RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
उस रात में बहुत बेचन रही. संजय चुपचाप सो रहे थे और मैं बार, बार करवटें बदल रही थी.
रह रह कर पूरा दिन मेरी आँखो में घूम रहा था.
मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर अपने मन को कैसे शांत करू. इतनी बड़ी घटना के बाद शायद ये सब नॅचुरल था.
पर तभी मुझे अचानक वो पल याद आ गया जब मेरी योनि ने अशोक के धक्को के कारण अपना पानी बहा दिया था. मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर ऐसा क्यो हुवा था ?
पर जो भी था मैं इस कारण बहुत गिल्ट महसूस कर रही थी
इसी कसम्कश में अचानक मुझे कॉलेज के दीनो की एक घटना याद आ गयी.
कॉलेज मैं एक लड़की थी, नेहा बहुत ही सुंदर और स्मार्ट. वो मेरी एक साल सीनियर थी, और कॉलेज के पास ही हॉस्टिल में रहती थी. उसके बारे में चर्चा थी की उसके पीछे कयि लड़के दीवाने है. पर वो किसी को भी लाइन नही देती थी. मेरी तो उस से कोई बोलचाल नही थी, पर वो मेरी फ्रेंड दीप्ति की अछी दोस्त थी.
एक दिन की बात है मैं और दीप्ति कॉलेज कॅंटीन में कुछ स्नॅक्स खा रहे थे. सामने से नेहा आ गयी, और दीप्ति ने उसे बुला लिया.
दीप्ति ने उस से पूछा, और आजकल क्या चल रहा है ?
वो बोली कुछ ख़ास नही, बस टाइम पास.
दीप्ति ने मज़ाक में पूछा पर टाइम पास भी अछा कर लेती हो.
नेहा ने पूछा क्या मतलब, मैं भी दीप्ति के इस मज़ाक पर हैरान थी.
दीप्ति ने कहा मतलब आज कल तुम्हारा नाम रोहित से जोड़ा जा रहा है, क्या ये सच है.
नेहा ने कहा, यार ये लड़के भी ना, ऐसा कुछ नही है, मैं तो उसे ठीक से जानती भी नही.
दीप्ति ने कहा, ओह हा ये बात तो है, लड़के यू ही अफवाह फैलाते रहते है.
दीप्ति ने कहा, पर एक बात है, बुरा ना मानो तो पूछ लू.
नेहा का चेहरा हैरानी के कारण लाल हो गया वो बोली, पूछ ना आख़िर क्या बात है.
दीप्ति ने कहा चल जाने दे.
नेहा ने चोंक कर पूछा, क्या है बताओ तो ?
दीप्ति ने कहा तुम्हारा नाम उस कामीने पेओन अशोक से भी जोड़ा जा रहा है, बता ना ये क्या चक्कर है ?
नेहा के, एक पल को होश उड़ गये और वो गहरी चिंता में डूब गयी.
उसकी हालत वैसी ही लग रही थी जैसी कि आजकल मेरी है.
नेहा ने मेरी और देखा, दीप्ति समझ गयी और बोली, अरे घबरा मत ये मेरी अछी दोस्त है, बता बात क्या है ?
वो बोली समझ नही आ रहा कैसे बताउ, तू जाने दे फिर कभी बात करेंगे, यहा कोई सुन लेगा.
दीप्ति बोली चल फिर तेरे हॉस्टिल में चलते है.
मैं भी बेचन थी सब जानेने के लिए.
नेहा ने झीज़कते हुवे कहा चल ठीक है, चलो, मेरा मन भी हल्का हो जाएगा, कब से इस बारे में बात करना चाहती थी.
हम 10 मिनूट में उसके हॉस्टिल के रूम में आ गये.
नेहा ने पूछा, कुछ टी, कॉफी चलेगी.
मैने और दीप्ति ने मना कर दिया.
नेहा अपने बेड पर बैठ गयी और हम दोनो ने एक एक चेर खिसका ली.
दीप्ति ने पूछा, हा बता अब क्या बात है ?
नेहा ने गहरी साँस ली और बोली, पर वादा करो तुम दोनो ये बात किसी को नही बताओगि.
दीप्ति बोली अरे ये भी कोई कहने की बात है, तू डर मत और बता क्या बात है ?
नेहा ने कहा पर ये तुम्हे सुन-ने में बहुत बेकार लगेगी.
दीप्ति बोली, कोई बात नही तू बता तो सही.
फिर नेहा ने बताना सुरू किया.
“नेहा ने कहा, अशोक के बारे में मुझे कुछ नही पता था. पीछले साल की बात है, एक दिन मैं कुछ काम से प्रिन्सिपल से मिलने गयी थी, दरअसल मुझे घर जाने के लिए लीव चाहिए थी, इसलिए प्रिन्सिपल से मिलने गयी थी, उनकी सॅंक्षन मिलनी ज़रूरी थी.
प्रिन्सिपल के गेट के बाहर, अशोक खड़ा था.
मैने उस से पूछा, प्रिन्सिपल अंदर है क्या?
वो बोला, जी मेडम अभी तो वो कही बाहर गये है.
मैने मन ही मन कहा ओह नो.
अशोक ने पूछा मेडम क्या काम है.
मैने ना जाने क्यो बता दिया कि मुझे लीव सॅंक्षन करवानी थी, उनसे मिलना था.
वो बोला, मेडम जी आप अपनी अप्लिकेशन मुझे दे दो मैं सॅंक्षन करवा दूँगा, आप जाओ.
मैने कहा, ठीक है, और अपनी लीव अप्लिकेशन उसे दे आई.
अगले दिन वो मुझे कॅंटीन के बाहर मिला और बोला, मेडम जी आप की लीव सॅंक्षन हो गयी है.
मैने ख़ुसी में उसे कहा थॅंक यू.
उसके बाद वो जब भी कही कॉलेज में कही टक-राता तो बोलता नमस्ते मेडम जी, कोई काम हो तो बताना.”
फिर नेहा चुप हो गयी और किसी गहरी चिंता में डूब गयी.
|