RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, मैने तुम लोगो का कोई साथ नही दिया.
वो बोला, अछा, वो खिड़की से झाँक कर मेरा लंड कौन देखता था.
मैं चुप हो गयी, आख़िर वही तो मेरी छोटी सी भूल थी, जिसके कारण मैं इस मुसीबत में फँसी थी.
वो बोला, और उस दिन बारिश में अपनी गांद कौन मसलवा रहा था ?
मैने गिड़गिदते हुवे कहा प्लीज़ चुप हो जाओ, ऐसा कुछ नही था.
वो बोला, और उष दिन दोपहर को कों कह रहा था की डाल दो, मार लो, तू ही थी ना ?
मई कुछ नही कह पाई.
वो बोला, और उस दिन खूब मज़े से गांद कौन मरवा रहा था ?
मैने गुस्से में कहा, बस करो अब.
वो बोला, मैं तो बस ये बता रहा था कि अगर ये साजिश थी तो तू हर पल इस में सामिल थी, और ये सब लेटर और डाइयरी का नाटक इसलिए करना पड़ा क्योंकि तूने खिड़की बंद कर दी थी और अब मिलने को तैयार भी नही थी, वरना तो हमारा प्लान था कि एक दिन अशोक हम दोनो को तेरे घर के पीछे पकड़ लेगा और फिर वो तेरी उन्ही झाड़ियो में लेगा.
में सहम गयी कि कितनी गहरी चाल थी इन लोगो की. उस से तो में बच गयी पर आज फँस गयी, और मुझे याद आ गया कि कैसे अशोक उस कमरे में मेरे साथ………….वो सब कुछ कर रहा था.
मैं कुछ भी नही कह पाई, आख़िर कहने को बचा भी क्या था.
वो बोला, हमने बस एक जाल फेंका था, तू खुद उस में आकर फँस गयी, अगर तुम हमारा साथ नही देती तो हम कभी कामयाब नही होते.
मैं गहरी चिंता में डूब गयी. वो सच ही तो कह रहा था, अगर में होश से काम लेती तो ऐसा कभी नही होता.
वो फिर बोला, क्या ये सच नही है कि तूने भी अपनी जवानी का पूरा, पूरा मज़ा लिया है ?
मैने अपने कानो पर हाथ रख लिए और चिल्ला कर बोली, प्लीज़ चुप हो जाओ, ऐसा कुछ नही है.
वो चुपचाप रिक्सा चलाने लगा.
थोड़ी देर बाद मैने पूछा, अछा तो उस दिन पाँव में खून भी नाटक था क्या ?
वो हंसते हुवे बोला, अछा वो, वो तो मैने चिकन का ब्लड लगा रखा था, वो तो बस तुझे तेरे घर के पीछे बुलाने के लिए था, और तू आ गयी, तुझे क्या लगता है ? क्या मैं दर्द में तेरी गांद मारने का मज़ा ले पाता ?
मैने गुस्से में कहा बस चुप करो, जैसा बाप वैसा बेटा.
वो चुप हो गया और थोड़ी देर बाद बोला, अशोक मेरा बाप नही है, मेरा बाप तो गुजर चुका है.
मैने पूछा, तो फिर तुम मुझे उस कामीने के पास क्यो ले गये ? तुमने मेरा विश्वास तोड़ा है.
वो बोला, अशोक कुछ भी सही पर मेरे लिए अछा है. उसने मुझे मेरी जिंदगी में बहुत हिम्मत दी है. ये रिक्सा जो में चला रहा हू उसी का है.
मैने कहा उस से मुझे क्या मतलब, तुम्हे पता नही उसने मेरे साथ क्या किया था.
वो बोला, मुझे सब पता है. उसने मुझे सब बताया है. तेरे कारण उसकी नौकरी चली गयी, उसकी बेटी बिना इलाज के मर गयी. तेरे साथ, साथ तेरा बाप भी दोषी है.
मैने कहा, मेरे पापा को इसमे मत घसीतो, उनकी कोई ग़लती नही है.
वो हँसने लगा और बोला, ये तो वक्त ही बताएगा कि किसकी ग़लती है.
मैने पूछा, तुम लोग ग़लत काम भी करते हो और उसे सही भी बताते हो, आख़िर तुम कैसे इंसान हो.
वो पीछे मूड कोर बोला, तेरे जैसी मस्त आइटम को पटाने के लिए अगर मरना भी पड़े तो कम है, जो हमने किया वो तो कुछ भी नही था, तुझे पता नही तू कितनी सुंदर है, जो मज़ा तेरे साथ आया है आज तक कभी नही मिला था.
मैं ना चाहते हुवे भी एक पल को शर्मा गयी, और अपनी नज़रे झुका ली.
मैने पूछा, पर तुम्हे ये सब नाटक करने की क्या ज़रूरत थी, मैने तुम्हे अपना सब कुछ दे दिया और तुमने मुझे बर्बाद कर दिया.
वो ज़ोर से हँसने लगा और बोला, अभी तू कुछ नही समझेगी, वक्त आने दे तुझे सब पता चल जाएगा.
मैं सोच में पड़ गयी की आख़िर ये किस वक्त का इंतेज़ार कर रहा है.
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