो में आंशू आने को हो गये. पर मैने खुद को थाम लिया. पता नही सिधार्थ मुझे इतना प्यार क्यो करता है. मुझे यकीन नही था कि वो ये डाइयरी पढ़ कर भी ऐसी बात कहेगा. यही कारण है कि मैं बेचन हूँ. अब सिधार्थ को मैं कैसे मना करूँगी, समझ नही पा रही हूँ.
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डेट : 9-02-09 11:30 पीयेम
आज बहुत बड़े राज से परदा खुल गया
आज सुबह सुबह अलार्म की बजाए मुझे दीप्ति के फोन ने उठाया.
सुबह 7 बजे मेरा फोन बज उठा.
“दीप्ति …., क्या बात है, इतनी सुबह क्यो फोन किया” ---- मैने हैरानी में पूछा
“ऋतु बहुत बड़ी बात पता चली है, अभी अभी मनीष का फोन आया था. सारी गुथि सुलझती नज़र आ रही है” ---- दीप्ति ने कहा.
मैं झट से अपने बेड पर बैठ गयी और कहा, “अछा, जल्दी बताओ क्या पता चला है”
“ये सारी कहानी एक ही नाम पर जा कर रुक गयी है, वो है कविता” ---- दीप्ति ने कहा
“ कविता … कौन कविता, अब ये कविता कहा से आ गयी” --- मैने पूछा
“संजय के क्लिनिक में नर्स थी वो, तुम तो उसे जानती होगी” ---- दीप्ति ने पूछा
“ओह हां…. याद आया… तुम उस कविता की बात कर रही हो. बहुत अछी और सारीफ़ लड़की थी. एक बार चिंटू के बर्तडे पर घर भी आई थी. मेरी उस से अछी बोल चाल थी. पर वो तो कोई 2 साल पहले क्लिनिक छ्चोड़ कर चली गयी थी”
“शी ईज़ मिस्सिंग ऋतु, 2 साल से वो गायब है, उसके साथ क्या हुवा, वो अब कहा है, जींदा है भी या नही …किसी को नही पता” ??? ---- दीप्ति ने कहा.
“ओह्ह मुझे इस बारे में नही पता था, एक बार जब में क्लिनिक गयी थी तो संजय से पूछा था कि कविता कहा है, उन्होने तो यही कहा था कि वो वाहा से काम छ्चोड़ कर चली गयी” --- मैने कहा
“संजय तो यही कहेगा, क्योंकि हो सकता है कि कविता के गायब होने में उसका हाथ हो, मनीष को इस बारे में शक है. हां पर विवेक का इसमें पक्का हाथ है” ---- दीप्ति ने कहा
“पर मेरे साथ जो कुछ हुवा, उस से कविता का क्या लेना देना दीप्ति” --- मैने हैरानी में पूछा.
“बिल्लू कविता का छोटा भाई है ऋतु. और ये पता चला है कि वो 2 साल से अपनी सिस्टर को ढूंड रहा है. बहुत प्यार करता है वो कविता को. उशके मा बाप के मरने के बाद कविता ने ही उसे पाला है. पोलीस कुछ नही कर रही. या फिर ये समझ लो कि किसी के दबाव के कारण पोलीस कुछ करना नही चाहती. मनीष बिल्लू के देल्ही वाले घर गया था. वाहा पता चला है कि बिल्लू तो बहुत सरीफ़ और नेक लड़का है”
“बस-बस मुझे पता है वो कितना नेक है, हां पर कविता के लिए मुझे दुख है, बहुत मेहनती थी वो. मैं जब भी क्लिनिक जाती थी उसे काम करते हुवे ही पाती थी. संजय भी उसकी काफ़ी तारीफ़ करते थे, कहते थे कि कविता ने अकेले ही काफ़ी काम संभाल रखा है” ---- मैने दीप्ति से कहा.
“कविता के ही कारण मनीष पर उस दिन जान लेवा हमला हुवा था. मुझे यकीन है कि संजय और विवेक नही चाहते कि किसी को पता चले कि कविता के गायब होने में उनका हाथ है. वो हमला उन दौनो ने ही करवाया होगा” ----- दीप्ति ने कहा
“संजय ऐसा नही करेंगे, हां विवेक कुछ भी कर सकता है. पर वो तो मर गया होगा. मैने खुद उसे गोली मारी थी.” ---- मैने कहा.
“इस बारे में मुझे नही पता. पर इतना ज़रूर सॉफ हो गया है कि बिल्लू कविता के कारण ही तुम्हारे पीछे पड़ा था. शायद उसे शक होगा कि कविता के गायब होने में संजय का हाथ है” ---- दीप्ति ने कहा.
“इस से उसका गुनाह कम नही हो जाता” --- मैने कहा.
“वो तो ठीक है ऋतु, मैं तो बस बिल्लू का मोटिव बता रही थी. पर यार मनीष अब कविता के केस पर लग गया है. हे ईज़ टेकिंग इट पर्सनली नाउ, वो समझ ही नही रहा है कि इस में उसकी जान को ख़तरा है, मुझे डर लग रहा है” ----- दीप्ति ने कहा
“दीप्ति लगता है वो ज़िद्दी है. तुम बस उसे ये समझाओ कि अपना ख्याल रखे. मुझे नही लगता कि उसे समझाने का कोई फाय्दा होगा. और तुम डरो मत अब तो वो बिल्कुल ठीक है, है ना”
“कहा ठीक है, लड़खड़ा कर चलता है अभी भी, पर चलो, अब मैं चलती हूँ, मुझे ऑफीस के लिए भी तैयार होना है” ---- दीप्ति ने कहा
“ओह्ह… मैं भी लेट हो रही हूँ, बाइ फिर फ़ुर्सत में बात करेंगे” --- मैने कहा
मैने जल्दी से फ्रेश हो कर ब्रेकफास्ट किया और ऑफीस के लिए तैयार हो गयी. पर हर पल मेरे मन में दीप्ति की कही बातें घूम रही थी.
मैने खिड़की से बाहर झाँक कर देखा, वाहा कोई नही था. मैने सोचा कि शायद बिल्लू थोड़ी देर में आने वाला होगा.
ठीक 9 बजे सिधार्थ ने डोर बेल बजाई.
जैसे ही मैने दरवाजा खोला उसने पूछा, “ बाहर सड़क पर तो कोई नही है, ये डाइयरी तुम्हारी कोई फिक्षन स्टोरी तो नही है”
नही सिधार्थ बिल्लू रोज सुबह सड़क पर खड़ा मिलता है. आज शायद वो नही आया. फिर मैने सिधार्थ को सुबह वाली बात बता दी. मैने उसे वो सब कुछ बता दिया जो कि दीप्ति ने मुझे बताया था.
“ह्म्म…..वेरी सॅड… बट स्टिल, बिल्लू ईज़ ए क्रिमिनल” ---- सिधार्थ ने कहा.
“हां में भी यही सोचती हूँ” ---- मैने कहा
जैसे ही मैं अपने घर से सिधार्थ के साथ निकली मेरी आँखे चारो तरफ बिल्लू को ही ढूंड रही थी. मैं उस से मिलना तो नही चाहती थी, हां पर ये ज़रूर सोच रही थी कि आख़िर वो आज यहा क्यों नही आया.
“बिल्लू को ही ढूंड रही हो, है ना” ? ---- सिधार्थ ने एमोशनल टोन में पूछा
मैने उसकी और देखा और बोली, “मैं हैरान हूँ कि आज वो क्यो नही आया”
“अछा ही तो है, उस से अब तुम्हे क्या मतलब, भाड़ में जाए वो” ---- सिधार्थ ने थोड़ा गुस्से में कहा
में समझ गयी कि सिधार्थ को हर्ट हुवा है. मैं चुपचाप उसकी कार में बैठ गयी और यहा वाहा देखना बंद कर दिया.
कितनी अजीब बात है, कयि बार हम ऐसी हरकते कर जाते है क़ि हमें भी नही पता चलता कि हम क्यो कर रहे है. दर-असल सुबह दीप्ति से बात करने के बाद मैं बिल्लू से एक बार मिलना चाहती थी. यही कारण था कि मैं सुबह उसे सड़क पर ना पा कर हैरान हो रही थी. सिधार्थ को ये बात बुरी लगनी ही थी. वो मुझे प्यार जो करता है.
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