RE: Mastram Kahani खिलोना
फिर वो झुकी & बाद धीरे से उसके लंड को अपनी शेखर के ही पानी से गीली चूत मे घुसाने लगी.जब लंड आधा घुस गया तो वो रुक गयी.इस पर शेखर तड़प उठा & नीचे से कमर उचका कर लंड पूरा अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा पर रीमा बार-2 उठ कर उसकी ये कोशिश नाकाम कर देती.
कुच्छ आहट हुई तो उसने मूड के देखा कि उसके ससुर फिर से कमरे मे आ गये थे & उनके हाथो मे कोई डिबिया थी.रीमा वापस सर घुमाके अपने जेठ को देखने लगी & वैसे ही उसका आधा लंड लिए झुक कर उसके हाथो को आकड़े उसे चूमने लगी.
"ऊओवव्व..!",वो चिहुन्क उठी,विरेन्द्र जी ने उस डिबिया से क्रीम अपनी उंगली मे ले उसे,उसकी गंद की छेद मे घुसा दिया था.रीमा समझ गयी कि ज़िंदगी मे पहली बार आज उसकी गंद भी मारी जाएगी.उंगली के घुसते ही वो खुद ही शेखर के लंड पे बैठ गयी थी & उसे पूरा अपने अंदर ले लिया था.विरेन्द्र जी थोड़ी देर तक उसकी गंद के छेद मे वैसे ही उंगली करते रहे .
शेखर के हाथो पे रीमा की पकड़ ढीली होते ही उसने हाथ छुड़ा रीमा की कमर को जाकड़ लिया & उचक कर उसकी चूचिया चूसने लगा.विरेन्द्र जी ने उंगली निकाली & बिस्तर पे चढ़ अपने बाए घुटने & दाए पैर पे अपना वज़न रख 1 हाथ से अपनी बहू की गंद की फांको को फैला कर उसके छेद को थोडा और खोला & दूसरे से अपने क्रीम से गीले लंड को उसकी गंद मे घुस दिया.
"ऊओउउइईईईई....म्माआआआआआअ.......!",रीमा सूपदे के अंदर जाते ही चीखी.विरेन्द्र जी उसकी कमर को पकड़े दूसरे हाथ से उसकी गोरी पीठ सहलाते हुए लंड को और अंदर पेलने लगे,"..ना..ना...गंद को कसो मत,रीमा..उसे ढीला छ्चोड़ो..बस थोड़ी देर दर्द होगा...फिर तो इतना मज़ा आएगा कि पुछो मत.",रीमा की हालत खराब थी.नीचे से शेखर धक्के लगाता तो वो अपने ससुर के लंड को अपनेआप थोड़ा और अपनी गंद मे ले लेती.वो बहुत धीरे-2 अपने लंड को अंदर घुसा रहे थे.जब आधा लंड अंदर घुस गया तो रीमा को लगा कि अब अगर उसके ससुर ने लंड को और पेला तो उसकी गंद फट जाएगी.
"...आअहह...आईय्य्यीए...बस इतने से ही करिए,पिता..जी.....इस से ज़्यादा मैं नही ले पाऊँगी..बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है.."
"ठीक है.",विरेन्द्र जी ने लंड घुसाना छ्चोड़ दिया & बस स्थिर हो वैसे ही उसकी गंद मे बस लंड डाले खड़े रहे.
नीचे से शेखर उसकी 1 चूची मसल्ते हुए उसकी गर्दन चूम धक्के लगा रहा था.थोड़ी देर बाद रीमा के गंद का दर्द शांत हुआ तो वो भी अपनी कमर हिलाने लगी,विरेन्द्र जी समझ गये कि उनकी बहू अब तैय्यार है.अपने आधे लंड से ही उन्होने उसकी गंद मारना शुरू किया.
जब शेखर कमर उचका कर उसकी चूत चोद्ता ठीक उसी वक़्त विरेन्द्र जी अपनी कमर हिला उसकी गंद मारते.इन दोहरे धक्को से परेशान रीमा ज़ोर-2 से आहे भरने लगी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था,उस वक़्त जैसे वो भूल गयी थी कि यही दोनो दरिंदे उसकी जान लेने का मंसूबा भी रखते हैं.वो तो बस अपने दोनो छेदो मे भरे लुंडो से मस्तानी हो हवा मे उड़ रही थी.
उसकी चूत अब तक 2 बार झाड़ चुकी थी & इस बार जो तूफान उसके बदन मे उठ रहा था वो शायद उसे अब तक सबसे गहरा मज़ा देने वाला था.शेखर अब ज़ोर से कमर उचका रहा था & रीमा की बाई चूची को तो मुँह से निकालने का नाम ही नही ले रहा था.विरेन्द्र जी भी 1 हाथ से उसकी कमर & दूसरे से उसकी दाई चूची को दबा तेज़ी से उसकी गंद मारे जा रहे थे.
"ऊऊऊऊओह...........माआआआ.........!",रीमा चिल्लाते हुए झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी गंद & चूत उसके ससुर & जेठ के लुंडो पे ऐसे सिक्डी की वो दोनो भी खुद को संभाल नही पाए & अपना पानी उसके बदन के अंदर गिराने लगे.रीमा हाँफती हुई शेखर के सीने पे गिर गयी & उसकी पीठ पे विरेन्द्र जी गिर गये.थोड़ी देर तक वो दोनो के बीच दबी रही.जब लंड बिल्कुल सिकुड गया तो विरेन्द्र जी ने लंड को धीरे से उसकी गंद से निकाला & उसके उपर से उतर बिस्तर पे निढाल हो गये.
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