RE: Mastram Kahani खिलोना
खिलोना पार्ट--18
आश्चर्या से रीमा का मुँह खुला रह गया,जब होश आया तो चादर खींच कर उसने अपना नन्गपन ढँक लिया.
"क्या छुपा रही हो,जानेमन?तुम्हारे बदन के रोम-रोम से तो मैं वाकिफ़ हू."
शर्म से रीमा का चेहरा लाल हो गया,उसने धीरे से सर घुमा कर अपने ससुर की ओर देखा तो इस बार पहले से भी ज़्यादा हैरत मे पड़ गयी-वो उसे देखते हुए मुस्कुरा रहे थे & वैसे ही नंगे बैठे थे.
बाहर बदलो के गरजने की ज़ोरदार आवाज़ आई & फिर तेज़ बारिश शुरू हो गयी,"चलो कुच्छ तो राहत मिलेगी इस उमस से.",शेखर अपने कपड़े उतार रहा था,"..आहह..!.."
"क्या हुआ शेखर?",विरेन्द्र जी ने उसके कराहने की वजह पुछि.
1 जगह फुटपाथ से टकरा कर पैर मे चोट लग गयी है.",उसने अपने जूते उतारे तो सबने देखा की टखने के पास 1 ज़ख़्म था जिस से बह के खून सुख चुका था.
"हमारी बहू अभी तुम्हारी मरहम-पट्टी कर देगी,आख़िर ट्रेंड नर्स है भाई!",वीरेंद्र जी ने ठहाका लगाया.रीमा की तो कुच्छ समझ मे नही आ रहा था.आख़िर ये दोनो बाप-बेटे कैसा खेल खेल रहे थे?
"शेखर अब पूरा नंगा हो चुका था,"नहा के आता हू,फिर ज़रा मेरी पट्टी कर देना,रीमा."रीमा ने जवाब मे कुच्छ ना कहा,"..ओह!पिताजी,ये बेचारी तो अभी भी हैरत मे है.ज़रा इसे समझाइये...अब इतनी परेशान क्यू हो,जानेमन?अब तो तुम्हे कुच्छ च्छुपाने की ज़रूरत भी नही.जब तुम्हारा जी करे,हम मे से जिसके साथ जी करे, जैसे चाहे बिना किसी डर के चुदाई कर सकती हो.",वो उसके पास आया & उसके गाल पे हाथ फेरने लगा,"..है ना अच्छी बात!वैसे भी तुम्हे चुदाई कितनी पसंद है,पिच्छले 1-1 1/2 महीने से हम दोनो देख ही रहे हैं!",दोनो बाप-बेटे ने ज़ोर का ठहाका लगाया & शेखर बाथरूम मे घुस गया.
विरेन्द्र जी ने उसकी चादर खींच कर हटा दी & अपनी बाई बाँह मे उसके कंधे को घेर अपने करीब कर लिया,"तुम्हे शर्म आ रही है,है ना?...& ये भी लग रहा होगा कि ना जाने हम दोनो तुम्हे कैसी लड़की समझते हैं.",उन्होने उसे पास खींच उसके गाल को चूम लिया,"..अपने मंन से ये सारी बाते निकाल दो.हम दोनो समझते हैं कि जिस्म की भूख होती ही ऐसी है & इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है ना ही हम तुम्हे ऐसी-वैसी लड़की समझते हैं."
रीमा का दिमाग़ तो जैसे काम ही नही कर रहा था,पर उसने बड़ी कोशिश कर उसे दौड़ाना शुरू किया...दोनो बाप-बेटे मिले हुए थे,फिर 1 दूसरे को पसंद ना करने का नाटक क्यू खेला?
तभी शेखर नहा कर आ गया,"रीमा ज़रा अपना फर्स्ट-एड बॉक्स तो ले आओ.देखो ना,फिर से खून बह रहा है."
"हां,फिर मैं तुम्हारे मंन मे उठ रहे सारे सवालो का जवाब दूँगा.",विरेन्द्र जी ने कहा.
रीमा उठ कर कमरे से निकल गयी,अंदर बाप-बेटे कुच्छ बात कर रहे थे.बाहर आ कर वो छुप कर दरवाज़े से कान लगा कर खड़ी हो गयी,"..क्या कहा आपने,पिताजी,आप उसे सारी बात बता देंगे?"
"हां."
"मगर क्यू?!",दोनो काफ़ी धीमी आवाज़ मे बोल रहे थे.
"देखो,कल 12 बजे तक,किसी भी हाल मे हमारा काम हो जाएगा,फिर इसकी क्या ज़रूरत है?"
"तो इसे भी ख़तम कर देंगे?"
"हां.पर कल सवेरे तक ये हम दोनो का दिल लगाए रखेगी..लेकिन अगर इसके मन के सवालो का जवाब नही दिया तो ये उस गर्मजोशी से बिस्तर मे हमारा साथ नही दे पाएगी.इसीलिए मैने उस से ऐसा कहा."
"मान गये आपको!"
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