Chodan Kahani छोटी सी भूल
11-13-2018, 12:44 PM,
RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
जैसे ही मैने दीप्ति से बात करके फोन रखा तो सिधार्थ मेरे कॅबिन में आ गया.

उसने पूछा, “आज शाम को क्या तुम फ्री हो”

मैने पूछा, “क्यो, क्या बात है”

“कुछ नही सोच रहा था आज तुम्हे मुंबई दर्शन करवा दूं, तुम पहली बार आई हो ना यहा” ---- सिधार्थ ने हंसते हुवे कहा.

मैने कहा, “आज मेरा घूमने का मन नही है सिधार्थ, फिर कभी देखेंगे”

“क्या तुम मेरे लिए इतना भी नही कर सकती, बस तुम्हारे मन की ही तो बात है, मुझे ख़ुसी होगी अगर तुम मेरे साथ चलो” ---- सिधार्थ ने कहा

मैने उसे बहुत समझाया पर वो नही माना और शाम को ऑफीस के बाद वो मुझे गेट वे ऑफ इंडिया ले गया.

वैसे गेट वे ऑफ इंडिया मेरे फ्लॅट के करीब ही था पर जब से में मुंबई आई थी तब से वाहा जाने का मोका ही नही लगा था.

सिधार्थ मेरे लिए आइस-क्रीम ले आया और हम होटेल ताज के सामने घूमते हुवे आइस-क्रीम खाने लगे. लग ही नही रहा था कि ताज होटेल पर कभी टेररिस्ट अटॅक हुवा था. सभी लोग वाहा शांति से घूम रहे थे.

वो आइस-क्रीम खाते खाते मुझे ही देखे जा रहा था.

अचानक उसने कुछ ऐसा पूछा की मैं आइस-क्रीम खाना भूल गयी.

“ऋतु, मुझ से शादी करोगी” ----- उसने मुझे रोक कर पूछा

मेरे हाथ से आइस-क्रीम छूट कर सड़क पर गिर गयी.

मैने उसकी और देखा, उसकी आँखे नम हो रही थी

“मैं तुम्हे आज भी उतना ही चाहता हूँ, मुझे नही पता कि तुम्हारे पति ने तुम्हे डाइवोर्स क्यो दिया और ना ही मैं जान-ना चाहता हूँ, मैं बस इतना जानता हूँ कि मैं तुम्हे प्यार करता हूँ, अगर तुम उस वक्त मान जाती तो तुम आज मेरी ही पत्नी होती” ----- सिधार्थ ने अपने रुमाल से मेरे होंटो पर से आइस-क्रीम पूछते हुवे कहा.

“सिधार्थ मैं ऐसा नही कर सकती, तुम्हे कैसे बताउ….” ---- मैने उशे समझाते हुवे कहा

“क्यों नही कर सकती ऋतु, तुम आज अकेली हो, मैं भी अकेला हूँ, मेरे पापा भी आज इस दुनिया में नही है, फिर क्या दिक्कत है. हमारे बीच अब कोई नही है. प्लीज़ कम इन माइ लाइफ” --- सिधार्थ ने भावुक हो कर कहा

“सिधार्थ मैं तुम्हे कैसे बताउ, आज मैं वो ऋतु नही हूँ, जिश ऋतु को तुम जानते थे, वो ऋतु कब की मर चुकी है” ---- मैने भावुक हो कर कहा.

ये कहते कहते मेरी आँखो में आंशु आ गये थे

“ऋतु ये क्या कह रही हो, प्लीज़ रोना बंद करो, क्या मैं जान सकता हूँ कि बात क्या है” --- सिधार्थ ने पूछा.

“मैने अपने पति को धोका दिया था, सिधार्थ, इसलिए उन्होने मुझे डाइवोर्स दे दिया है” --- मैने नज़रे झुका कर कहा.

“ये क्या कह रही हो ऋतु, मुझे तुम्हारी बात पर यकीन नही है, तुम फिर से कोई बहाना बना रही हो है ना, पर तुम चाहे कुछ भी कहो, मैं तुमसे शांदी करने के लिए तैयार हूँ” ---- सिधार्थ ने हैरानी भरे शब्दो में कहा

मैने कहा, “चाहे तुम जो कहो पर सच यही है, सिधार्थ, चाहो तो तुम मेरे पति संजय से फोन करके पूछ सकते हो”

सिधार्थ ने कहा, “मुझे किसी से फोन करके नही पूछना समझी, आइ लव यू आंड माइ लव ईज़ बियॉंड एनितिंग”

मुझे बहुत रोना आ रहा था, मैं सिधार्थ को कुछ भी समझाने की हालत में नही थी. वो मेरी बात सुन-ने को तैयार भी नही था

मैने उसे कहा, “सिधार्थ मुझे घर जाना है, बाद में बात करेंगे ठीक है, मैं अभी बहुत परेशान हूँ”

मैं टॅक्सी ले कर घर आ गयी और जब से आई हूँ, तब से बार बार मुझे सिधार्थ का मॅरेज प्रपोज़ल याद आ रहा है.

एक शादी तो मैं ठीक से नीभा नही पाई फिर दूसरी शादी के बारे में कैसे सोच लूँ.

ऐसा लग रहा है कि वाकाई में मेरी कुंडली में कोई दोष है, तभी मैने संजय की जींदगी बर्बाद कर दी. अब मैं ऐसा सिधार्थ के साथ नही कर सकती. उशे किसी और से शादी कर लेनी चाहिए. इशी में उसकी भलाई है.

………………………….

डेट : 22-01-09

21 जन्वरी मेरी जींदगी में अब तक का सबसे भयानक दिन बन गया है. और सब से चोंकाने वाला दिन भी…कल जो मेरे साथ हुवा वो मैं सपने में भी नही सोच सकती थी...

कल की घटना को लीखते हुवे मेरे हाथ काँप रहे है.

कल शाम को कोई 6 बजे मैं ऑफीस से निकल रही थी कि अचानक मेरे सामने एक कार आकर रुकी.

“अरे ये तो विवेक है, ये यहा क्या कर रहा है” – मैने मन ही मन में सोचा.

उसने कार का दरवाजा खोला और बोला, “भाभी, आपसे संजय के बारे में कुछ बात करनी थी, क्या आप मेरे साथ चलेंगी, कही किसी रेस्टोरेंट में बैठ कर बात करते है”

मुझे उसका वाहा होना मन ही मन में खटक रहा था, पर ना जाने क्यो संजय का नाम सुन कर मैं उत्शुक हो गयी थी.

मैने पूछा, “क्या बात है, बताओ”

पहले आप बैठ तो जाओ भाभी, कहीं बैठ कर आराम से बात करेंगे.

मेरा मन पता नही क्यों बार बार मुझे कह रहा था कि कहीं ना कहीं कुछ गड़बड़ है, इशके साथ मत जाओ, ये यहा मुंबई में क्या कर रहा है, पर संजय के बारे में जान-ने के लिए मैं झेजकते हुवे उशके साथ बैठ गयी.

जैसे ही मैं अंदर बैठी वो कार तेज़ी से यहा वाहा से निकालते हुवे एक शुनशान सड़क पर ले आया.

मैने पूछा, कितने रेस्टोरेंट निकल गये विवेक तुम कहा जा रहे हो.

मैने उसकी और देखा तो उशके चेहरे पर बहुत ही भयानक हँसी थी.

क्रमशः .......................................
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