RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ.
वो बोला, आ ना थोड़ी देर बात करते है फिर मैं चला जाउन्गा.
मैने पूछा, तो तुमने उस साइकल वाले को मार दिया ?
वो बोला, यहा पास तो आ फिर बात करते है.
मैं उशके पास वाले सोफे पर जा कर बैठ गयी.
मैने पूछा, हा अब बताओ.
वो बोला, मेरा इरादा उसे मारने का नही था, पर वो तेरे घर और तेरे पति के बारे में जान गया था.
मैं जब उसे समझाने गया था तो वो कह रहा था कि या तो उस परी की मुझे दिला दे वरना उशके पति को सब कुछ बता कर तुम लोगो का खेल ख़तम करवा दूँगा.
ये सब सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
मैने पूछा, उसे मेरे घर और पति के बारे में कैसे पता चला.
वो बोला, ये छोटा सा सहर है कोई भी कुछ भी जान सकता है.
मैने पूछा, पर तुम्हे उसे मारने की क्या ज़रूरत थी.
वो बोला, तो क्या करता, मैं उसे तुझे और परेशान करने देता ? वो तुझे ब्लॅकमेल करता तो ?
मैने कहा, अगर तुम पकड़े गये तो.
वो बोला, इस सहर में रोज कुछ ना कुछ होता है, वैसे भी किसी ने मुझे नही देखा, और फिर एक साइकल वाले की कोन परवाह करेगा.
मैने कहा, पर मुझे ये सब ठीक नही लग रहा, तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था.
वो बोला, क्या तुझे अछा नही लगा कि उसे उसके किए की सज़ा मिली.
मैने पूछा, तो फिर तुम्हारी और अशोक की सज़ा का क्या.
वो बोला, हमने तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नही की, ना ही तुझे लोगो के सामने जॅलील किया. आख़िर तू समझती क्यो नही ?
मैं खामोश हो गयी.
मैने कहा बस अब तुम यहा से जाओ, बहुत हो गयी बाते.
वो उठा और बोला ठीक है मैं भी लेट हो रहा हू क्या मैं तुम्हारा टाय्लेट यूज़ कर सकता हू.
मैने झीज़कते हुवे कहा, हा उधर सामने है चले जाओ.
वो बोला, तुम भी आ जाओ ना, क्या आज मुझे करते हुवे नही देखोगी.
ना चाहते हुवे भी मैं शर्मा गयी.
मैने कहा, जल्दी करो और जाओ.
वो टाय्लेट चला गया.
मैं वही उसका इंतेज़ार करने लगी.
कोई 2 मिनूट बाद उसने आवाज़ लगाई, अरे ये दरवाजा अटक गया है, ये कैसे खुलेगा.
हमारा दरवाजा कभी नही अटका था, फिर भी मैं वाहा जा कर उसे खोलने की कोशिस करने लगी.
दरवाजा झट से खुल गया.
जो मैने देखा उसे देख कर मेरे होश उड़ गये.
वो मेरे सामने खड़ा था और उसकी ज़ीप खुली थी जिसमे से उसका लिंग मेरी आँखो के सामने झूल रहा था.
वो हंसते हुवे बोला, ओह सॉरी मैं दरवाजे के चक्कर में ज़िप बंद करना भूल ही गया.
मैं फॉरन वाहा से हट गयी और घर के मुख्य दरवाजे पर आ गयी.
मैने उसे आवाज़ लगाई, जल्दी करो.
वो चुपचाप वाहा आ गया.
वो मेरी आँखो में देख कर बोला, सच बता क्या तुझे मेरी याद आती है ?
मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है इतना बड़ा धोका खा कर में तुम्हे याद करूँगी.
वो बोला, शायद तू ठीक कह रही है, क्या तू सब भुला कर फिर से मेरे साथ एंजाय नही कर सकती.
मैने कहा, मैने कभी तुम्हारे साथ एंजाय नही किया.
उसने मेरे नितंबो पर हाथ रखा और बोला, जब मैं उस दिन तेरी गांद मार रहा था, तूने ही कहा था ना कि बहुत मज़ा आ रहा है.
मैने उसका हाथ अपने नितंबो पर से हटाया और हड़बड़ते हुवे बोली, व……व……वो तो मैं बहक गयी थी. पर वो भी तुम्हारी चालाकी के कारण था.
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