RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
उसने आगे कहा, तू जब चलती है तो तेरी गांद क्या छलकती है, सच तुझे मटक मटक कर चलते देख कर, मेरा लंड खड़ा हो जाता है और मन करता है तेरी गांद को दोनो हाथो से पकड़ कर, लंड घुसा दूं और तेरी खूब गांद मारू.
मैं शरम से पानी पानी हो गयी, पहली बार किशी ने मेरे बारे मे ऐसी गंदी बात कही थी. मैं आख़िर क्यों ये बकवास सुन रही थी पता नही, पर मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल हो रही थी ये सब सुन और देख कर.
वो आगे बोला तेरी चुचिया तो इस सहर मे सबसे बड़ी है, शायद ही किसी की इतनी रसीली चुचिया होंगी, प्लीज़ एक बार दिखा ना.
मैने उशे गर्दन हिला कर सॉफ मना कर दिया, कि मैं ऐसा कुछ नही करूँगी.
थोडा मायूस सा होकर वो बोला, एक बात बता, तेरे पति का भी इतना बड़ा है क्या ?
और मेरी गर्दन अपने आप ना के इशारे मे हिल गयी. तभी मुझे कुछ जलने की बदबू आई मुझे ख्याल आया ओह्ह मेरी सब्जी जल गयी और मैं जल्दी से गॅस की तरफ भागी, पर नुकसान हो चुका था. मैं गॅस बंद कर के वापस खिड़की पर आ गयी.
वो बोला क्या हुवा, मुझे जाने क्या सूझा मैने कहा, तुम यहा से चले जाओ और दुबारा यहा मत आना. यह कह कर मुझे अजीब सा सकुन मिला. मुझे अहसास हो रहा था कि जो कुछ भी हो रहा है ग़लत है.
मैं फिर अपने काम मे लग गयी, क्योंकि 3 बजने वाले थे, और संजय किसी भी वक्त आ सकते थे, मैने अपना पूरा ध्यान खाना बनाने मे लगा दिया. मैने कोई 10 मिनूट बाद खिड़की से बाहर देखा तो वाहा कोई नही था. मैने मन ही मन चैन की साँस ली. पर उस लड़के का कहा एक एक बोल मेरे कानो में गूँज रहा था. मैने सोचा की क्या मैं सच मे इतनी सेक्सी हू कि ये लड़का मुझ पर फिदा हो गया है.
उस दिन संजय के जाने के बाद, मैने खुद को शीशे में गोर से देखा . मैने अपनी फिगर पर नज़र डोदायी. मैने घूम कर अपने नितंबो को भी देखा और पाया कि मैं वाकई मे सुंदर हू. पहली बार मैने खुद को ऐसे नज़रिए देखा था. पर अचानक मेरा अपने परिवार पर ध्यान गया और मुझे होश आया, कि मैं ये क्या कर रही हूँ और मैने कपड़े पहने और शो गयी.
अगले दिन मैने फ़ैसला किया कि मैं खिड़की से बाहर नही झानकुंगी. पर मन में बार-बार उस लड़के के ख्याल आ रहे थे. उसका कहा एक एक बोल मेरे मन मे मानो बस गया था.
उष्का लिंग तो मानो एक मूवी की तरह मेरे दिमाग़ में घूम रहा था. मैं कब 2 बजने का इंतेजार करने लगी पता ही नही चला.
मैने ठीक 2 बजे बाहर देखा पर बाहर कोई नही था. मैं बार-बार आ कर देखती रही पर कोई नही दिखा. 3 बज गये और मेरे पति घर आ गये. मैं खाना सर्व करने लगी. संजय ने खाना खाया और करीब 3:30 बजे वापस चले गये.
मैं बर्तन रखने किचन मे आई तो देखा कि वह बाहर खड़ा था. मैं झट से खिड़की पर आ गयी. वो भी जल्दी से खिड़की के पास आ गया.
उसने कहा, आज मेरी साइकल पंक्चर हो गयी थी, इश्लीए 2 बजे नही आ पाया. मैने कुछ नही कहा पर मेरे शरीर मे उसे देख कर अजीब सी हलचल हो रही थी.
वो बोला, पता है कल मैने एक लड़की की चूत मारी, बहुत मज़ा आया, पर उसकी मारते हुवे मुझे तेरा ही ख्याल आ रहा था, मा कसम क्या बॉडी है तेरी, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं तेरी ही चूत मार रहा हूँ.
मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली. मैने सोचा आख़िर ये लड़का ऐसी गंदी बाते क्यो करता है पर ये सच था कि ये सब सुन कर मेरी योनि गीली हो गयी थी. पहली बार मैने ऐसी बाते सुनी थी.
उसने पूछा, तेरा नाम क्या है ?
ना जाने क्यो मैने कहा, ऋतु, ऋतु गुप्ता.
मैने पूछा, तुम्हारा क्या नाम है.
उसने जवाब दिया ‘बिल्लू’ और गिड़गिदाते हुवे बोला, प्लीज़ एक बार अपनी चुचि दिखा दो, मैं भी तो तुम्हे अपना लंड दिखाता हू.
पर मुझ में इतनी हिम्मत नही थी कि संजय के अलावा, किसी और को अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखा सकूँ और मैं खामोश खड़ी रही.
वो समझ गया की मैं उसे अपने उभार नही दिखाउन्गी.
वो बोला ठीक है, मैं लेट हो रहा हूँ, मुझे काम पर जाना है.
मैने पूछा काम पर, क्या तुम पढ़ते नही हो ?.
उसने कहा, नही मैं एलेक्ट्रिक शॉप पर एलेक्ट्रीशियन हूँ, कभी तुम्हारे यहा बिजली की समशया हो तो बताना.
ये कह कर वो चला गया और मैं भी अपने बेडरूम में आकर लेट गयी.
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