RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--20
रीमा ने अपने मन के जज़्बातों को चेहरे पे नही आने दिया,"फिर तो शंतु बेवजह मारा गया."
"ऐसे क्यू कह रही हो?",शेखर की उंगली चूत मे कुच्छ ज़्यादा तेज़ होने लगी थी.
"ये सारा खेल किस लिए खेला आप दोनो ने-पैसों के लिए ही ना?मुझे आप दोनो के साथ चुदाई करके कितना मज़ा मिला है,वो तो मैं लफ़ज़ो मे बयान नही कर सकती.रवि की मौत के बारे मे तो मुझे शुरू से ही कुच्छ खटक रहा था,इसीलिए सवाल करती रहती थी...पर अब मुझे बस इनसे मतलब है.",शोखी से मुस्कुराते हुए उसने दोनो के लंड को अपने हाथो मे पकड़ कर मसल दिया.
शेखर के लिए अब सब्र करना नामुमकिन हो गया,उसने रीमा को पकड़ कर लिटा दिया & उसकी टांगे फैला कर 1 ही झतके मे अपना लंड उसकी चूत मे उतार दिया.फिर उसके उपर लेट उसे चूमते हुए धक्के लगाने लगा.
"..आअहह...!उफफफ्फ़.....कितना मज़ा आ रहा है....इस से बड़ी कोई दौलत हो सकती है दुनिया मे?..आहह...मैं तो बस पूरी ज़िंदगी आपलोगो के साथ बस ऐसे ही चुद्ते हुए गुज़रना चाहती हू...",शेखर के धक्को से रीमा का सर पलंग के किनारे से नीचे लटक गया था & उसके लंबे बाल नीचे ज़मीने को छुते झूल रहे थे.उसने उसे अपनी बाहो मे भर लिया था & उसके बालो मे हाथ घुसाए उसके सर को अपनी चूचियो पे दबा रही थी.उसने देखा कि उसके ससुर दोनो को चुदाई करते देख अपना लंड हिला रहे हैं.
"..आप भी आइए ना...",उसने उनकी तरफ हाथ बढ़ाया तो वीरेंद्र जी फ़ौरन उठ कर उसके पास आ गये.
"इधर नीचे खड़े हो जाइए..",विरेन्द्र जी उसके सर के पीछे खड़े हो गये तो रीमा ने हाथ शेखर के सर से हटा कर अपने पीछे ले जाके अपने ससुर की कमर को पकड़ अपनी ओर खींच उनके लंड को अपने मुँह मे ले लिया.अपनी टांगे उठा के उसने शेखर की कमर को लपेट लिया & नीचे से कमर उचका कर उसके धक्को का जवाब देने लगी.
शेखर काफ़ी देर से गरम था & अब उसकी चूत मे जल्द से जल्द झड़ना चाहता था.रीमा की चूचियो को दबोच उसने उसके निपल्स को अपनी उंगलियो मे मसल्ते हुए अपने मुँह मे भरा & गहरे धक्के लगाने लगा.रीमा का भी बुरा हाल था,ससुर का लंड मुँह मे होने के कारण वो आहे नही भर सकती थी पर उसकी चूत अब कुच्छ ही देर मे पानी छ्चोड़ कर झड़ने वाली थी.उसने विरेन्द्र जी की गंद को खरोंछते हुए उसकी फांको को फैलाया & अपनी 1 उंगली उनके गंद के छेद मे डाल दी.
विरेन्द्र जी कराह उठे & कमर हिलाकर अपनी बहू के मुँह को चोदने लगे.तीनो तेज़ी से अपनी-2 मंज़िल की ओर बढ़े चले जा रहे थे.तभी शेखर का बदन झटके खाने लगा & वो रीमा की छाती मे अपने दाँत गढ़ाता हुआ उसकी चूत को अपने पानी से भरने लगा.उसके इन आख़िरी धक्को ने रीमा की चूत को भी पस्त कर दिया & उसने भी अपने जेठ की कमर को अपनी टांगो मे कस के जाकड़ लिया & झाड़ गयी.झाड़ते वक़्त उसकी उंगली विरेन्द्र जी की गंद मे कुच्छ ज़्यादा ही अंदर चली गयी & 1 तेज़ आह के साथ वो भी अपने लंड को उसके मुँह मे खाली करने लगे.रीमा ने गतगत उनका सारा पानी पी लिया.
शेखर उसके सेनए पे सर रखे हाँफ रहा था & विरेन्द्र जी अपना सिक्युडा लंड उसके मुँह से खींच अब उसके बगल मे लेट गये.शेखर भी उसके उपर से उतर उसकी दूसरी तरफ लेट गया.थोड़ी देर तक तीनो बस ऐसे ही आँखे बंद किए लेटे रहे.
फिर रीमा ने करवट बदली & शेखर के सीने से जा लगी & उसके निपल्स को अपने नखुनो से हल्क-2 कुरेदने लगी & उसके चेहरे को चूमने लगी.शेखर उसकी पीठ सहलाने लगा.रीमा ने सोच लिया था कि वो इन दोनो बाप-बेटे को आज 1 पल भी आराम नही करने देगी जिस से कि वो जल्द से जल्द तक कर सो जाएँ.
|