RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
पिंकी तभी बोल पड़ी, “नही, दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”.
सुरेश बोला, “फिर इतना सोच क्यो रही हो, बना बनाया खेल मत बिगाड़ो, हम दोनो का बहुत कुछ दाँव पर लगा है”
पर पिंकी कुछ नही बोली, और बेड पर बैठे-बैठे किसी गहरी चिंता में खो गयी.
“मैं दरवाजा खोलता हूँ, तुम चिंता मत करो, एक बार से तुम्हारा कुछ नही बिगड़ेगा, तुम कौन सा कुँवारी हो” --- सुरेश ने पिंकी के हाथो से हाथ छुड़ा कर कहा.
“तुम नही समझोगे कि मुझ पर क्या बीत रही है, मैं तुम्हारे साथ खुल कर करती हूँ तो इसका मतलब ये नही है कि मैं किसी के भी साथ…..” ---- पिंकी ने सुरेश को पीछे से आवाज़ लगा कर कहा.
पर सुरेश ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और तेज़ी से आगे बढ़ गया.
मैं सोच रही थी कि कितना बेकार इंशान है ये सुरेश, क्या कोई किसी अपने के साथ ऐसा करता है ?? जैसा भी सही, उनका आपस में कोई ना कोई रिस्ता तो था ही. बहुत ही कमीना लग रहा था सुरेश उस वक्त. शायद पिंकी भी मन ही मन में यही सोच रही थी.
पर इतना ज़रूर था कि उशके अंदर मुझ से बदला लेने की तम्माना अभी भी, ज्यो की त्यो थी, तभी तो ऐसे में भी कह रही थी की…. “नही दीप्ति को हर हाल में बर्बाद होना है”. पता नही मेरी बर्बादी से उसे क्या हाँसिल होने वाला था.
जैसे ही सुरेश वाहा से चला गया, पिंकी ने अपने उपर झट से बेड पर रखी एक चदडार खींच ली.
कोई 5 मिनूट बाद सुरेश आता हुवा दीखाई दिया, उसके पीछे पीछे वो ड्राइवर भी आ रहा था. जैसा की पिंकी कह रही थी वो देखने में बहुत बदसूरत था और काफ़ी हॅटा कॅटा था, एक दम किसी मोटे पहलवान की तरह.
सुरेश ने ड्राइवर को कहा, तुम अभी दूसरे कमरे में रूको, मैं मेडम से बात करता हूँ.
ड्राइवर वाहा से चुपचाप चला गया, पर जाते जाते वो हवश भरी नज़रो से चदडार औधे पड़ी पिंकी की और देख रहा था.
सुरेश पिंकी के पास आ कर बोला, “पिंकी उठो, क्या बात है ? जल्दी से इस हरामी को निपटा दो और टेन्षन फ्री हो जाओ, बस एक बार की बात है. कौन सा तुम्हे रोज रोज करना है”
“ठीक है पर तुम्हे मेरी एक बात मान-नि पड़ेगी” ---- पिंकी ने मूह से चदडार हटा कर कहा
सुरेश बोला, “हां-हां बोलो क्या बात है”.
“मैं तुम्हारे सामने ये सब नही करूँगी, तुम यहा से चले जाओ” --- पिंकी ने आँखे बंद करके कहा.
“ठीक है मैं बाहर चला जाता हूँ, ड्राइवर अंदर से बंद कर लेगा, कोई बात हो तो तुम फोन कर लेना, मैं यही होटेल की बार में रहूँगा, फॉरन आ जाउन्गा” --- सुरेश ने पिंकी के सर पर हाथ फिराते हुवे कहा.
ये कह कर सुरेश जाने लगा तो अचानक पिंकी ने पीछे से आवाज़ दे कर कहा, “उसे समझा दो की मेरे साथ तमीज़ से पेश आए”.
“हां हां मैं समझा दूँगा तुम किसी बात की चिंता मत करो”------ सुरेश ने पिंकी के होंटो को किस कर के कहा
ये कह कर सुरेश दूसरे कमरे में चला गया और पिंकी ने फिर से अपने उपर चदडार ओढ़ ली.
दूसरे कमरे से सुरेश की आवाज़ आई, “रामू, मेंसाब् के साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नही करना और आराम से, तमीज़ से करना, वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा”
ड्राइवर बोला, “आप चिंता ना करो साहब, मुझे मेंसाब् अछी लगती है, मैं उन्हे कोई तकलीफ़ नही होने दूँगा, आप बेफीकर हो कर जाओ”.
तभी दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज़ आई, शायद सुरेश बाहर चला गया था और ड्राइवर ने अंदर से कुण्डी लगा ली थी.
फिर ड्राइवर के कदमो की आवाज़ शुनाई दी वो दूसरे कमरे से पिंकी की और बढ़ रहा था.
पिंकी ने कदमो की आवाज़ आते ही अपनी चदडार को आछे से अपने चारो और भींच लिया.
ड्राइवर बेड के पास आ गया और पिंकी को चदडार में लिपटे हुवे उपर से नीचे तक देखा, उसकी आँखो में किसी जानवर जैसी हवश थी.
वो पिंकी को देखते हुवे अपने पेनिस को मसालने लगा और देखते ही देखते उशके घिनोने चेहरे पर अजीब सी मुश्कान बिखर गयी.
वो चारो तरफ देखने लगा, वो शायद टाय्लेट ढूंड रहा था.
उशे टाय्लेट मिल गया और वो झट से टाय्लेट की ओर मूड गया.
पिंकी एक दम चुपि साधे पड़ी थी. ऐसा लग रहा था जैसे की बेड पर कोई नही है.
मैने मनीष से धीरे से कहा, यही मोका है चलो चलते है यहा से,
वो बोला, हां मैं भी यही सोच रहा हूँ.
हम दोनो ने दबे पाँव से पर्दे के बाहर कदम रखा ही था कि तभी टाय्लेट का दरवाजा खुलने की आवाज़ आई और हम फॉरन फिर से पर्दे के पीछे अपनी अपनी जगह पर वापस आ गये.
हम हैरान थे कि ये ड्राइवर इतनी जल्दी कैसे बाहर आ गया. शायद वो बहुत ही डेस्परेट हो रहा था.
वो फिर से पिंकी के पास आ गया और बिस्तर के पास खड़ा हो गया.
वो अपने पेनिस को अपनी पॅंट के उपर से मसालते हुवे बोला, “मेंसाब्”
पर पिंकी चुप चाप लेती रही, उसने कोई हलचल नही की.
“मेंसाब् क्या आप सो रही है” ? ’ ---- ड्राइवर पिंकी के थोड़ा और करीब आ कर बोला.
पर फिर भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही किया.
शायद वो सोच रही थी कि उसे ऐसे ही फ्रस्टरेट करके वाहा से रफ़ा दफ़ा कर देगी.
“पिंकी मेंसाब् क्या आप सो रही है ?’ इस बार ड्राइवर ने पिंकी के सर के पास झुक कर कहा.
पर इस बार भी पिंकी ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया.
ड्राइवर ने चदडार को पिंकी के सर के उपर से पकड़ा और उसे नीचे खींचने लगा.
तभी पिंकी चील्ला कर बोल पड़ी, “क्या बात है, दूर हटो” ?
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