RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
हम कोई रात 10:30 पर फरीदाबाद पहुँच गये.
मनीष एक प्रिवेते हॉस्पिटल में था, जो की संजय के क्लिनिक से काफ़ी दूर था.
जैसे ही हम हॉस्पिटल पहुँचे, बाहर हमें मनीष का असिश्टेंट रहमान मिल गया.
दीप्ति ने रहमान से पूछा, “कैसा है मनीष अब”
वो बोला, अभी अभी होश आया है, राइट लेग में फ्रेक्चर आया है, रोड डालनी पड़ी है, डॉक्टर ने कहा है कि वो 2 या 3 महीने चल नही सकेंगे.
“ओह माइ गोद, इतना ज़्यादा सीरीयस हमला था क्या” --- दीप्ति ने रहमान से पूछा.
“हां मेडम, मैं भी उस वक्त उनके साथ ही था, हम आज सुबह प्रिंसटीन माल की ओर जा रहे थे. मैं फुटपॅत पर बैठे एक सिगरेट वाले से सिगरेट लेने लगा कि अचानक एक कार ने मनीष सर को टक्कर मार दी” --- रहमान ने कहा
“ पर तुम तो कह रहे थे कि हमला हुवा है, ये तो आक्सिडेंट लग रहा है” ---- दीप्ति ने रहमान से पूछा.
“एक टक्कर मारने के बाद वो कार फिर से, मूड कर मनीष सर की ओर आ रही थी, जैसे की एक और टक्कर मारनी हो, पर मैने जल्दी से मनीष सर को वाहा से हटा लिया” ---- रहमान ने कहा
“तुमने किसी का चेहरा देखा कि कौन था कार में” ---- डिप्टी ने पूछा
“ नही मेडम कार में ब्लॅक स्क्रीन लगी हुई थी, अंदर कौन था, कुछ नही दीख रहा था” ---- रहमान ने बताया.
“ह्म्म…. चलो ठीक है, हम मनीष के पास चलते है, कौन से कमरे में है वो” दीप्ति ने रहमान से पूछा.
“जी, रूम नंबर 7…… आप चलिए मैं ज़रा अपना फोन रीचार्ज कराने जा रहा हूँ” --- रहमान ने दीप्ति से कहा.
जैसे ही हम रूम नंबर 7 में घुस्से हमने देखा कि मनीष, किन्ही गहरे विचारो में खोया हुवा है, और बिस्तर पर पड़े हुवे रूम की छत को घूर रहा है.
हमें देखते ही वो उठने की कोशिस करने लगा, उशके चेहरे पर दर्द के भाव सॉफ दीख रहे थे.
“अरे लेट रहो उठो मत, देखो तुमसे मिलने कौन आया है” ----- दीप्ति ने मनीष से कहा.
मनीष ने मुझे एक नज़र उठा कर देखा और विश करके अपनी नज़रे झुका ली.
बहुत कम आदमी एक औरत को ऐसी रेस्पेक्ट दे पाते है. ज़्यादा तर लोग तो किसी भी लड़की को उपर से नीचे तक हवश भरी नज़रो से देखते है.
मुझे तब अहसास हुवा कि, रियली मनीष ईज़ ए नाइस मॅन
“सॉरी ऋतु जी आपका काम पूरा नही हो पाया पर मुझ पर भरोसा रखिए, मैं ठीक होते ही आपको पूरी सचाई बता दूँगा” --- मनीष सॉरी फील करते हुवे बोला.
“मुझे कोई जल्दी नही है, आप अपना ख्याल रखिए, मेरे साथ तो जो होना था, सो हो चुका” ----- मैने मनीष से कहा.
“पर क्या तुम्हे कुछ पता चला कि ये हमला किसने करवाया है” ---- दीप्ति ने मनीष से पूछा
“देखो अभी बहुत कुछ उलझा हुवा है, कुछ नही कह सकते कि कौन ऐसा करवा सकता है, हां इतना ज़रूर है कि कोई है जो नही चाहता की हम कुछ जान पायें” --- मनीष ने कहा.
“कौन हो सकता है वो” --- दीप्ति ने पूछा
“कोई भी हो सकता है, बिल्लू का कोई साथी हो सकता है, या फिर……” ---- मनीष ने कहा.
“या फिर मतलब” – दीप्ति ने मनीष से पूछा.
‘मतलब की कोई भी हो सकता है, अभी कुछ क्लियर नही है” ---- मनीष ने कहा.
मैं चुपचाप सब कुछ शुन रही थी.
“अछा तुम तो कह रहे थे कि कल तक सब कुछ पता चल जाएगा, क्या तुम इस राज के बहुत करीब पहुँच गये थे” ---- दीप्ति ने मनीष से पूछा
“मुझे परसो एक फोन आया था, किसी वीना जोसेफ का, उन्होने मुझे आज सुबह 10 बजे प्रिस्टिन माल के बाहर मिलने को कहा था, मैं रहमान के साथ वहीं जा रहा था कि ये सब हो गया.” --- मनीष ने दीप्ति की ओर देखते हुवे कहा.
“अब ये वीना जोसेफ कौन हैउसका इस सब से क्या लेना देना है” ---- दीप्ति ने मनीष से पूछा.
वीना का नाम सुन कर मैं चोंक गयी थी, उसे मैं जानती थी. वो संजय के क्लिनिक में नर्स थी. उसकी उमर कोई 40 या 42 साल की होगी.
“वही तो पता करने मैं जा रहा था, मुझे बिल्लू के घर के पास रहने वाले एक पदोषी ने बताया था कि एक-दौ बार उसने वीना जोसेफ को बिल्लू के घर आते जाते देखा था. मैं वीना जोसेफ के घर का पता लगा कर, उशके घर पहुँच गया , पर वो उस वक्त घर पर नही मिली. मैं एक चिट वीना जोसेफ के घर छ्चोड़ आया था कि जब वो फ्री हो तो मुझे फोन करें, मुझे बिल्लू के बारे में कुछ बात करनी है. मैने अपना फोन नंबर चिट पर लीख दिया था” --- मनीष ने कहा
“मैं कुछ कहूँ” ? मैने मनीष और दीप्ति को रोकते हुवे कहा
दीप्ति बोली, “हां हां कहो क्या बात है”
“एक वीना जोसेफ को मैं जानती हूँ, वो केरला से थी, उमर कोई 40 या 42 साल, और अभी एक साल पहले तक वो संजय के क्लिनिक में नर्स थी” ----- मैने उन दौनो से कहा
“अछा ये बात पहले क्यो नही बताई” ---- दीप्ति ने मुझ से पूछा.
“अरे भाई, मुझे क्या पता था कि उसका इस मामले से कोई लेना देना है” ---- मैने दीप्ति की और देखते हुवे कहा.
“आप ठीक कह रही है” ---- मनीष मेरी और देखते हुवे बोला.
“अछा अब क्या होगा” --- दीप्ति ने पूछा.
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