RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने हैरानी भरे शब्दो में कहा, क्या ??? ऐसा नही हो सकता.
वो बोला, ऐसा हुवा है दीप्ति जी, सुरेश की पत्नी संजना ने ही मुझे उसकी जासूसी करने भेजा है. उन्हे शक था कि उनके पति के किसी के साथ नज़ायज़ संबंध है, इश्लीए मैं आपके साथ ऐसा बर्ताव कर रहा था, मुझे माफ़ कर दिजीये. मैं समझ रहा था कि आप ही वो लड़की हो जिसके साथ सुरेश के नज़ायज़ संबंध है.
मैने पूछा, मैं कैसे मान लूँ कि तुम जो कह रहे हो वो सच है ?
वो बोला, ओह हां, मेरे पास सुरेश की शादी की कुछ पिक्चर्स है जिसमे संजना और सुरेश साथ साथ है.
उसने अपने सूटकेस से निकाल कर मुझे कुछ पिक्चर्स दिखाई. पिक्चर्स से ये सॉफ हो गया कि सुरेश/महेश शादी शुदा है.
मैने उस से पूछा, तो तुम कौन हो ?
वो बोला, मेरा नाम मनीष है और मैं प्राइवेट डीटेक्टिव हूँ. पर आज मुझ से बहुत बड़ी भूल हो गयी, मैने कहीं से भी ये जान-ने की कोशिस नही की, कि आपका सुरेश के साथ क्या रिस्ता है, आपको सुरेश के साथ आपके कॅबिन में देख कर यही लगा कि आप वही लड़की हो जिस के साथ सुरेश के अवैध संबंध है, इसलिए आगे कुछ जान-ने की कोशिस नही की.
मैने कहा, पर फिर भी मुझे कुछ अजीब लग रहा है.
वो बोला, कल सुरेश किसी और लड़की के साथ होटेल सूर्या में रुकने वाला है. तभी मैने आपको आज बुला लिया क्योंकि कल मुझे सुरेश पर नज़र रखनी है. आप खुद कल अपनी आँखो से देख सकते हो.
मैने कहा, ह्म्म्म…….. ठीक है, मैं अपनी आँखो से देखना चाहूँगी.
वो बोला, ठीक है फिर मैं इंतज़ाम करता हूँ, ताकि आप अपने फियान्से की करतूत अपनी आँखो से देख सको.
मैने दीप्ति से पूछा, तो क्या मनीष सच बोल रहा था या फिर ये उसकी कोई साजिश थी.
दीप्ति ने कहा, काश वो कोई साजिश कर रहा होता, पर ये सच था कि सुरेश (महेश) की शादी हो चुकी थी. बाद में मुझे पता चला कि उसने अपनी बीवी संजना से पैसे के लिए शादी कर रखी थी और वो अपनी बीवी की दौलत पर ही ऐश कर रहा था.
मैने कहा, ह्म्म……. फिर तो वाकाई में ये बहुत बड़ी ट्रॅजिडी थी. मैने यू ही तुम्हे कह दिया था कि शादी से पहले फियान्से के साथ थोडा बहुत तो चलता है, मेरा मकसद बस तुम्हारे मन को दिलासा देना था, ये मैं भी आछे से जानती हूँ कि फियान्से के साथ एक हद तक ही हम आगे बढ़ सकते है. आज कल किसी का भरोसा नही है, इंशान की खाल में यहा भेड़िए घूमते है.
दीप्ति बोली, शुक्र है कि वक्त रहते मुझे पता चल गया, वरना मेरे साथ और भी ज़्यादा भयानक हो सकता था. अभी पीछले हफ्ते कोई मुझे बता रहा था कि एक लड़की को उशके फियान्से ने प्रेग्नेंट कर के छ्चोड़ दिया.
मैने कहा, हां तुम सही कह रही हो. भगवान का लाख लाख शुक्र है. मैं अपनी बात बताउ तो, मैने तो संजय से कभी फोन पर भी बात नही की थी और ना ही उन्होने मुझे कभी परेशान किया था. शादी से पहले वो मुझ से मुश्किल से कोई चार या पाँच बार ही मिले होंगे. और उन्होने हमेशा मुझ से शालीनता से बात की थी. अब मुझे और ज़्यादा दुख हो रहा है कि मैने एक देवता जैसे इंशान को धोका दिया है.
दीप्ति ने कहा, पता है, मुझे सबसे ज़्यादा तुम्हारे अंदर क्या अछा लगता है,
मैने पूछा, क्या बताओ ?
वो बोली, यही की तुम हमेशा खुले मन से अपनी ग़लती मान लेती हो. किसने सिखाया तुम्हे ये सब.
मैने कहा, पापा मुझे हमेशा से अछी बाते सिखाते आए है, पर मैं जाने क्यो अछाई का दामन छ्चोड़ कर बुराई के दलदल में फँस गयी.
दीप्ति बोली, एक बात बताओ ?
मैने कहा, हां पूछो ?
तुमने बताया कि जब तुम संजय के क्लिनिक में बिस्तर पर पड़ी थी तो तुमने संजय और क्या नाम था उसका उहह ?
मैने कहा, विवेक.
उसने कहा, हां विवेक, तुमने बताया कि तुमने संजय और विवेक की बाते सुनी थी.
मैने कहा, हाँ, मैं तुम्हे सब कुछ बता चुकी हूँ.
वो बोली, क्या तुम्हे नही लगता कि डाल में कुछ काला है ?
मैने कहा, हैरान तो मैं भी हूँ की संजय और विवेक बिल्लू को कैसे जानते है, पर जाने दे अब इन बातो का क्या फ़ायदा मेरे साथ जो होना था सो हो चुका.
वो बोली, बात फाय्दे या नुक-सान की नही है, मुझे ये बात परेशान कर रही है कि कहा वो बिल्लू एक रिक्सा चलाने वाला और कहा संजय और विवेक. उन्हे बिल्लू का नाम कैसे पता है ?
मैने कहा, जाने दे यार अब मेरे ज़ख़्मो को मत कुरेदो मैं अभी भी बहुत परेशान हूँ.
वो बोली, ऋतु क्या हो गया है तुम्हे ? तुम तो ऐसी हारगीज़ नही थी. हिम्मत रखो, जिंदगी में वक्त बदलते देर नही लगती.
मैने कहा, वो तो ठीक है यार, पर जिस पर गुजरती है वही जानता है.
दीप्ति ये सुन कर गुस्सा हो गयी और बोली, लगता है अपनी कहानी मैने तुम्हे यू ही शुनाई, ऐसे कह रही हो जैसे मैने अपनी जींदगी में गम देखा ही ना हो. मैं चलती हूँ.
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