RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मेरी सांसो की स्पीड भी सातवे आसमान पर पहुँच गयी. मेरी योनि में अजीब सी हलचल होने लगी…अचानक मेरे मूह से निकल गया ह बस……रुक जाओ और मेरी योनि ने पानी की नादिया बहा दी.
वो ज़ोर से बोला, बस एक मिनूट आआहह……..हह , और एक झटके में मेरी योनि में ढेर सारा पानी गीरा दिया.
फिर उसने धीरे से अपना लिंग निकाल लिया और बोला, मज़ा आ गया.
मैं बेहोस हो कर वही ज़मीन पर गिर गयी.
अशोक ने मुझे गोदी मे उठाया और मुझे बेड पर लेटा दिया.
वो बोला, क्या हुवा तू ठीक तो है ना ?
मेरी आँखो से अपने आप आँसू टपक रहे थे.
वो बोला, क्या तुझे पता है मेरे साथ क्या हुवा है ?
उसके बाद ग़रीबी और लाचारी ने मुझे घेर लिया. मेरी बेटी की मौत टीबी से हो गयी. मैं उसका इल्लाज भी ठीक से नही करा सका. करता भी क्या मेरी नौकरी तो तूने छीन ली थी.
मैने कहा, तुमने ही मेरा रेप करने की कोशिस की थी.
वो बोला, मुझे रेप जैसे शब्द से भी नफ़रत है. आख़िर मेरी भी एक लड़की थी.
मैने पूछा, तो तुम उस दिन मेरा पीछा क्यो कर रहे थे.
वो बोला, मैं तो बस माफी माँगना चाहता था. मैने तेरे कॉलेज की एक से एक सुंदर लड़की के साथ किया था, ये तू भी जानती होगी, मैं सिड्यूस करने में विस्वास करता हू, रेप में नही, रेप सिर्फ़ नपुंसक लोग करते है.
मैने पूछा, तो ये अब क्या था ?
वो बोला, तू खुद यहा आई थी, मैने तुझे मजबूर नही किया था.
मैने कहा, अछा वो तुम ब्लॅकमेल करने मेरे घर नही आए थे.
वो बोला, तू खुद अपने पति से सब छुपाना चाहती थी. मैने कोई ब्लॅकमेल नही किया, याद है ना तूने खुद कहा था कि मैं कुछ भी करूँगी यहा से चले जाओ.
मैं सोच रही थी की बात तो उसकी सही है. अगर मैं अपने पति को सब बता देती, तो आज यहा नही होती. पर ऐसा करना किसी भी पत्नी के लिए मुस्किल है, वो भी तब जबकि उसका पति उसे बहुत प्यार करता हो.
मेरी इसी मजबूरी का फायडा तो उसने उठाया था.
मैने सामने दीवार पर तंगी घड़ी में देखा तो 2:30 बज चुके थे.
उसने मुझे घड़ी देखते हुवे देख लिया और बोला, जाना है ना तुझे ?
मैने गुस्से में कहा, हा.
वो बोला, तेरा पति घर आने वाला होगा ना. चल तू जा अब, बाद में बात करेंगे और बेशर्मी से हँसने लगा.
मैने लड़खड़ाते हुवे कपड़े पहने. मेरे पूरे शरीर में दर्द हो रहा था.
वो बोला, बिल्लू तुझे छोड़ देगा.
मैने कहा कोई ज़रूरत नही है, मैं चली जाउन्गि.
वो बोला, तुझे यहा से बाहर का रास्ता नही मिलेगा, मेरी बात मान बिल्लू तुझे जल्दी घर छोड़ देगा.
मैं मन ही मन में उसे और बिल्लू को ढेर सारी गलिया दे रही थी.
अशोक ने दरवाजा खोल दिया और बिल्लू को आवाज़ लगाई.
वो झट से वाहा आ गया.
बिल्लू मेरी तरफ बड़ी बेशर्मी से देखते हुवे बोला, लगता है इस कमरे में तूफान आया है.
अशोक ने कहा, चुप कर और इसे घर छोड़ आ, इसका पति आने वाला है ?
मैं बड़ी लाचारी की फीलिंग लिए सब सुन रही थी.
मैं बिल्लू के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि मैने देखा वही लड़का जो कूरीएर ले कर घर आया था वाहा खड़ा था.
मेरा सर घूम गया.
मुझे अब सब कुछ सॉफ हो गया था कि कितनी प्लानिंग से इन कामीनो ने मुझे फँसाया था.
मुझे देखते ही वो लड़का बड़ी बेशर्मी से, अपनी पॅंट के उपर से ही, अपने लिंग को मसल्ने लगा.
मैने गिल्ट और शरम से अपनी नज़रे झुका ली.
बिल्लू ये सब देख कर हंसते हुवे बोला, राजू डरा मत बेचारी को.
मैं चुपचाप आगे बढ़ गयी, और बाहर आ कर रिक्से में बैठ गयी.
मैं हैरान और परेशान थी कि आख़िर मेरे साथ ही ये सब क्यो हो रहा है. पर मेरे पास कोई जवाब नही था.
पर इतना ज़रूर था कि अब मुझे अपनी खिड़की से झाँकना बहुत भारी पड़ रहा था.
कोई ये सब सुनेगा तो यही समझेगा कि ये सब सच नही हो सकता और सच पूछो तो मुझे खुद भी अभी तक सब सपना सा लगता है.
पर काश ये मेरा कोई भयानक सपना ही होता तो अछा होता.
बिल्लू ने रिक्सा तेज़ी से उस स्लम एरिया से बाहर निकाल लिया.
मुझे रह, रह कर एक बात परेशान कर रही थी.
मैं ये बिल्कुल विस्वास नही कर पा रही थी कि बिल्लू का बापू कोई और नही, बल्कि वही अशोक था, जिसने मेरे साथ कॉलेज में घिनोनी हरकत की थी, और आज उसने ये सब……………
मैं हैरान थी की इतनी बड़ी साजिस आख़िर कामयाब कैसे हो गयी.
मुझ से रहा नही गया और मैने बिल्लू से गुस्से में पूछ ही लिया, तो आख़िर ये सब तुम लोगो की साजिस थी ?
वो हंसते हुवे बोला, इसे तू साजिस नही कह सकती, तू हर वक्त इसमे सामिल थी, हा तू ये ज़रूर कह सकती है कि तुझे बड़े प्यार से पटाया गया है, क्या तुझे नही लगता की तूने हर मोड़ पर हमारा साथ दिया है ?
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