RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, दीप्ति प्लीज़, रूको यार तुम ही तो मेरा एक मात्र सहारा हो, तुम भी रूठ गयी तो मेरा क्या होगा.
वो बोली ठीक है मैं रुक जाती हूँ पर पहले ये रोना धोना बंद करो और अपनी छोटी सी भूल को एक बार फिर ध्यान से देखो. कोई भी तुम्हारी कहानी सुन कर बता सकता है कि कहीं ना कहीं बहुत भारी गड़बड़ है और तुम हो कि हाथ पर हाथ रख कर बैठी हो. पता है मैने महेश का क्या हाल किया था ?
मैने कहा, पर बिल्लू को उसकी सज़ा मिल चुकी है, वो मर चुका है, और मैं भी अपने पापो की सज़ा भुगत रही हूँ. अब बाकी क्या रह गया है ?
वो बोली, विवेक और संजय की बात पर ध्यान दो, विवेक ने संजय से कहा था कि “मुझे शक है कि तुझे वाहा बिल्लू ने ही बुलाया होगा” और संजय ने कहा था कि “तुझे शक है, मुझे तो पूरा यकीन है कि ये सब उसने जानबूझ कर किया है. पर अब कोई चिंता की बात नही, उसका खेल ख़तम हो चुका है”
मैने कहा, हां ये मैं जानती हूँ.
दीप्ति बोली, उनकी बातो से यही लगता है कि वो दोनो बिल्लू को थोड़ा बहुत नही बल्कि बहुत आछे से जानते है, तुम्हे क्या लगता है ?
मैने कहा, हां लगता तो मुझे भी यही है, पर मुझे समझ नही आ रहा कि तुम गढ़े मुर्दे क्यो उखाड़ रही हो.
दीप्ति बोली, यार क्या करूँ मनीष के साथ रह कर मैं भी डीटेक्टिव टाइप हो गयी हूँ.
मैने पूछा, कहीं तुम्हे उस से प्यार तो नही हो गया.
दीप्ति बोली, ये सब छ्चोड़ और सच-सच बता क्या तुझे कुछ अजीब नही लग रहा.
मैने कहा, अजीब तो लग रहा है, पर मैं कर भी क्या सकती हूँ, सब तेरे सामने है, मैं आज बर्बाद हो चुकी हूँ.
दीप्ति बोली, ऐसा करते है ये काम मनीष को दे देते है, मुझे यकीन है कि वो कहीं ना कहीं से पूरी बात ज़रूर पता कर लेगा.
मैने पूछा, तुम उस ब्लॅकमेलर पर इतना भरोसा कैसे कर सकती हो, क्या तुम भूल गयी की उसने तुम्हारे साथ क्या किया था.
दीप्ति ने कहा, मैं बस इतना जानती हूँ कि अगर मनीष नही होता तो ना जाने वो कमीना महेश मेरे साथ………..
मैने पूछा, पर यार एक बात बता, ऐसा कैसे हो गया कि तुम्हारे घर वालो को ना तो ये पता चला कि महेश का असली नाम सुरेश है और ना ही ये पता चला कि वो शादी शुदा है ???
दीप्ति ने कहा, इसके पीछे भी एक राज है, कहो तो सुनाउ ?
मैने कहा, हां, हां सूनाओ, मैं भी तो देखूं कि आख़िर तुम लोगो को इतना बड़ा धोका कैसे हो गया ?
दीप्ति ने कहा, अगले दिन मनीष ने सूर्या होटेल में मेरे लिए सारा इंतज़ाम कर दिया था, ताकि मैं अपनी आँखो से सुरेश (महेश) की करतूत देख पाउ.
मैने कहा, यार ये क्या सुना रही हो, तुम बस ये बताओ कि तुम लोगो को धोका कैसे हो गया ?
दीप्ति बोली, वही सुना रही हूँ, ऋतु, उस दिन सूर्या होटेल की घटना में ही सारे राज छिपे है.
मैने कहा, ह्म्म….. ठीक है फिर सुनाओ, मैं सुन रही हूँ.
दीप्ति के शब्दो में :----------
अगले दिन मनीष ने मुझे फोन कर के बताया कि महेश किसी लड़की के साथ दोपहर के कोई 2 बजे
होटेल में आएगा.
उसने मुझे कहा कि तुम 1 बजे होटेल सूर्या पहुँच जाना मैं तुम्हे वहीं मिलूँगा.
मैं ठीक 1 बजे होटेल सूर्या के बाहर पहुँच गयी. मनीष वहीं मेरा इंतेज़ार कर रहा था.
मैने पूछा, उसे हम रंगे हाथो कैसे पकड़ेंगे ?
मनीष ने कहा, सुरेश (महेश) रूम नंबर 102 में रुकने वाला है, हम 103 में रहेंगे.
मैने पूछा, तो हमें कैसे पता चलेगा कि 102 में क्या हो रहा है.
मनीष ने कहा, आओ दिखाता हूँ.
मनीष मुझे रूम नो 102 में ले आया. उसने होटेल वालो से कोई अरेंज्मेंट करके 102 की एक चाबी अपने पास रख रखी थी.
102 में आकर उस ने मुझे हर वो जगह दीखाई जहा उस ने कमेरे छुपा रखे थे.
मैने पूछा, ये सब तुमने कैसे किया ?
मनीष ने कहा, ये बंदा डीटेक्टिव है, कुछ भी कर सकता है. हम अब 103 में बैठे बैठे सब कुछ देखते रहेंगे. इस रूम में जो भी होगा वो रेकॉर्ड होता रहेगा.
हम ये बाते कर ही रहे थे कि अचानक 102 के बाहर किसी के कदमो की आहट हुई.
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