RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
दीप्ति ने पूछा, बस इतनी शी बात थी या कुछ और भी है.
नेहा ने गहरी साँस ली और बोली, काश बस इतनी ही बात होती.
दीप्ति ने कहा, तो फिर आगे बता ना क्या बात है ?
नेहा ने फिर से बताना शुरू किया.
“ एक दिन की बात है कॉलेज में छुट्टी थी. मैं सुबह 11 बजे अकेली ही मार्केट चली गयी, मुझे कुछ समान खरीदना था. खरीदारी करते, करते 12:30 बज गये.
अचानक आसमान में बादल छा गये. मैने सोचा जल्दी हॉस्टिल चलना चाहिए. मैं किसी ऑटो या रिक्सा का वेट करने लगी.
तभी अचानक अशोक वाहा आ गया, वो अपनी बाइक पर था, वो बोला, मेडम जी आप क्या अपने हॉस्टिल जा रही है.
मैने कहा हा.
वो बोला, अगर बुरा ना मानो तो मैं आप को छोड़ दूँगा, मौसम खराब होता जा रहा है.
मैने कहा नही कोई बात नही मैं ऑटो लेकर चली जाउन्गि.
वो बोला, मेडम जी मैं उसी तरफ जा रहा हू, आप बैठ जाओ, जल्दी से हॉस्टिल छोड़ दूँगा.
मुझे लगा चलो ठीक है, किसी भी वक्त बारिश आ सकती है बारिश से पहले अगर ये मुझे हॉस्टिल छोड़ देगा तो अछा होगा.
मैं उसकी बाइक पर बैठ गयी.
थोड़ी देर ही हुई थी कि बहुत तेज बारिश होने लगी.
अशोक बोला, मेडम जी थोड़ी देर रुक जाते है और उसने एक घने पेड़ के नीचे बाइक रोक दी.
हम दोनो उतर कर पेड़ के नीचे खड़े हो गये.
वो बोला, मेडम जी अचानक कितनी तेज बारिश आ गयी, मौसम का कुछ भरोसा नही है.
मैने कहा, हा.
मुझे बहुत ही अजीब लग रहा था कि मैं अपने कॉलेज के पेओन के साथ वाहा पेड़ के नीचे खड़ी थी.
वो बोला, मेडम जी बुरा ना मानो तू एक बात कहु.
मैने कहा, हा कहो.
वो बोला, कॉलेज में आप सबसे सुंदर हो, सारे लड़के आपके बारे में बाते करते रहते है.
मैं ये सुन कर थोडा शर्मा गयी पर हैरान थी कि आख़िर वो ऐसी बाते क्यो कर रहा है.
वो बोला, आपको मेरी बात बुरी तो नही लगी ?
मैने झीज़कते हुवे कहा नही नही कोई बात नही.
फिर वो बोला, आप मुझे भी बहुत अछी लगती हो.
अब मुझे कुछ अजीब लगने लगा.
मैं बिल्कुल चुप हो गयी और बारिश को देखने लगी.
तब उसने कुछ ऐसी बात बोली जिसे सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी, वो बोला, मेडम जी, आप बुरा ना मानो तो मैं वाहा पीछे जा कर, थोडा पेसाब कर लू.
मैने कोई जवाब नही दिया, अब उसकी बातो से मुझे डर लगने लगा था.
वो थोड़ा घूम गया, और अपनी ज़िप खोलने लगा.
मैने कहा, अरे ये क्या बदतमीज़ी है ?
वो बोला, मेडम जी वाहा बारिश में भीग जाउन्गा और ये कहते हुवे वो मेरी तरफ घूम गया.
मुझे तो विस्वास ही नही हुवा, उसका वो मेरी आँखो के सामने झूल रहा था, मैने अपनी आँखे बंद कर ली.”
तभी दीप्ति बोल उठी, ओह माइ गोड उसकी इतनी जुर्रत.
मैं भी सब हैरानी से सुन रही थी.
दीप्ति ने पूछा फिर क्या हुवा, तूने उसे थप्पड़ मारा कि नही.
नेहा बोली, यार मैं कुछ नही कर पाई.
दीप्ति बोली, तुझे कुछ तो करना चाहिए था.
नेहा बोली, यार मैने पहली बार आदमी का पेनिस देखा था, मैं समझ नही पा रही थी कि क्या करू.
दीप्ति ने पूछा, तो क्या तूने फिर आँखे खोल कर देखा.
नेहा ने धीरे से कहा, हा.
दीप्ति ने उसे डाँटते हुवे कहा, अरे तू पागल हो गयी थी क्या ?
नेहा ने जवाब दिया, पर मैने उसे बोल दिया था कि प्लीज़ इसे अंदर कर लो, कोई देख लेगा.
दीप्ति बोली, वाह ये अछा किया तूने, तुझे तो उसे एक थप्पड़ मारना चाहिए था, और तू उसे रिक्वेस्ट कर रही थी.
नेहा, बिल्कुल चुप हो गयी.
दीप्ति ने पूछा, अछा फिर क्या हुवा आगे बता.
नेहा ने फिर से बताना शुरू किया.
“ अशोक बोला, मेडम जी, पेड़ के पीछे आ जाओ, वाहा कोई नही देख पाएगा.
सड़क पर बारिश के कारण सुन्शान था, पर फिर भी कभी, कभी एक दो गाडिया गुजर रही थी.
मैने कहा नही, यही ठीक है.
पर उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे पेड़ के पीछे ले गया.”
दीप्ति फिर से चीन्ख पड़ी, ओह माइ गोड ये क्या किया तूने ?
नेहा बोली, तू समझने की कोशिस कर मैं, कुछ समझ नही पा रही थी कि क्या करू, उसका वो देख कर मेरे होश उड़ गये थे.
दीप्ति बोली फिर क्या हुवा.
नेहा ने बताया,
“ वो बोला मेडम जी यहा ठीक है, आप आराम से देख लो.
मुझे ना जाने क्या हो गया था, मैं उशके पेनिस को एक टक देखने लगी.
उसने पूछा, मेडम जी आपने क्या किसी और का भी देखा है.
मैने धीरे से गर्दन हिला कर कहा ना.
तब तो आपको पता नही चल पाएगा.
मैने मद-होशी में पूछा क्या ?
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