RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं चुप-चाप बैठी रही. मई सोच रही थी की, बड़ा ही शरारेती लड़का है ये, पता नही अब क्या, करने वाला है. मैने सामने की झाड़ियो मे देखा तो, डंग रह गयी. उसने अपना लिंग बहेर निकल रखा था और मेरी तरफ, हिला रहा था. मैने फॉरन नज़रे फेर ली. कोई भी, ये नज़ारा देख सकता था. मुझे उस पर, गुस्सा आ गया.
वो थोड़ी देर बाद आया और बोला, कैसा लगा उन झाड़ियो मे, मेरे लंड का नज़ारा. मैने उसे डाँट ते हुवे कहा, तुम पागल हो गये हो क्या? कोई देख लेता तो. कम से कम, अपनी नही तो, मेरी इज़्ज़त की तो परवाह करो. वो तोड़ा सकपका गया और बोला ‘ओह सॉरी मुझे माफ़ कर दो’ मुझे इस बात का बिल्कुल ध्यान नही रहा. वो रिक्शे पर चढ़ा और रिक्शा चलाने लगा.
कुछ देर तक वो चुपचाप रिक्शा चलाता रहा.फिर अचानक, पीछे मुड़ा, और बोला, सबसे ज़्यादा, तुम्हारी ग़लती है. मैने गुस्से मे पूछा वो कैसे. वो बोला, तुम इतनी सुंदर जो हो, और उपर से, ये मौसम, मेरी तो बस जान जाने को है, प्लीज़ एक बार दे दो ना. मेरे मूह से अचानक निकल गया क्या ? और मैं मन ही मन मे बहुत पछताई कि, ये मैने क्या पूछ लिया, मैं तो जानती ही थी कि, इशे क्या चाहिए. वो झट से पीछे मुड़ा और मैने अपनी नज़रे झुका ली, मैं समझ गई थी कि, मैने इसे गंदी बाते करने का, मोका दे दिया है. वो बोला हाए-हाए क्या शरमाती है तू, सुनोगी नही कि, एक बार क्या दे दो. मैने शरम से, ना मे गर्दन हिला दी. वो बोला, हाए रे तेरी इशी अदा पे तो मैं मर मिटा हू, सच मे तेरी चूत लेने का मज़ा ही कुछ और होगा. मैं कसम ख़ाता हू, मैं किसी और की नही मारूँगा, बस एक बार तू मुझे अपनी दे, दे.
मैं शरम से लाल हो गयी, ये सोच कर कि, मैं ये सब क्या सुन रही थी. अचानक मेरा ध्यान रिक्शे के पीछे गया, और मैने देखा कि, एक साइकल वाला हमारे रिक्शे के बिल्कुल पीछे है. उसने शायद सब सुन लिया था. जैसे ही मैं पीछे मूडी मेरी उस से नज़रे टकराई, और उसने मुझे आँख मार दी. मैने फॉरन गर्दन मोड़ ली.
वो बहुत ही बदसूरत सा, काले रंग का, कोई 34-35 साल का आदमी था. मैं घबरा गयी कि अब क्या होगा. वो रिक्शे के बिल्कुल साथ-साथ चलने लगा और मुझे घूर्ने लगा.
मैने उसकी तरफ बिकुल नही देखा और नज़रे झुका कर बैठी रही. वो बोला, अरे वाह भाई, क्या माल पटाया है छोकरे तूने. मैं चुप चाप सुनती रही. वह मेरी तरफ देखते हुवे बोला, मुझे भी दे दे. मैने उसकी बात पर ध्यान नही दिया, पर वो, फिर बोला, आजा इसी सड़क पर मेरा घर है, मेरे साथ चल तुझे खुस कर दूँगा, तेरी आछे से लूँगा.मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखा तो, मुझे अपनी नज़रे झुकानी पड़ी.
वह सारे आम, मेरी तरफ देख कर, साइकल चलाते हुवे, एक हाथ से, अपना लिंग मसल रहा था. मैं सोच रही थी कि देखो कैसी हालत हो गयी है मेरी, ऐसे बदसूरत आदमी से मुझे, ऐसी गंदी-गंदी बाते, सुन-नि पड़ रही है. पर मैं कर भी क्या सकती थी.
बिल्लू ने गुस्से मे उससे बोला, हे चल अपना रास्ता पकड़. वो बोला क्यो साले, ये तेरी बीवी है क्या. और बिल्लू फॉरन बोला ‘हा मेरी बीवी है’ चल निकल यहा से. मैं चुप चाप सब सुनती रही. मैं बिल्लू की बहादुरी पर खुस थी. पर उसने मुझे अपनी बीवी क्यो कहा ? मुझे ये सब अछा नही लग रहा था.
वो आदमी वाहा से नही हटा, और रिक्शे के साथ-साथ चलता रहा. कितना घिनोना, चेहरा था उसका. उसे देख कर ही, उल्टी आने को हो रही थी, और ऐसा आदमी मेरे बारे मे ऐसी गंदी बाते कर रहा था, सब कुछ बर्दस्त के बाहर था. उस आदमी की हिम्मत बढ़ती ही जा रही थी, वो मेरी तरफ गंदे गंदे इशारे करने लगा.
बिल्लू ने रिक्शा रोक लिया, और उस आदमी को कहा, आबे क्या है, यहा से जाता है कि नही. तभी सड़क पर दो चार और वहाँ दिखे और वो आदमी सयद समझ गया कि अब यहा रुकना ठीक नही और सीधा आगे बढ़ गया.पर जाते हुवे, उसने पीछे मूड कर, मुझे देखा और मैने अपनी गर्दन घुमा ली, मैं उसके घिनोने चेहरे को नही देखना चाहती थी.
मैने मन ही मन चैन की साँस ली कि चलो ये बला टल गई. मैने बिल्लू को कहा, देखो तुमने मेरी कितनी, बेज़्जती करा दी. आज तक किसी ने, मुझे ऐसी बाते नही बोली थी, और ना ही किसी ने मुझे ऐसी नज़र से देखा था. मैने बिल्लू को कहा कि तुम प्लीज़ रिक्सा किसी दूसरे रास्ते से ले चलो, मैं उस आदमी को, दुबारा नही देखना चाहती. मुझे डर था कि, कही वो, दुबारा रास्ते मे मिल जाए.
और बिल्लू ने चुपचाप रिक्शा घुमा लिया. वो बोला, मेडम शांत हो जाओ, मैने उसे भगाया ना. मैने कहा पर तुम्हे ऐसी बाते करने की ज़रूरत क्या है.
वो मेरी तरफ मुड़ा और बोला क्या आपको मेरी बाते अछी नही लगती ? और मैं चुप हो गई, मेरे पास उसके सवाल का कोई जवाब नही था. मैं सोच मे पड़ गयी कि क्या वो, मेरी मेर्जी के बिना ये, बाते कर सकता था. जवाब मैं जानती थी. कही ना कही, मेरी ग़लती से ही, ये सब, मेरे साथ हो रहा था. मुझे क्या पता था कि ,मेरी छोटी सी भूल, बहुत बड़ी भूल, बन जाएगी.
खैर थोड़ी देर मे, मैं शांत हो गयी, और सोचा मुझे उस आदमी से क्या लेना देना, और चुप चाप मौसम का मज़ा लेने लगी. मैने उपर सर उठा कर देखा, तो घने बदल छाए थे. ऐसा लगता था कि, किसी भी वक्त बारिश हो सकती है.
उसने मुझे बदलो को घूरते हुवे देख लिया और झट से बोला, सच बता, क्या ऐसे मौसम मे, तेरा मन, किसी को अपनी… देने को नही करता?. मैं झट से बोली, किसी को क्या मतलब, मैं शादी, शुदा हू. मुझे सायड चुप रहना चाहिए था. उसे मानो, एक मोका और मिल गया, गंदी बाते करने का, और बोला, अछा तो तेरा मन सिर्फ़, अपने पति को देने का करता है. इस बार मैं चुप रही.
वो आगे बोला, अरे भाई इश् बिल्लू का, क्या होगा, जो दिन रात तेरी लेने के सपने देखता रहता है. मैने अब कुछ भी बोलना सही नही समझा. उसकी बाते और ज़्यादा गंदी होती जा रही थी पर मैं खुद पर हैरान थी, क्योंकि उसकी बाते सुन सुन कर मेरी योनि तरबतर हो गयी थी.
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