RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मुझे ख्याल आया कि संजय, ने पट्टी का समान कही रखा तो है पर कहा ? याद नही आ रहा था.
मैने उसे कहा, मैं अभी आई.
मैं, बेडरूम मे फर्स्ट एड ढूँढने लगी. मुझे वह अलमारी मे ही मिल गया.
मैं फॉरन ले कर, खिड़की मे आ गयी और उसे किट देते हुवे बोली, लो दवाई लगा कर पट्टी बाँध लो.
वो बोला, प्लीज़ तू आकर बाँध दे ना.
मैने कहा, नही बिल्लू, मैं नही आ सकती. कोई देख लेगा.
वो बोला, अरे तुझे पता तो है, यहा कों आता है, थोड़ी देर के लिए आजा.
मैं बहुत बेचन हो रही थी कि क्या करू, एक मन कहता था कि ऋतु, रुक जा, वाहा जाना ठीक नही.
दूसरा मन कह रहा था कि पट्टी बाँध कर आ जाती हू.
मैने उसे कहा, ठीक है आती हू, और उस की आँखे चमक उठी.
मैं घर से बाहर आई. दोपहर का वक्त था सभी लोग घरो मे थे. मैं चुपचाप, हाथ मे फर्स्ट एड लिए, टहलते हुवे धीरे से झाड़ियो मे घुस गयी और झाड़ियो से होते हुवे घर के पीछे आ गयी.
मैने पाया कि बारिश के बाद , झाड़िया ओर ज़्यादा बढ़ गयी थी.
मेरे वाहा पहुँचते ही, वो बोला, बड़ी प्यारी लग रही है आज तू, और मैं शर्मा गयी. उसने पूछा तेरी उमर क्या है,
मैने कहा क्यो ?
वो बोला यू ही पूछ रहा हू
मैं बोली 27
और वो बोला, मेरी 21, क्या कॉंबिनेशन है, हैं ना.
मैं उसे 18 या 19 का समझती थी.
मैने सोचा, उसे दर्द मे भी क्या, क्या बाते सूझ रही है.
मैने उससे कहा, बैठ जाओ, मैं अंगूठे मे पट्टी बाँध देती हू.
वो बैठ गया, और मैने आराम से उसके अंगूठे पर दवाई लगा कर पट्टी बाँध दी.
बाँध कर मैं बोली, लो अब सब ठीक है, मैं चलती हू.
वो बोला, आ ही गयी है तो थोड़ी देर रुक ना, चैन से तुझे, जी भर के देख तो लू, तू बड़ी प्यारी लग रही है आज, कसम से बीजली गिरा रही है.
मैने शरमाते हुवे कहा, नही मुझे जाना होगा, खाना बनाना है.
वो बोला, रुक जा ना प्लीज़. मुझे दर्द मे चैन आएगा.
मैने कहा, ठीक है पर बस थोड़ी देर.
वो बोला चल सामने की झाड़ियो मे चल कर आराम से बाते करेंगे,
मैने कहा यहा भी तो चारो तरफ उँची झाड़िया है यही रहते है.
वो बोला चल तो, वाहा ओर भी अछा है.
वो मेरा हाथ पकड़ कर हमारे घर की खिड़की से थोडा आगे की झाड़ियो मे ले गया.
मैने वाहा पहुँच कर पाया कि वाहा हमे किसी भी हालत मे कोई नही देख सकता था. बहुत ही घनी झाड़िया थी, ऐसा लगता था कि झाड़ियो ने एक कॅबिन बना दिया है. अगर पिछली गली मे कोई आता भी, तो भी हमे, देख नही सकता था.
पर ऐसी तन्हाई मे मुझे घबराहट होने लगी.
हम वाहा एक दूसरे के सामने खड़े हो गये.
वो बोला, अब बता कैसी है तू.
मैं बोली ठीक हू.
वो बोला तुझे मेरी याद आई ?
मैने कुछ नही कहा.
मैने उसे कभी अपने आप याद नही किया. वो तो हमेशा ज़बरदस्ती मेरे ख्यालो मे आ जाता था.
वो बोला, मुझे तो तेरी बहुत याद आती थी. पर क्या करता यहा से दूर था.
उसने कहा, मैने अपने सब दोस्तो को तेरे बारे मे बताया, वो सब मुझ से जल गये.
मैं घबराते हुवे बोली, क्या ? तुम क्या मुझे बदनाम करोगे.
वो बोला अरे ऐसा कुछ नही है, मैं गाँव के दोस्तो की बात कर रहा हू. उन्हे यहा का क्या पता.
मैं थोड़ी शांत हुई, और बोली, फिर भी ये ठीक नही है.
वो बोला, चल उस दिन वाली यादे फिर से ताज़ा करे, बहुत मन कर रहा है आज. और ये कहते हुवे उसने मेरे नितंबो को थाम लिया.
मैने उसका हाथ हटाते हुवे कहा, प्लीज़, मैं दुबारा ऐसा नही कर सकती.
वो बोला, क्या तुझे उस दिन अछा नही लगा था.
मैने कहा, तुम तो कहते थे बाते करेंगे.
वो बोला, बाते तो होती रहेंगी, पहले तेरी सेक्सी, सेक्सी गांद तो मसल लू.
मैं शर्मा गयी और सोचने लगी की क्या करू अब ?
वो बोला, तुझ मे खो कर मेरा दर्द कम हो जाएगा.
मैं बोली, मैं उस से ज़्यादा कुछ नही करूँगी, तुम मेरी सीमाए जानते हो.
वो बोला, हा जानता हू तभी तो मैने बस दुबारा वही सब करने को कहा है.
मैं खुस थी कि वो मेरी सीमाओ की कदर कर रहा है.
वो बोला, थोड़ा घुमोगी.
मैने शरमाते हुवे कहा, तुम पीछे आ जाओ ना.
वो बोला, तेरे पीछे, खड़े होने की जगह नही है, नही तो कब का पीछे आ जाता.
मैने पीछे मूड कर देखा तो पाया कि मैं बिल्कुल झाड़ियो से सॅट कर खड़ी हू.
वो फिर बोला, घूम ना शर्मा मत.
मैं शरमाते हुवे उस के सामने घूम गयी.
बिल्लू ने, दोनो हाथो मे, मेरे नितंबो को थाम लिया और उन्हे बहुत बुरे ढंग से मसल्ने लगा.
वो बोला, तेरी गांद तो, ओर भी सेक्सी लग रही है.
उसने पूछा, एक बात पूचू अगर बुरा ना माने तो ?
मैने कहा हा पूछो, पर ऐसी, जिसका जवाब मैं दे सकु ?
वो बोला, अछा ये बता, क्या तेरे पति ने, तेरी सेक्सी गांद मारी है.
मैं उसके सवाल पर हैरान हो गयी और मेरा गला सूख गया.
मैने कोई जवाब नही दिया.
ये वो भी जनता था कि मैं जवाब नही दूँगी.
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