RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
जिसके बारे मे वो पूछ रहा था, संजय ने काई बार किया था. उन्हे भी मेरे नितंब आछे लगते थे. उन्होने जब पहली बार वाहा डाला था तो बहुत दर्द हुवा था पर बाद मे मैं आसानी से करवा लेती थी. बल्कि मुझे उनका वाहा करना अछा लगने लगा था.
पर मैं अपनी ये निज़ी बाते, बिल्लू को नही बता सकती थी.
मैने पूछा तुम ये क्यो जानेना चाहते हो,
वो बोला, ऐसी सेक्सी गांद उसी की हो सकती है जो खूब चुदति हो.
मैने चुप ही रहना ठीक समझा और सोचा कि कितना कमीना है ये बिल्लू कैसी अजीब बाते करता है.
मैं ये सब सोच रही थी कि, मैने पाया की वह मेरी सलवार मे हाथ डालने की कोशिस कर रहा है.
मैं होश मे आई, और बोली कि, क्या कर रहे हो, बस बाहर-बाहर से करो.
पर वो नही माना, और अपने हाथो से मेरा नाडा खोलने लगा. मैने तुरंत उसके हाथ दूर झटक दिए.
मैं बोली बिल्लू नही, ऐसा कुछ नही होगा, सिर्फ़ उपर, उपर से करो, जैसा उस दिन किया था.
वो बोला, तुझे कपड़ो के बिना महसूस करना चाहता हू, तेरी जवानी को कपड़ो के बिना तो देख लू
मैने कहा नही, मैं ऐसा नही कर सकती.
पर वो नही माना, और मेरे कानो मे बोला, तेरी सुंदरता क्या, कपड़ो मे छुपा कर रखोगी, थोड़ी सलवार नीचे सरका ना, एक बार कपड़ो के बिना तो छूने दे, बस एक बार नाडा खोल कर सलवार नीचे सरका ले, एक मिनूट बाद, उपर कर लेना, बस थोडा सा.
मैने शरमाते हुवे कहा, अगर तुमने कोई बदमासी की तो ?
वो बोला, नही कोई बदमासी नही करूँगा, मैं वादा करता हू
मैने कहा नही प्लीज़, मुझे शरम आएगी.
वो बोला, अपने पति से भी शरमाती है क्या. उसके सामने भी तो नंगी होती होगी.
मैने कहा चुप रहो, उनके बारे मे, कुछ बोला तो मैं चली जाउन्गि.
वो बोला, अछा सॉरी, नही बोलूँगा, थोड़ी सी सलवार सरका ना, बस एक मिनूट के लिए नीचे सरका ले, कुछ नही होगा.
पर मैं अपने हाथो से, उशके लिए अपना नाडा नही खोल सकती थी, ये मेरी मर्यादा के खिलाफ था.
मैं चुपचाप सब सुनती रही.
उसने फिर से मेरा नाडा पकड़ा और खोलने लगा.
इस बार मैने उसे नही रोका और बोली, एक मिनूट मतलब एक मिनूट.
वो बोला ठीक है.
उसने मेरा नाडा, झट से खोल दिया. ऐसा लग रहा था जैसे, रोज किसी का नाडा खोलता है और नाडा खोलने मे एक्सपर्ट है.
मैं अजीब सी बेचानी मे समा गयी.
मैं ने पीछे मूड कर देखा तो वो बड़ी बेशर्मी से मेरे नंगे नितंबो को घूर रहा था.
पहली बार, संजय के अलावा, कोई, मेरे नितंबो को नंगा देख रहा था
उसने मेरी आँखो मे देखा और बोला, सच मे बड़ी जालिम गांद है तेरी, और वो झुक कर मेरे नितंबो को बे-तहासा यहा, वाहा चूमने लगा.
मैं शर्मा कर वापस घूम गयी.
उसने, अपने दोनो हाथ, मेरे नंगे नितंबो पर रख दिए.
मेरे शरीर मे बीजली की ल़हेर दौड़ गयी.
उसके हाथो की छुवन, मुझे बहुत अंदर तक महसूस हो रही थी. वो मेरे नितंबो को ऐसे मसल रहा था जैसे कोई आटा गूँथता है.
पहली बार संजय के अलावा किसी और ने मेरे नंगे नितंबो को छुवा था.
वह बड़ी बे-शर्मी से, उन्हे छूते हुवे बोला, क्या मखमली गांद है. मैं चुपचाप, वाहा खड़ी रही.
फिर उसने, अपने हाथ हटा लिए. मैं उत्सुक हो कर पीछे मूडी तो मेरे होश उड़ गये.
मैने देखा, वह अपनी ज़िप खोल रहा है.
मैं घबरा गयी ओह नो, हम दोनो एक साथ नंगे नही हो सकते.
मैने कहा, एक मिनूट हो गया, और अपनी सलवार, उपर करने लगी.
पर उसने मुझे रोक दिया और , बोला, क्या हुवा.
मैने कहा, तुम उसे क्यो निकल रहे हो.
वो बोला, बस तेरे चूतड़ पर इसे रागडूंगा, कपड़ो के उपर से भी तो रगड़ा था अभी क्या परेशानी है.
मैने कहा, प्लीज़ ऐसा मत करो मुझे कुछ कुछ हो रहा है.
वो बोला, बस एक बार थोड़ा लगाने दे, फिर सलवार चड़ा लेना.
मेरे हाथो से सलवार छूट कर अपने आप नीचे गिर गयी.
उसने मेरे, नितंबो को फैलाया, और उनमे अपना लिंग फसा दिया.
मैं बहाल हो गयी. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा था.
वह दोनो हाथ, मेरे नितंबो पर रख कर हल्के, हल्के धक्के मारने लगा.
मैं ये सोच रही थी कि, अगर उसने अंदर घुसा दिया तो मैं लुट जाउन्गि.
मैने कहा, बिल्लू, मैं ये सब नही कर सकती, इसे कही और लगा लो.
वह मेरी अनसुनी कर के, अपने काम मे लगा रहा.
बिल्लू बड़ी बे-सरमी से, हल्के, हल्के, धक्के लगा रहा था, और मुझे उसका लिंग अपने गुदा द्वार पर टकराता हुवा महसूस हो रहा था.
“लग रहा था कि कोई, दरवाजा खड़का रहा है, टॅक, टॅक दरवाजा खोलो”
अचानक बिल्लू हट गया.
थोड़ी देर बाद, उसने, मेरे नितंबो को फैलाया, और मेरे गुदा द्वार पर, कुछ लगा दिया.
मुझे कुछ गीला, गीला सा महसूस हुवा.
मैने पीछे मूड कर देखा तो हैरान रह गयी, वह अपने लिंग पर थूक लगा रहा था और उसे गीला कर रहा था.
मैं समझ गयी कि उसने मेरे गुदा द्वार पर भी थूक लगाया है, मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
मैं सोच कर घबरा गयी कि क्या ये, वो ? करने जा रहा है.
मैने पूछ ही लिया, बिल्लू ये क्या कर रहे हो ?
वो बोला, कुछ नही- कुछ नही, एक मिनूट.
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