RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, “ठीक है, जैसा तुम ठीक समझो, पर मेरी बात ध्यान रखना, मेरा नाम नही आना चाहिए”
“ओक ऋतु, मैं ध्यान रखूँगी, तुम्हे फोन करके सब कुछ बताती रहूंगी, डॉन’ट वरी अबौट एनितिंग” – दीप्ति ने जाते हुवे कहा.
मैने कहा, “ओक बाइ-बाइ, मुझे बहुत अछा लगा कि तुम आई, पर तुम्हारी ट्रॅजिडी सुन कर थोड़ा दुख भी हुवा, फोन करती रहना”
दीप्ति चली गयी और जैसा की मैने पहले कहा, उसके जाने के बाद मैं गहरे विचारो में खो गयी
फरीदाबाद में तो संजय ने लॅंडलाइन लगवाया हुवा था, इसलिए कभी मोबाइल लेने की ज़रूरत ही नही पड़ी. पर वाहा देल्ही में पापा ने मुझे अपना मोबाइल दे दिया था और खुद दूसरा खरीद लिया था. वही नंबर मैने दीप्ति को दे दिया था.
अगले दिन जब संजय ने डाइवोर्स पेपर भेजे तो मैने उन्हे अपने मोबाइल से ही फोन किया था, पर उन्होने एक बार भी मेरा फोन नही उठाया.
कुछ दिन यू ही बीत गये. मैं अक्सर अपने कमरे में ही पड़ी रहती थी. एक बार चिंटू खेलता खेलता मेरे पास आया और बोला, “हम अपने घर कब जाएँगे”
ये ऐसा सवाल था जीशका की मेरे पास कोई जवाब नही था.
मैने उशे कहा, “तुम खेलो बेटा, अभी हम कुछ दिन यही रहेंगे”
और वो वाहा से खेलता हुवा भाग गया. वो तो वैसे भी वाहा खुस ही था, उसे वाहा स्कूल जो नही जाना पड़ रहा था.
पर क्योंकि संजय ने डेवोर्स केस कर दिया था इसीलिए मैने उशे वही, देल्ही में ही एक स्कूल में अड्मिट करवा दिया. मैं नही चाहती थी कि उसकी स्कूलिंग में ब्रेक आए.
10 अक्टोबर को दीप्ति का फोन आया, उसने जो बताया वो मुझे और ज़्यादा सोचने पर मजबूर कर गया.
“ऋतु तुमने कहा था ना कि बिल्लू रिक्शा भी चलाता है” ---- दीप्ति ने पूछा
“हां कहा था, क्यो क्या हुवा” ---- मैने हैरानी में पूछा
“ मनीष ने फरीदाबाद में तुम्हारे घर के आश् पास रिक्से वालो से बात की थी, उनके अनुशार वाहा कोई बिल्लू नाम का रिक्सा चलाने वाला नही है”
मैने हैरानी में पूछा, “ क्या !! ऐसा कैसे हो सकता है ? एलेक्ट्रिक शॉप और उशके घर पर पता किया”
“वो घर उसका नही था, वो वाहा मार्च 2008 से रेंट पर रह रहा था. पदोषियों को उशके बारें में कुछ नही पता. लोगो के अनुशार वो गुम शुम, चुपचाप रहने वाला लड़का था, ज़्यादा लोगो से बात नही करता था, इसीलिए किसी को उशके बारे में नही पता. हां लोगो ने ये ज़रूर बताया कि बिल्लू एक बार रिक्से में किसी खुब्शुरत लड़की को लाया था. शायद वो उशी दिन की बात होगी जब वो तुम्हे अपने घर ले गया था. उशके मकान मालिक ने बताया कि बिल्लू ने मकान ये कह कर लिया था कि कोई 5 या 6 महीनो के लिए चाहिए, उशके बाद वो वापस देल्ही चला जाएगा.अब देल्ही में वो कहा रहता था, क्या करता था अभी कुछ नही पता.” --- दीप्ति ने कहा.
मैं ये सब सुन कर चोंक गयी थी
मैने दीप्ति से पूछा, “और कुछ पता चला या फिर बस इतना ही पता चला है”
“हाँ, हां पूरी बात तो सुनो” --- दीप्ति ज़ोर से बोली.
“उशके कमरे में मनीष को एक डाइयरी मिली है. डाइयरी में एक पेपर पर संजय का नाम पता सब कुछ लिखा है. और तो और उस में विवेक का भी नाम पता लिखा है. हैरानी की बात ये है कि पूरी डाइयरी में बस उन दोनो का ही नाम, पता है” ----- दीप्ति ने कहा
“अछा और कोई बात भी है क्या डाइयरी में” ? --- मैने उत्शुकता में पूछा
“उस में संजय के क्लिनिक और घर का पूरा अड्रेस लिखा हुवा है, पता नही इश्का क्या मतलब है. खैर ये तो हम जानते ही थे कि संजय बिल्लू को जानता है, ये बात अब कन्फर्म भी हो गयी. पर सबसे बड़ी बात सुनो” --- दीप्ति ने कहा.
मैने कहा, “हां शुनाओ”
दीप्ति ने डीटेल में कहा “डाइयरी में तुम्हारे बारे में, संजय के बारे में और चिंटू के बारे में कुछ डीटेल लिखी थी. लिखा है कि संजय सुबह किस वक्त क्लिनिक जाता है, किस वक्त लंच करने आता है, और किस वक्त तक शाम को घर वापस आता है. चिंटू के बारे में लीखा है कि किस वक्त स्कूल जाता है, और किस वक्त दोपहर को वापस आता है. चिंटू के स्कूल का अड्रेस भी लिखा है.तुम्हारे बारे में काफ़ी डीटेल लीखी थी. जैसे कि तुम किस वक्त दोपहर को किचन की खिड़की से झाँकति हो, कौन से ब्यूटी पार्लर जाती हो, कब अक्सर संजय के साथ शाम को घूमने जाती हो….. इत्यादि, मतलब की उसने तुम्हारे घर का डेली रुटीन चार्ट बना रखा है”
मैने हैरानी में पूछा, “ यार ये सब उसने कहा से पता किया होगा”
दीप्ति बोली, “आगे तो शुनो”
मैने कहा, “हां, हां शुनाओ”
“डाइयरी में लाल अक्षरो में एक बात लिखी थी, जीशका की मतलब अभी क्लियर नही हो रहा. मनीष के अनुशार वो इंशानी खून से लीखी थी” दीप्ति ने कहा
“क्या लिखा था बताओ तो सही” ---- मैने ज़ोर से पूछा
दीप्ति ने कहा, लिखा था कि “डॉक्टर की तो यही सज़ा है पर वकील को हर हाल में मारना होगा”
“इसका क्या मतलब है दीप्ति, कुछ समझ नही आया” ---- मैने हैरानी में दीप्ति से पूछा.
“वही तो मैं कह रही थी, अभी कुछ नही पता, लेकिन मनीष पूरी कोशिस कर रहा है, वो इस राज की गहराई तक जा कर रहेगा. पर तुम ये देखो मैं कह रही थी ना की कही ना कही कुछ भारी गड़बड़ ज़रूर है” ---- दीप्ति बोली.
“हां यार पर मुझे अब बहुत डर लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे की मैं किशी क्रिमिनल के साथ इन्वॉल्व थी” ---- मैने दीप्ति से कहा.
“अगर वो क्रिमिनल था तो, वो मर चुका है, फिर अब डरने की क्या बात है” ---- दीप्ति ने मुझे दिलासा देते हुवे कहा.
मैने पूछा “और वो एलेक्ट्रिक शॉप वाहा कुछ पता चला”
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