RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं घबरा गयी कि कही ,संजय किचन मे ना आ जाए और मैं पानी का गिलास एक तरफ रख कर मूड गयी.
बाहर से बिल्लू की आवाज़ आई, मैं कल आउन्गा, मैने पीछे मूड कर उसकी और देखा, मैं रुक कर उससे ये कहना चाहती थी कि दुबारा यहा आने की कोई ज़रूरत नही है.
पर मेरे पास कुछ भी कहने का वक्त नही था
मैं फॉरन किचन से बाहर आ गयी.
संजय बेडरूम से हाथ मे घड़ी बाँधते हुवे निकल रहे थे. उन्होने पूछा, चले अब, मैने कहा हा चलो, मैं तैयार हू.
हम घर से, अपनी गाड़ी मे निकल पड़े. चिंटू को, मौसी के यहा छोड़ दिया, ताकि आराम से मूवी एंजाय कर सके.
रास्ते भर मैं बिल्लू के बारे मे सोचती रही. मैं सोच रही थी कि वह इतने दीनो बाद आज क्यो आया है ? क्या वह अपना वादा भूल गया ?
पर उसे आज फिर से देख कर दिल मे कुछ-कुछ हो रहा था, रह रह कर मुझे अब तक की सारी बाते याद आ रही थी.
थियेटर कब आ गया पता ही नही चला. हम ठीक टाइम से पहुँच गये थे.
संजय को मूवी बहुत अछी, लग रही थी और मैं बिल्लू के कारण बेचन हो रही थी. मैं ये जानेना चाहती थी कि बिल्लू आज वाहा क्यो आया था.
मैं खुद को बहुत समझा रही थी और अपना ध्यान बार-बार मूवी पर लगा रही थी, पर सब बेकार था.
मैं रह रह कर बिल्लू को कोस रही थी और सोच रही थी कि वह अजीब परेशानी खड़ी कर देता है. मैं उसे भूलने ही लगी थी कि वह आज फिर आ गया और सारे जखम हरे कर गया.
मैं एक पल के लिए भी मूवी एंजाय नही कर पाई.
मूवी कब ख़तम हो गयी पता ही नही चला. मैं खुद पर शर्मिंदा थी कि, मैं पहली बार अपने पति का साथ नही दे पाई.
मैं बार-बार सोच रही थी कि ऐसा क्यो हो रहा है.
मूवी देख कर हम, सीधे घर आ गये. मैने कपड़े चेंज किए और डिन्नर तैयार करने लगी.
अचानक मैं खिड़की मे आई और बाहर झाँका, मैं बाहर देख कर हैरान रह गयी.
बिल्लू एक पेड़ के सहारे खड़ा था, मेरा दिल धक-धक करने लगा.
मुझे देख कर वह खिड़की के पास आ गया.
मैने तुरंत पूछा, तुम अभी तक यही हो.
वो बोला, क्या करता तेरे से बात करने का मन कर रहा था.
मैने कहा तुम्हे यहा नही आना चाहिए था.
वो बोला, इतनी भी जालिम मत बन सिर्फ़ तुझे देखने ही तो आया हू.
मैं बोली, मेरे पति अंदर है, तुम जाओ यहा से.
वो बोला, चला जाउन्गा, बस थोड़ी देर तुझे जी भर के देख लेने दे.
मैं अजीब परेशानी मे थी.
संजय घर पर थे और ये बिल्लू ऐसी बाते कर रहा था.
मैने पूछा, तुम क्या उसके बाद आज ही यहा आए हो ?
वो बोला हा, मैं अपने गाँव चला गया था, मेरे एक चाचा की डेथ हो गयी थी.
उसने पूछा क्यो क्या हुवा ?
मैने कहा, कुछ नही बस यू ही.
वो बोला, कैसी है तू
मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और बोली, तुम चले जाओ, मेरे पति घर पर है.
वो बोला, फिर कब आ-ऊ ?
मैं डरते-डरते बोली अभी जा-ओ बाद मे बात करेंगे.
वो बोला, बता तो फिर कब मिलेगी.
मैं बोली तुम जाते हो की नही.
वो बोला मैं कल आउन्गा और मूड गया.
मैने कहा, यहा आने की कोई ज़रूरत नही है, मैं नही मिलूंगी.
वह मेरी और मुड़ा और अपना लिंग पॅंट के उपर से ही, मसलते हुवे बोला, वो तो कल ही देखेंगे.
और मैने मन ही मन मे बोला, कमीना कही का.
मैने अपनी नज़रे फेर ली और सोचा कि ये बिल्कुल नही बदला.
उसने अपनी साइकल उठाई और चला गया. मैं अपने काम मे लग गयी. खाना बना कर मैं चिंटू को लेने चली गयी.
मैं रात भर बेचन रही.
मैं सोच रही थी कि कल क्या करूँगी. एक बार ख्याल आया कि मई संजय और चिंटू के जाने के बाद घर को ताला लगा कर कही चली जाती हू.
पर फिर, ध्यान आया कि मैं अपना घर छोड़ कर क्यो जा-ऊ.
अगले दिन, मैं बेचानी की हालत मे सोकर उठी.
मैने तैय कर लिया की चाहे कुछ हो मैं खिड़की पर नही जाउन्गि.
ब्रेकफास्ट करने के बाद संजय क्लिनिक चले गये और चिंटू स्कूल चला गया.
मैं सब भूल कर घर के कामो मे लग गयी.
2 बज गये और मैं किचन मे खाना बनाने आ गयी.
मुझे ख्याल आया कि वो ज़रूर बाहर खड़ा होगा और सोचा खड़ा रहने दो मुझे क्या, मैने तो उसे नही बुलाया.
बाहर से आवाज़ आई, आ ना इस ग़रीब को इतना भी ना तडपा.
मैं बेचन हो उठी कि क्या करू, ये तो अब आवाज़ लगा कर बुलाने लगा है.
मैं डर रही थी कि अगर किसी ने सुन लिया तो क्या होगा ?
वो फिर बोला, आ ना प्लीज़.
मैं खिड़की मे आ गयी और बोली क्यो चिल्ला रहे हो कोई सुन लेगा.
वो बोला, तू आ क्यो नही रही थी ?
मैने कहा मेरा तुमसे मिलने का कोई मन नही है.
वो बोला, पर तू मेरे लिए तो यहा आ सकती है, मैं सब कम छोड़ कर आया हू.
मैं बोली तुम क्या ख़ास हो.
वो बोला, जिशे तुमने, अपनी सुंदर, सुंदर गांद को छूने दिया, वो क्या ख़ास नही.
मैं बोली, चुप करो अपनी बकवास.
अचानक वो चुप हो गया और अपने पाँव की और देखने लगा.
मैने कहा, जाओ अब मुझे खाना बनाना है.
वो बोला, मेरे पाँव से खून बह रहा है, तुझे खाने की पड़ी है.
मैने उसके पाँव को देखा तो, विचलित हो गयी, उसके अंगूठे से खून बह रहा था.
मैने इंसानियत के नाते पूछा, ये क्या हुवा ?
वो बोला, कुछ नही यहा आते वक्त एक भारी पत्थर से पाँव टकरा गया और अंगूठा छील गया.
मैने कहा, जल्दी डॉक्टर के पास जाओ, यहा क्या कर रहे हो.
वो बोला, मेरी डॉक्टर तो तू है, तू ही कुछ कर ना.
मैने कहा पागल मत बनो डॉक्टर के पास जाकर पट्टी करवा लो.
वो बोला, तेरे पास से मैं कही नही जाउन्गा. तू ही कुछ बाँध दे ना.
मैं सोचने लगी कि क्या करू.
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