RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
पोलीस आई और अपनी खाना पूर्ति कर के चली गयी. उस आदमी का कुछ पता नही चला.
कोई एक हफ्ते बाद मुझे एक लेटर आया, उस पर किसी भेजने वाले का नाम नही था.
मैने उसे खोल कर देखा तो पाया कि उस में एक सीडी है, और एक कागज का टुकड़ा है.
उस कागज पर लिखा था,
बहुत शॉंक है ना थप्पड़ मारने का तुम्हे, मैं तुम्हे बताता हूँ कि थप्पड़ कैसे मारा जाता है. कल शाम को ठीक 6 बजे मुझे होटेल सूर्या के बाहर मिलो. तुम नही आई तो तुम्हारी करतूत का म्म्स बना कर नेट पर डाल दूँगा, और टाइटल दूँगा, “असिस्टेंट मॅनेजर, दीप्ति, अपने कॅबिन में लंड चूस्ति हुई”.
ये पढ़ कर मेरे रोंगटे खड़े हो गये.
मैने तुरंत काँपते हाथो से सीडी को कंप्यूटर में डाला और सीडी को प्ले कर दिया.
उस में वो पूरा सीन था जब मैं अपनी कुर्सी पर बैठी हुई महेश को सक कर रही थी.
एक पल को मेरा सर घूम गया कि ये क्या हो रहा है. मेरा अंग, अंग किसी अंजान डर से काँप रहा था
मैं बहुत डर गयी थी कि अब क्या करूँ. उस आदमी ने मुझे अगले दिन शाम के 6 बजे बुलाया था. पता नही वो मुझ से क्या चाहता था ?
मैने दीप्ति को वही टोक दिया, रूको, कहीं तुमने मेरे जैसी ग़लती तो नही की ?
दीप्ति बोली, ग़लती ? ह्म्म… पहले तुम पूरी बात सुन लो फिर बताना कि मैं कहा ग़लत थी और कहा सही. मेरे लिए ये डिसाइड करना मुश्किल है, पर शायद तुम पूरी बात सुन कर मुझे कुछ बता पाओ. और , हां, ये सब बाते डिसकस करने का मतलब भी तभी है जब हम अपनी जींदगी से कुछ सीख पाएँ ताकि हम आगे कोई ग़लती ना करें.
मैने गहरी साँस ले कर कहा, आगे अगर कुछ बचा ही ना हो तो सीखने का भी क्या फ़ायडा ?
वो बोली, तू कैसी बात करती है ? अपनी कहानी क्या मैं तुम्हे यू ही शुना रही हूँ ? मैं तुम्हे ये बताना चाहती हूँ कि देखो मेरी जींदगी में भी क्या कुछ नही हुवा ? पर मैने हार नही मानी और आज भी हर हालात का सामना करने के लिए तैयार हूँ. हर दिन एक नया दिन होता है ऋतु और जींदगी का सफ़र चलता रहता है, आइ कॅन से ओन्ली वन थिंग, “नो बॉडी कॅन गो बॅक आंड स्टार्ट ए न्यू बिगिनिंग, बट एनिवन कॅन स्टार्ट टुडे आंड मेक ए न्यू एंडिंग”. सब कुछ तुम्हारे हाथ में है कि अब तुम क्या करोगी.
मैने कहा, ह्म्म…. शायद तुम ठीक कह रही हो, अछा आगे बताओ क्या हुवा ?
दीप्ति के शब्दो में :-------
तुझे तो पता ही है, ऐसे में डर लगना नॅचुरल है. मेरे हाथ पाँव काँप रहे थे, समझ नही आ रहा था की ये सब क्या हो रहा है ?
मैं यही सोच रही थी कि पता नही ये आदमी कौन है, और मुझ से क्या चाहता है ? क्या वो यहा सिर्फ़ मेरी वीडियो बनाने आया था ? कहीं इस सब में महेश का तो हाथ नही ?
महेश पर शक जाना लाज़मी था, आख़िर जिस दिन वो आया था, उसी दिन तो ये घटना हुई थी.
मैने तुरंत महेश को फोन किया, पर बार बार ट्राइ करने के बाद भी उसका नंबर नही मिला. उसका फोन स्विच्ड ऑफ आ रहा था.
अचानक मेरे मोबाइल पर एक फोन आया, नंबर मेरे कॉंटॅक्ट लिस्ट में नही था,
मैने कहा, हेलो
फोन से आवाज़ आई, हेलो दीप्ति मेडम, पहचाना मुझे ?
मैने पूछा, नही, कौन हो तुम ?
वो बोला, वही जिसने आपकी रंगरलियाँ रेकॉर्ड की थी.
मैने कहा, तुम… आख़िर तुम मुझ से क्या चाहते हो, और ये नंबर तुम्हे किस ने दिया ?
वो बोला, वो सब छोड़ो और मेरी बात ध्यान से सुनो, तुम्हे अभी मुझ से मिलने आना होगा.
मैने कहा, क्या ?
वो बोला, हां अभी आना होगा, कल मैं कहीं बिज़ी रहूँगा.
मैने उस से फिर पूछा, आख़िर तुम मुझ से चाहते क्या हो.
वो बोला, ये सब मिल कर बताउन्गा, तुम जल्दी सूर्या होटेल के बाहर पहुँचो मैं तुम्हारा इंतेज़ार कर रहा हूँ, अगर तुमने कोई चालाकी की या फिर, ना आने की हिम्मत की तो मैं तुरंत तुम्हारी करतूत दुनिया के सामने ले आउन्गा.
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