RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
थोड़ा सोचने के बाद वो बोला, वक्त आने पर तुझे सारी सचाई पता चल जाएगी. तू अशोक को भूल जा, मैने कल माफी तो माँगी थी, और तूने मुझे माफ़ भी किया था, क्या कल तू नाटक कर रही थी ?
मैने कहा, नाटक तो तुम करते हो, मुझे क्या पता नाटक क्या होता है.
बिल्लू मेरे कदमो में बैठ गया और बोला, तू गुस्से में और भी ज़्यादा प्यारी लग रही है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
प्लीज़ मुझ पर रहम खाओ, मैं तुझसे फिर से माफी माँगता हू. कल सारी रात मैं तेरे लिए तड़प्ता रहा, तुझे क्या पता मेरी क्या हालत हो रही है तेरे प्यार में.
मैने कहा, अगर तुम्हे मुझ से प्यार था तो मुझे धोका क्यो दिया.
वो बोला, तुमने मुझे अभी तक माफ़ नही किया, मैं क्या करूँ, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.
मैने कहा, ठीक है, ठीक है, अब उठ जाओ और यहा से जाओ.
उसने पूछा, क्या तू मेरे साथ नही चलेगी.
मैने कहा, मैं तुम्हारे साथ नही जा सकती समझा करो, तुम्हे मुझसे जो चाहिए था, वो तुम्हे मिल तो गया.
उसने कहा, एक बार फिर से दे दो ना.
मेरे होंटो से अचानक निकल गया, क्या ? और मैं ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी.
उसने बेशर्मी से हंसते हुवे कहा, वही दे दो जहा कल मैने अपनी जीभ घुमाई थी, सच कल सारी रात मेरा लंड मेरी जीभ को कोस्ता रहा कि क्या किशमत पाई है.
ये सुन कर एक पल को मेरे होश उड़ गये. मेरे मन का एक कोना भी तो ऐसा ही चाहता था कि बिल्लू मुझ में गहराई तक समा जाए.
पर फिर मैने खुद को संभाला और कहा, चुप करो, मैं ऐसा नही कर सकती, जितना तुम्हे मिलना था मिल चुका, अब मैं और कुछ नही कर सकती.
उसने पूछा, सच बता क्या दुबारा तुझे मेरा लंड लेने की इच्छा नही हुई ? क्या तुझे कभी वो पल याद नही आया जब मैने तेरी गांद मारी थी ?
ये सब सुन कर मैं फिर से अपने होश खो बैठी, मेरी आँखो में फिर से वो पल घूम गया जब बिल्लू बहुत तेज-तेज मेरे नितंबो में धक्के लगा रहा था और मैं उशके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.
उसने फिर पूछा, बता ना शर्मा मत क्या तुझे कभी याद नही आया कि तूने कैसे उस दिन मज़े से दी थी, मुझे तो वो दिन रोज याद आता है और मैं बार बार यही दुआ करता हूँ कि तेरी फिर से वैसे ही मिल जाए.
वो ऐसी बाते कर रहा था कि कोई भी सुन कर बहक जाता, मैं भी थोड़ा सा बहक गयी, पर फिर मैने कहा, नही मुझे कुछ याद नही आया, तुम अब जाओ, मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे परिवार में खुश रहने दो.
वो बोला, तू तो खुश ही है मैं ही दीवानो की तरह यहा वाहा भटक रहा हूँ.
मैने कहा, तो मैं क्या करूँ मैने तो तुम्हे मेरे पीछे नही लगाया.
वो बोला, ठीक है ग़लती मेरी ही है, जो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे पड़ा हूँ, मैं चला जाउन्गा पर एक बार अपनी चूत तो चुस्वा लो.
मैं कुछ नही कह पाई.
उसने बैठे बैठे मेरे नितंबो को थाम लिया और सलवार के उपर से ही मेरी योनि पर मूह रगड़ने लगा.
मैं हड़बड़ा कर पीछे हट गयी.
उसने कहा, अब कम से कम जो कल किया था वही कर लेने दो.
मैने कोई जवाब नही दिया.
बिल्लू ने आगे बढ़ कर मेरी योनि पर फिर से अपना मूह सटा दिया.
मैं अब पीछे नही हट पाई.
मैं जानती थी कि अगर मई बहक गयी तो खुद को थामना मुश्किल हो जाएगा, पर ना जाने क्यो मैने फिर उसे नही रोका.
वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था, जैसा कल हुवा था, वैसा ही आज भी हो रहा था.
मैं चुपचाप वाहा खड़ी रही और वो मेरी योनि को कपड़ो के उपर से ही चूमता रहा, मैने खुद को थामने की बहुत कॉसिश की पर मैं मदहोश होती चली गयी.
थोड़ी देर बाद वो बोला, यार मज़ा नही आ रहा, नाडा खोल दो ना.
कल के एक्सपीरियेन्स के कारण मैं खुद ऐसा ही चाहती थी, पर मैं खुद उशके लिए अपना नाडा नही खोल सकती थी.
उसने फिर कहा प्लीज़ खोल दो ना, मज़ा नही आ रहा.
मेरी साँसे तेज हो गयी, मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ.
वो दोनो हातो से मेरे नितंबो को लगातार मसल रहा था और मेरी योनि पर यहा वाहा मूह रग़ाद रहा था.
मेरी हालत और कराब होती जा रही थी.
उसने कहा, थोड़ा खोल दो ना, तुम्हे और ज़्यादा मज़ा आएगा, कल का मज़ा भूल गयी क्या.
मैने झीज़कते हुवे कहा, तुम खुद ही खोल लो ना.
उसने सर उठा कर मुस्कुराते हुवे मेरी और देखा और बोला, ना बाबा ना, तू खुद ही खोल, मैं खोलूँगा तो ऐसा लगेगा कि मैं तुझे मजबूर कर रहा हू.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि इस बिल्लू को तो पॉलिटिक्स में होना चाहिए, बहुत ही डिप्लोमॅटिक बाते करता है.
वो वैसे ही मेरी योनि को चूमता रहा और अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को मसलता रहा.
मैं ना चाहते हुवे भी बहकति चली गयी.
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